अमेरिकी समाचार पत्र द वाशिंगटन पोस्ट में कार्यरत राणा अय्यूब अपनी घटिया भारत विरोधी पत्रकारिता और दुष्प्रचार को लेकर सुर्ख़ियों में रहती है। वहीं, राणा अय्यूब अब एक कथित चैरिटी फंड घोटाले के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में आ गई है, जिसके बाद ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ में बतौर लेखक उनका करियर भी खतरे में है। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ने बीते गुरुवार को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पत्रकार राणा अय्यूब से संबंधित 1.77 करोड़ रुपये अस्थायी रूप से कुर्क (ज़ब्त करना) कर लिए।
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राणा अय्यूब अब ED के जांच के दायरे में
बता दें कि ED का यह मामला पिछले साल यूपी पुलिस द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी (FIR) पर आधारित है, जहां यह आरोप लगाया गया था कि अय्यूब ने राहत कार्य के नाम पर ऑनलाइन क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म केटो (Ketto) के माध्यम से भारी मात्रा में धन एकत्र किया, लेकिन कथित तौर एकत्रित धन को डायवर्ट कर दिया। अय्यूब को फोन कॉल, टेक्स्ट और व्हाट्सएप संदेशों का कोई जवाब नहीं मिला। प्राथमिकी (FIR) पिछले साल सितंबर में गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में एक विकास सांकृत्यायन की शिकायत पर दर्ज की गई थी।
IPC और IT अधिनियम की धाराओं के अलावा, पुलिस ने काला धन अधिनियम की धारा 4 भी लागू की, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने अवैध रूप से दान के नाम पर जनता से धन अर्जित किया। जांच अधिकारियों के अनुसार, तीन दान अभियानों में अप्रैल-मई 2020 के दौरान झुग्गीवासियों और किसानों के लिए धन, जून-सितंबर 2020 के दौरान असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य और मई-जून 2021 के दौरान भारत में कोविड -19 प्रभावित लोगों की मदद शामिल है।
राणा अय्यूब को कथित तौर पर तीन दान अभियानों के माध्यम से 2.69 करोड़ रुपये का दान एकत्र किया, जिसमें से 80.49 लाख रुपये विदेशी मुद्रा में प्राप्त हुए। खबरों के अनुसार, आयकर विभाग की जांच शुरू होने से पहले ही विदेशी चंदा राणा अय्यूब द्वारा वापस कर दिया गया क्योंकि यह विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (Foreign Contribution Regulations Act ) का उल्लंघन था। हालांकि, ED ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने बैंक स्टेटमेंट और क्रेडिट कार्ड खर्च का विश्लेषण किया, तो राहत कार्य पर खर्च की गई राशि 28 लाख रुपये थी। वहीं, दान के रूप में प्राप्त धन का एक हिस्सा कथित तौर पर निजी खर्चों के लिए इस्तेमाल किया गया था, जिसमें एक कथित Holiday Trip भी शामिल था।
राणा अय्यूब ने वाशिंगटन पोस्ट की छवि ख़राब कर दी
खबरों के अनुसार, राणा अय्यूब ने कथित तौर पर दान के पैसे से 50 लाख रुपये की सावधि जमा (FD) की है। इस मामले में पूछने पर राणा अय्यूब ने अधिकारियों को बताया कि बैंक मैनेजर ने उन्हें FD जमा करने की सलाह दी थी ताकि उन्हें कुछ ब्याज मिल सके क्योंकि पैसे का इस्तेमाल अस्पताल बनाने के लिए किया जाना था। हालांकि, बैंक मैनेजर ने कथित तौर पर राणा अय्यूब को ED द्वारा ऐसी कोई सलाह देने से इनकार किया था। ED ने दावा किया कि पूछताछ के दौरान राणा अय्यूब अब तक यह नहीं बता पाई है कि उन्होंने दान और कुछ खर्चों का उपयोग क्यों नहीं किया।
ED ने अपने बयान में कहा, “राणा अय्यूब द्वारा केटो पर कुल 2,69,44,680 रुपये का फंड जुटाया गया था। ये राशि उसकी बहन/पिता के बैंक खातों में निकाली गई। इस राशि में से 72,01,786 रुपये उसके अपने बैंक खाते में, 37,15,072 रुपये उसकी बहन इफ्फत शेख के खाते में और 1,60,27,822 रुपये उसके पिता मोहम्मद अय्यूब वक्फ के बैंक खाते से निकाले गए। उसकी बहन और पिता के खाते से यह सारा पैसा बाद में उसके अपने खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। राणा अय्यूब द्वारा राहत कार्य पर खर्च का दावा करने के लिए कुछ संस्थाओं के नाम पर नकली बिल तैयार किए गए थे।”
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राणा अय्यूब को कर देना चाहिए बर्खास्त
उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए, यह कहना सुरक्षित है कि राणा अय्यूब तुच्छ नैतिकता से ग्रसित एक महिला हैं। यह पूरे उदारवादी गुट के लिए बहुत बड़ी शर्म की बात है। ऐसे में कहा जा सकता है कि राणा अय्यूब के इस कुकृत्य के बाद द वाशिंगटन पोस्ट की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में, घटिया कृत्य के लिए वाशिंगटन पोस्ट द्वारा राणा अय्यूब को बर्खास्त कर देना चाहिए।