मुख्य बिंदु
- RSS से संबद्ध मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने शुरू किया डोर-टू-डोर संपर्क कार्यक्रम
- उत्तराखंड के 22 विधानसभा क्षेत्रों में अल्पसंख्यक समुदाय के समर्थन हेतु शुरू हुआ है भाजपा का डोर-टू-डोर कैंपेन कार्यक्रम
- डोर टू डोर कैंपेन की बदौलत लोगों का विश्वास जीतने में कामयाब रही है भाजपा
जनता से कैसे जुड़ा जाता है? और जनाधार कैसे तैयार किया जाता है? राजनीति शास्त्र की ये बातें अन्य पार्टियों को भाजपा से सिखनी चाहिए। भाजपा के डोर टू डोर कैंपेन का उद्देश्य पार्टी के विधायकों को अपने-अपने विधानसभा चुनाव क्षेत्रों में जाकर जनता के बीच अपना रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करना है। दरअसल, हाल ही में RSS की मुस्लिम शाखा ने उत्तराखंड के 22 विधानसभा क्षेत्रों में अल्पसंख्यक समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए डोर-टू-डोर संपर्क कार्यक्रम शुरू किया है, जहां मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी संख्या है।
इसी क्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने हरिद्वार, उधम सिंह नगर और देहरादून जिलों के निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम मौलवियों, विद्वानों और समुदाय के अन्य लोगों के साथ बैठकें चालू कर दी हैं। RSS के वरिष्ठ नेता और MRM के संस्थापक इंद्रेश कुमार ने बीते रविवार को सितारगंज में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के साथ बैठक की अध्यक्षता की।
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उत्तराखंड में RSS से संबद्ध MRM का डोर टू डोर कैंपेन
मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय संयोजक और मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने PTI को बताया, ”वह शनिवार को काशीपुर और खटीमा में ऐसी दो बैठकों और एक दिन पहले रुद्रपुर में एक बैठक में मौजूद थे।” उन्होंने दावा किया कि 14 प्रतिशत वोट शेयर के साथ मुसलमान 22 विधानसभा क्षेत्रों में प्रमुख हैं, जिनमें से 10 हरिद्वार में, 9 उधम सिंह नगर में और 3 देहरादून में हैं।
सईद ने कहा, “इन निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की अधिक संख्या है। उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के राजनीतिक माहौल का असर उत्तर प्रदेश के रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर और बरेली जिलों में भी होगा। हमारी महिला विंग डोर-टू-डोर संपर्क कार्यक्रम का नेतृत्व कर रही है। वे छोटे समूहों में समुदाय के सदस्यों तक यह संदेश देने के लिए पहुंच रहे हैं, ‘मोदी-धामी’ सरकार महिलाओं (मुस्लिम) के भविष्य के लिए बेहतर है।”
वहीं, इन जिलों में मुस्लिम मौलवियों, विद्वानों और समुदाय के अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ बैठकों की एक योजना बनाई गई है। इंद्रेश कुमार आगामी 4 फरवरी को रुड़की, पिरान कलियार और भगवानपुर में तीन बैठकों की अध्यक्षता करेंगे। मुस्लिम मतदाताओं विशेष तौर पर महिलाओं तक पहुंचने के लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने तीन जिलों में घर-घर जाकर संपर्क कार्यक्रम शुरू किया है। मुस्लिम मंच निवेदन पत्र का भी वितरण कर रहे हैं, जिसमें मोदी सरकार और उत्तराखंड में भाजपा सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए किए गए उपायों को सूचीबद्ध किया गया है। सईद ने कहा, “हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है क्योंकि केंद्र और राज्यों दोनों में भाजपा सरकारों ने मुसलमानों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए कई उपाय किए हैं।”
डोर टू डोर कैंपेन से विश्वास जीतने में कामयाब रही है भाजपा
विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले भाजपा संगठन के सबसे बड़े नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाकर घर-घर प्रचार किया। शाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश 143 सीटों पर अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ मजबूत लड़ाई के लिए भाजपा को तैयार कर रहें है। क्षेत्र के मतदाताओं से शाह की घर-घर जाकर मिलने से पहले उन्होंने जाट समुदाय के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की, जिनके समर्थन को इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना जाता है और उन्हें चुनावों में भाजपा का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया।
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बता दें कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश के प्रभावशाली जाट समुदाय ने 2014, 2017 और 2019 में पार्टी का समर्थन किया था लेकिन किसानों के विरोध को लेकर वो भाजपा के प्रति उदासीन हो गए। वर्ष 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने डोर टू डोर कैंपेन के माध्यम से सत्ता हासिल करने में पूर्णत: सफल रही थी। वहीं, पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भले ही जीत हासिल ना की हो किन्तु राज्य में पार्टी ने डोर टू डोर कैंपेन की बदौलत लोगों का विश्वास जीतने में कामयाब रही थी। पश्चिम बंगाल में भाजपा 77 सीटों पर जीत हासिल कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी। ऐसे में, कहा जा सकता है कि भाजपा का डोर टू डोर कैंपेन अन्य पार्टियों के लिहाजे से वोट प्रतिशत के मायने में बेहतर रहा है।