अमेरिका के सन्दर्भ में एक बात कही जाती है। अमेरिका की दुश्मनी खतरनाक है लेकिन उससे भी खतरनाक उसकी दोस्ती है। ये उचित है की अमेरिका से दोस्ती ना रहे क्यूंकि दोस्ती की आड़ में शोषण करना अमेरिका की नीति रही है। वह प्रत्यक्ष रूप से नायकों को नियंत्रित करता है। भारत में एक ऐसे नेता हैं, जो अमेरिका की नाराजगी की वजह से लोकप्रिय हुए हैं और आज अमेरिका, भारत के सन्दर्भ में कोई भी बात करने के लिए उनसे बात करने के लिए मजबूर है। वो नेता कोई और नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। अब खबर आ रही है कि उनकी ही तरह योगी आदित्यनाथ को भी अमेरिका से बैन किया जा सकता है। अगर ऐसा है तो यह ख़ुशी की बात है क्यूंकि सम्भव है कि नरेंद्र मोदी की तरह योगी भी देश के प्रधानमंत्री बन जायें।
जब-जब भारत में कोई भी नेता अपराधियों पर सख्त या अपनी कार्यप्रणाली में संजीदा होते हुए कार्य करते हुए राज्य को सुधारने की ओर बढ़ा है तो उसके दुष्प्रचार में एक वर्ग सदैव उठा खड़ा होता है। पश्चिमी देश और विशेषकर मानवाधिकार के बैनर तले अपनी रोटी तोड़ रहे कुछ तथाकथित आपराधिक और मानवाधिकार मामलों के वकील पहले भी भारत पर नज़र गड़ाए बैठे रहते थे और आज भी कुछ बदला नहीं है। अमेरिका की एक निकाय योगी आदित्यनाथ पर प्रतिबंध लगाने की उसी तरह की वकालत कर रही है, जैसे एक समय पर पीएम मोदी के विरुद्ध की गई थी।
2017 से उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ पर ऐसे तमाम आरोप लगते आए हैं जिनमें उन्हें मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघनकर्ता बताया जाता रहा है। ऐसा केवल इसलिए हुआ क्योंकि योगी आदित्यनाथ ने राज्य शासन में आने के बाद से आरोपियों को लेकर ZERO TOLERANCE नीति को अमल में लाने का काम किया है। दरअसल, अमेरिका के वकीलों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ग्वेर्निका 37 ने अमेरिकी ट्रेजरी विभाग को सौंपे निवेदन में मांग की है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व डीजीपी ओमप्रकाश सिंह व कानपुर एसपी संजीव त्यागी के ख़िलाफ़ मानवाधिकारों का हनन करने के चलते वैश्विक प्रतिबंध लगाया जाये।
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योगी शासन में ताबड़तोड़ कार्रवाई से मिर्ची लगी है-
निस्संदेह उत्तर प्रदेश में एक समय पर कानून व्यवस्था सदैव लचर प्रतीत होती दिखती थी, यह कोई आधारहीन बात नहीं है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही राज्य में गुड़ाई, दंगाई और माफियागिरी पर डंके की चोट पर शासन और प्रशासन के सहभाग से कार्यवाहियां हुईं है। ऐसे में राज्य में हुए एनकाउंटरों और अन्य सभी कानूनी और पुलिसिया कार्यवाहियों में हुई अपराधियों की मृत्यु पर रुदन करने वाले अमेरिकी संस्थान ने राज्य की ‘मुठभेड़ों’ में हुईं हत्याओं को लेकर योगी आदित्यनाथ पर कार्रवाई की मांग की है। यह तब है जब योगी आदित्यनाथ ने अभी अपना एक कार्यकाल भी पूर्ण नहीं किया है।
यह तो योगी की बात है पर ऐसा ही कुछ प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुआ था जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वीजा देने का विरोध किया था क्योंकि राज्य में 2002 के “भयानक” दंगों में उनकी भूमिका पर “बहुत गंभीर” संदेह था। संयुक्त राज्य अमेरिका आयोग की उपाध्यक्ष कैटरीना लैंटोस स्वेट ने कहा था, “मोदी को अमेरिकी वीजा का विशेषाधिकार नहीं दिया जाएगा क्योंकि गुजरात में 2002 की भयावह घटनाओं में उनकी भूमिका के संबंध में बहुत गंभीर संदेह बने हुए हैं।” वर्ष 2005 में अमेरिकी अधिकारियों ने श्री मोदी से मिलने से इनकार कर दिया था और मानवाधिकार समूहों द्वारा नरसंहार को रोकने के लिए प्रयास ना करने का आरोप लगाने के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था।
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बात में उसी अमेरिका ने अपने सिर पर जूता मारा होगा। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की कमान आने के बाद उसने सामने पीएम मोदी पर लगे प्रतिबंधों को हटा दिया और बाद में तत्कालीन अमरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें वाशिंगटन आने का न्योता दिया था। खैर प्रतिबंध लगाने के बाद से नरेंद्र मोदी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा बल्कि उनकी लोकप्रियता पूरे देश में बढ़ गई और आप विश्वास मानिये, जितनी लोकप्रियता अभी योगी की है, उससे ज्यादा लोकप्रिय वो तब हो जाएँगे जब उनपर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
इन सभी मानवाधिकार के पैरोकारों का सारा रुदन भारतीय राजनेताओं और विशेषकर भाजपा के नेताओं पर ही लागू होता है। चीन और पाकिस्तान में क्या चल रहा है उससे इनकी सात पुश्तों का भी कोई वास्ता नहीं होता है।
यूपी में हुई सभी कार्यवाही कानूनी रुप से की गईं हैं और मानवाधिकार समूह न जाने यह कैसे भूल जाते हैं कि जिनपर कार्यवाही हुईं वो अपराधी थे, जिनका अपराध मासूम, बेक़सूर लोगों को मौत के घाट उतार अपना जीवन आराम से जीना था। न जाने मृत पीड़ितों पर मानवाधिकार का कानून क्यों नहीं लागू होता पर मृत आरोपियों पर उसका रोना निकल जाता है। सौ बात की एक बात यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ को प्रतिबंधित करने की आरज़ू पाले यही समूह कल को साष्टांग दंडवत प्रणाम करते नज़र आएंगे जैसा पीएम मोदी के परिप्रेक्ष्य में सामने आया था।
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