गंगूबाई काठियावाड़ी चलचित्र दर्शकों के बीच आनेवाली है। इस फिल्म का पोस्टर शेयर करते हुए आलिया भट्ट ने लिखा है– मेरे दिल और आत्मा का हिस्सा गंगूबाई काठियावाड़ी 6 जनवरी, 2022 को रिलीज होने जा रही है। संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित गंगूबाई काठियावाड़ी एक बॉलीवुड बायोपिक ड्रामा है। फिल्म में आलिया भट्ट मुख्यभूमिका में हैं। इस फिल्म की कहानी गंगूबाई काठियावाड़ी के जीवन पर आधारित है। फिल्म में आलिया के अलावा, शांतनु माहेश्वरी गंगूबाई के पति के रोल में और अजय देवगन करीम लाला की भूमिका में हैं।
इस कहानी का सार यह है कि एक रईस वकील की बेटी गंगा काठियावाडी, रमणीक नाम के अपने प्रेमी द्वारा मुंबई के मशहूर रेड लाइट एरिया कमाथीपुरा में बेच दी जाती है। अपने नियति को स्वीकार करते हुए लोकलाज के कारण वह वेश्यावृति को अपना लेती है। करीम लाला के गुर्गे शौकात पठान द्वारा उसका बलात्कार किया जाता है और फिर उसे करीम लाला इंसाफ दिलाता है। इस चलचित्र के कहानी को सुनकर ऐसा लगता है जैसे संजय लीला भंसाली का मुख्य उद्देश्य ही अंडर वर्ल्ड को महिमामंडित करना है।
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मुंबई माफिया डॉन में से एक था करीम लाला
अगर रील से हट कर रियल पर फोकस करें, तो पाएंगे करीम लाला (1911 – 19 फरवरी 2002) अफगानिस्तान के कुनार प्रांत के शेगल जिले के सामलम गांव में अब्दुल करीम शेर खान के रूप में पैदा हुआ। दो दशकों से अधिक समय तक यह भारत के तीन “मुंबई माफिया डॉन” में से एक था। दो दशकों से अधिक समय तक, वह खतरनाक पठान गिरोह का नेता था, जो दक्षिण मुंबई के डोंगरी, नागपाड़ा, भिंडी बाजार और मोहम्मद अली रोड जैसे गरीब और अपराध प्रभावित मुस्लिम बस्तियों से संचालित होते था। पठान गिरोह अवैध जुआ (सट्टा) और शराब के ठिकाने चलाने, अवैध धन वसूली, अवैध भूमि बेदखली, अपहरण, सुरक्षा रैकेट (हफ्ता), अनुबंध हत्या (सुपारी), नशीले पदार्थों के वितरण और नकली मुद्रा में शामिल था।
परंतु, संजय भसली को इनमें मसीहा दिखा। भंसाली की कहानी के अनुसार, उसने गंगूबाई को अपनी मुंह बोली बहन बनाया और अपने गुर्गे द्वारा किए गए बलात्कार का इंसाफ किया। भंसाली की कहानी को देखकर ये समझ नहीं आता कि आखिर हमारा प्यारा बॉलीवुड अंडर वर्ल्ड के महिमामंडन में इतना समर्पित क्यों रहता है? विधु विनोद चोपड़ा की परिंदा और महेश मांजरेकर की वास्तव में गैंगस्टर फिल्मों को बड़े पर्दे पर ‘बड़ा’ दिखाया गया। बाद में, राम गोपाल वर्मा ने अंडरवर्ल्ड को बॉलीवुड में प्रमुख लोगों में से एक के रूप में स्थापित किया!
क्या सत्य चित्रण करने में सक्षम हैं निर्माता?
सबसे हालिया हिंदी गैंगस्टर फिल्म बाबूमोशाय बंदूकबाज के निर्देशक कुषाण नंदी ने खुलासा किया कि एक फिल्म निर्माता के दिमाग में क्या होता है। वे कहते हैं, “ये वे लोग हैं जो गलत दिशा में हैं, वो लोगों की नैतिकता की एक पतली रेखा के उस पार है। आपके लिए जो सही है, वह दूसरे के लिए सही नहीं हो सकता है। वे नैतिक रूप से अस्पष्ट रेखा पर चलते हैं।” उनके कहने का तात्पर्य यह है कि निर्देशक लोगों के भ्रम को ऊपर लाकर इन गुंडो और डॉन को महिमामंडित कर रहे हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे पात्रों के चित्रण के साथ महिमामंडन हमेशा एक समस्या है, लेकिन फिल्म निर्माता दर्शकों पर इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं। लेकिन क्या फिल्म निर्माता अपने पात्रों का सत्य चित्रण करने में सक्षम हैं या सिर्फ अधिक ताली और पैसा कमाने के लिए समाज को दिग्भ्रमित कर देंगे? भंसाली की गंगूबाई का ट्रेलर देखकर तो भ्रम की आशंका ही प्रबल लगती है। बाकी, फिल्म का इंतज़ार करिए!
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