हामिद अंसारी का विवादों से बहुत ही गहरा नाता रहा है। लेकिन हाल ही में भारत के विरुद्ध जो उन्होंने विष उगला, उससे उन्होंने अपनी शामत बुलाई है। 26 जनवरी को पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी (Hamid Ansari) ने इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारत के विरुद्ध जो विष उगला था, उससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। इसी क्रम में शीर्ष भारतीय राजनयिक, प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार व पूर्व राजदूत दीपक वोहरा ने इस बात की पुष्टि की है कि हामिद अंसारी के विदेशी व इस्लामी लिंक्स की जाँच शुरू हो गई है और जल्द ही इस जाँच के नतीजे आएँगे।
The Festival of Bharat नामक चैनल से बातचीत में दीपक वोहरा ने कहा, “ये चेतावनी हमारी कई खुफिया एजेंसियों द्वारा भारत सरकार को दी जा चुकी है कि हामिद अंसारी की प्राथमिकताएँ कभी भी भारत के पक्ष में नहीं थी। वह हमेशा इस्लाम से जुड़ी थी। उनकी हमदर्दी हमारे पड़ोसी मुल्क वालों के साथ देखने को मिलती थी।” वोहरा ने बातचीत में ईरान में पकड़े गए भारतीय अधिकारियों का मुद्दा उठाया और याद दिलाया कि कैसे भारतीय अधिकारियों के बच्चे और बीवियाँ अंसारी के आगे गिड़गिड़ा रहे थे कि उनके अपनों को छुड़ा लिया जाए, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया था।
रोचक बात यह भी है कि दीपक वोहरा IFS सेवा में हामिद अंसारी के साथ थे, और इस बात की चर्चा उन्होंने उक्त चैनल के साथ अपने वार्तालाप में भी की। उन्होंने जानकारी दी कि हामिद अंसारी उनके IFS में सीनियर रहे हैं और वह उन्हें विश्वासघातियों (Trust Buster) की श्रेणियों में रखते हैं। उन्होंने पूछा कि अगर हामिद अंसारी को देश के प्रधानमंत्री से कोई दिक्कत है भी तो उन्होंने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर क्यों बदनाम करने का कार्य किया? उन्होंने बताया कि हामिद अंसारी द्वारा मातृभूमि के बारे में बोले गए शब्दों को लेकर विदेश मंत्रालय ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है।
वह कहते हैं कि इंडियन-अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के साथ हामिद शामिल हुए, उसका ट्रैक रिकॉर्ड हर कोई जानता है। इसी का इस्तेमाल करते हुए हामिद ने भारत को अनाप-शनाप बोला। इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल को संदिग्ध सूत्रों से फंड मिलता है और इसका संबंध पाकिस्तान खुफिया एजेंसियों से भी है। आगे की बातचीत में दीपक वोहरा ने हामिद अंसारी के उन कारनामों को उजागर किया जो उन्होंने अपने पद पर रहते हुए किए, फिर चाहे वो राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हो या फिर ईरान के राजदूतों को दिया गया धोखा हो।
क्या कहा था हमीद अंसारी ने?
बता दें कि गणतंत्र दिवस के मौके पर हामिद अंसारी ने देश के लोकतंत्र की आलोचना की थी और कहा था कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है और ये अब संवैधानिक मूल्यों से हट गया है। हिंदू राष्ट्रवाद पर चिंताव्यक्त करते हुए अंसारी ने भारत के ‘बहुलतावादी संविधान के संरक्षण’ पर भाषण दिया। उन्होंने कहा था, ‘‘हाल के वर्षों में हमने उन प्रवृत्तियों और प्रथाओं के उद्भव का अनुभव किया है, जो नागरिक राष्ट्रवाद के सुस्थापित सिद्धांत को लेकर विवाद खड़ा करती हैं और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक नई एवं काल्पनिक प्रवृति को बढ़ावा देती हैं। वह नागरिकों को उनके धर्म के आधार पर अलग करना चाहती हैं, असहिष्णुता को हवा देती हैं और अशांति और असुरक्षा को बढ़ावा देती हैं।’’ इसके साथ ही अंसारी ने खुद से ही अपनी पीठ भी थपथपाई और बताया कि उपराष्ट्रपति के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान देश की संसदीय प्रणाली और कानून पूरी तरह से पारदर्शी था।
इसके अतिरिक्त हामिद अंसारी ने इस देश के लिए क्या योगदान दिया था, इसका सार आपको PM मोदी के उस भाषण से भी मिल जायेगा, जो उन्होंने हामिद अंसारी के पद छोड़ने पर दिया था। हामिद अंसारी को उनकी क्षमता के अनुसार कई महत्वपूर्ण पद मिले, लेकिन हामिद अंसारी संवैधानिक पदों पर रहने के बावजूद अपनी कांग्रेसी मुस्लिम तुष्टीकरण वाली विचारधारा छोड़ ही नहीं पाए। इसी तरह ईरान में बतौर राजदूत उन्होंने खुफिया एजेंसी रॉ तक पर सवाल उठा दिए थे। उन्होंने बतौर उप-राष्ट्रपति मोदी सरकार के बिलों को भी राज्यसभा में पास करने में खूब अड़ंगा डाला। यही कारण था कि उन्होंने अपने आखिरी संबोधन में भी मुस्लिमों के प्रति रोना भी रोया था।
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इसके चलते प्रधानमंत्री ने उनकी आलोचना सांकेतिक शब्दों में की थी। पीएम ने संसदीय भाषा में ही उनके सारे कुकर्मों को उजागर कर दिया था। पीएम मोदी ने हामिद अंसारी के रवैए को लेकर कहा था, “कुछ छटपटाहट रही होगी भीतर आपके भी…लेकिन आज के बाद शायद वो संकट भी नहीं रहेगा।मुक्ति का आनंद भी रहेगा।आपकी मूलभूत जो सोच रही होगी उसके अनुसार कार्य करने का, सोचने का, मार्ग बताने का अवसर भी मिलेगा।”साफ शब्दों में कहें तो पीएम ने हामिद अंसारी को बिना हाथ उठाये एक करारा तमाचा जड़ा था और अब ऐसे में उनके विरुद्ध कार्रवाई करना उचित कदम है।