जब पूरी दुनिया का ध्यान यूक्रेन संकट की ओर लगा हुआ था, उस समय भारत पश्चिम एशियाई देशों के साथ अपने संबंध मजबूत कर रहा था। पिछले 1 सप्ताह के भीतर ओमान के नौसेना प्रमुख और सऊदी के थल सेना प्रमुख भारत का दौरा कर चुके हैं। वही इस सप्ताह का सबसे बड़ा समाचार यह है कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर लिया है। भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हुए इस समझौते से एक ओर जहां भारत को अत्यधिक लाभ मिलेगा, वहीं दूसरी ओर यह समझौता भारत को पश्चिम एशिया में कूटनीतिक रूप से बहुत मजबूत करेगा और इसका नुकसान सीधे तौर पर पाकिस्तान को होगा।
भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने एक वर्चुअल समिट के माध्यम से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते को आधिकारिक रूप से Comprehensive Economic Partnership Agreement (CEPA) कहा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूरे कार्यकाल में यह किसी देश के साथ प्रथम मुक्त व्यापार समझौता है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि इस समझौते के बाद पहले दिन से ही भारतीय हित से जुड़े 90 फीसदी उत्पादों का UAE को निर्यात सुगम हो जाएगा। इसके अतिरिक्त भारत के 80 फीसदी निर्यात को संयुक्त अरब अमीरात में ड्यूटी-फ्री अर्थात् शुल्क मुक्त कर दिया जाएगा।
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भारत के पक्ष में है यह समझौता
इस समझौते के अंतर्गत भारत और संयुक्त अरब अमीरात आपसी व्यापार को 100 बिलियन डॉलर के स्तर तक पहुंचाने वाले हैं। 100 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार नॉन ऑयल ट्रेड की श्रेणी में आएगा, अर्थात् इसमें तेल का व्यापार सम्मिलित नहीं है। वर्तमान समय में भारत का UAE के साथ नॉन ऑयल ट्रेड 40 बिलियन डॉलर का है। यह समझौता भारत के पक्ष में है, क्योंकि संयुक्त अरब अमीरात तेल के अतिरिक्त कोई विशेष वस्तु निर्यात नहीं करता, जबकि भारत टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, हस्तशिल्प उद्योग से जुड़ी वस्तुएं, चमड़ा एवं जूते-चप्पल आदि का निर्यात करता है।
इसके अतिरिक्त इस समझौते के बाद अगले कुछ वर्षों में संयुक्त अरब अमीरात, भारत के नेशनल इन्वेस्टमेंट पाइपलाइन प्रोजेक्ट (NIP) के तहत भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए 100 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा। NIP के अंतर्गत भारत वर्ष 2025 तक इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में, 1.4 ट्रिलियन डॉलर यानी लगभग 111 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेगा, जिससे अत्याधुनिक रोड इंफ्रास्ट्रक्चर, रेलवे नेटवर्क, बंदरगाह एयरपोर्ट सहित अन्य लॉजिस्टिक सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। इस योजना में UAE भारत का प्रमुख सहयोगी होने वाला है।
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छटपटा रहा है पाकिस्तान
महत्वपूर्ण बात यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दोनों कार्यकाल में पहली बार मुक्त व्यापार नीति पर समझौता किया है, यह समझौता एक ऐसे देश के साथ किया गया है, जिसके साथ द्विपक्षीय व्यापार में भारत लाभ की स्थिति में है। जबकि पिछली कांग्रेस सरकार में आसियान देशों द. कोरिया जैसे देशों के साथ FTA किया गया था, जो भारत से तकनीक और उत्पादन में बहुत आगे थे। इस कारण भारत आयातक बनकर रह गया था। इस समझौते से सबसे अधिक चिढ़ पाकिस्तान को होगी। अत्यधिक विदेशी कर्ज के तले दबा पाकिस्तान विदेशी ऋण के लिए हाथ-पांव मार रहा है।
पाकिस्तान इस्लामीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाकर इस्लामिक देशों और भारत के बीच दूरियां बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। किंतु पाकिस्तान एक मूलभूत बात नहीं समझ रहा है कि 21वीं शताब्दी में विदेशी संबंधों का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष आर्थिक उन्नति है। दुनिया में तेल की मांग अगले कुछ वर्षों में घटने वाली है, ऐसे में तेल निर्यातक देश अपने आर्थिक आधार को तेल से विकेंद्रीकृत करना चाहते हैं। भारत अगले 10 वर्षों में निरंतर विकास करेगा, ऐसे में भारत में निवेश आर्थिक संभावनाओं को जन्म देने वाला है। अतः कोई भी समझदार देश पाकिस्तान के बजाय भारत के पक्ष में ही खड़ा होगा, विशेष रुप से तेल निर्यातक अर्थव्यवस्था वाले देश तो अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए भारत के साथ ही दिखाई देंगे और UAE के साथ हालिया समझौता इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है!
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