मोदी सरकार ने बदली भारतीय रेलवे के विकास की रफ्तार

UPA शासन में बदहाल थी व्यवस्था!

Indian railway and PM Modi

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भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। यह परिवहन के सबसे महत्वपूर्ण साधनों में से एक है। यह देश में अपने यात्रियों के साथ-साथ आर्थिक परिवहन को सेवाएं प्रदान करता है। यह भारत की औद्योगिक, उपभोक्ता और कृषि क्षेत्रों में विभिन्न वस्तुओं और ईंधन की ढुलाई करता है। इसलिए देश में समग्र परिवहन के विकास के लिए रेलवे का प्रबंधन महत्वपूर्ण है। लोगों की बढ़ती मांगों और प्रौद्योगिकी में सुधार के साथ, रेलवे को एक विषय के रूप में स्थिर नहीं, बल्कि सरकार द्वारा विकास की एक सतत प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है। रेलवे की स्थिति पहले क्या और कैसे थी, यह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन मौजूदा समय में भारतीय रेलवे देश के विकास में काफी उपयोगी साबित हो रहा है। पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारतीय रेलवे की दशा और दिशा दोनों बदली है।

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यूपीए के समय बदहाल थी व्यवस्था!

दरअसल, प्रत्येक राजनीतिक दल के घोषणापत्र में भारत में रेलवे में सुधार के लिए कार्यक्रम और योजनाएं शामिल हैं। हालांकि, सभी वादे पूरे नहीं होते हैं। विभिन्न सरकारों द्वारा किए गए सुधारों का विश्लेषण करके भारत में रेलवे की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। वर्ष 2014 से पहले का राजनीतिक स्थिरता का दशक, जिसमें यूपीए सत्ता में थी, रेलवे कभी उतना महत्वपूर्ण नहीं रहा। इस समय में मात्र 712 ट्रेनों का विस्तार किया गया और 306 ट्रेनों की फ्रीक्वेंसी बढ़ाई गई। ट्रैक मार्ग किलोमीटर में केवल 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो नई लाइनों के बजाय मात्र पुरानी के दोहरीकरण तक ही सीमित रहा। वर्ष 2004-05 के दौरान 234 दुर्घटनाएं हुई, हालांकि वर्ष 2012-13 में इसमें तेजी से गिरावट आई।

इसके अलावा और कई मामलों में जनता के बीच रेलवे के प्रदर्शन को लेकर लगातार असंतोष बना रहा। जिसमें सफाई, समयपालन, शिष्टाचार और आपदा प्रबंधन के मामले में सेवा की खराब गुणवत्ता, यात्री मोर्चे पर अपर्याप्त क्षमता और नई ट्रेन सेवाओं को शुरू करने की उत्सुकता आदि शामिल रहें। इसलिए रेलवे में यूपीए सरकार की विफलता ने एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार को रेलवे के लिए सुधार की आवश्यकता से अवगत कराया। वर्ष 2014 के चुनावों में एनडीए सरकार का आगमन हुआ, जिनके घोषणापत्र में भारत में रेलवे की स्थिति में सुधार के लिए रणनीति और वादे शामिल थे।

मोदी सरकार ने किया बेहतरीन काम

जब हम यूपीए सरकार और एनडीए सरकार के तहत रेलवे की स्थिति की तुलना करते हैं, तो हम दोनों के बीच तीव्र अंतर पाते हैं। जहां तक नए ट्रैक बिछाने और मार्ग बनाने का प्रश्न है, एनडीए के शासन के दौरान नई पटरियों को बिछाने, मौजूदा लाइनों के दोहरीकरण और नैरो गेज को ब्रॉड गेज में बदलने का काम तीन गुना हो चुका है। रेलवे ने वर्ष 2014-17 (एनडीए के शासन) के दौरान 7,666 किमी ट्रैक बिछाए हैं, जो वर्ष 2009-12 के बीच यूपीए की तुलना में 794 किमी अधिक है। इसलिए एनडीए के नेतृत्व वाली सरकार में काफी बदलाव लाया गया है। 400 वंदे भारत ट्रेन शुरू किए जा रहें हैं। 18000 किलोमीटर के रेलवे के विद्युतीकरण का कार्य भी अभूतपूर्व रहा और महामारी के समय में तो यह हमारी लाइफलाइन भी बना।

इसके साथ-साथ भारतीय रेलवे ने फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर तीन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लॉन्च किए। इसने यात्रा करने वाले यात्रियों को चिकित्सा, सुरक्षा और अन्य आपातकालीन सहायता के साथ लोक शिकायत प्रणाली प्रदान की। इसने आपात स्थिति के लिए यात्रा के दौरान मदद लेने के लिए अखिल भारतीय सुरक्षा और यात्री हेल्पलाइन नंबर क्रमशः 182 और 138 के रूप में शुरू की। इसने यात्रियों को आरक्षित टिकटों की स्थिति पर SMS प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए ‘एसएमएस गेटवे’ नामक एक योजना शुरू की।

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नई पीढ़ी की प्रणाली लागू की गई, जो प्रति मिनट 2000 टिकटों के बजाय 7200 ऑनलाइन टिकट बुक कर सकती है और 50,000 प्रति मिनट के बजाय 2,00,000 पूछताछ में भाग ले सकती है। स्लीपर क्लास में प्रति कोच दो लोअर बर्थ का आरक्षण कोटा वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए प्रति कोच चार लोअर बर्थ तक बढ़ा दिया गया है।

मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए भारत और जापान के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। भारतीय रेलवे ने वर्ष 2009-14 से 1528 किलोमीटर के औसत के मुकाबले 2015-16 में 2828 किलोमीटर ब्रॉड गेज लाइनों को चालू किया, जो अब तक का सबसे अधिक है। हालांकि, इन सभी उपलब्धियों के बावजूद, एनडीए सरकार के तहत भारतीय रेलवे को अभी भी कुछ कमियों/विफलताओं का सामना करना पड़ रहा है। विपक्ष इस बात को लेकर जोरदार तर्क देता है कि रेलवे में हादसों की संख्या बढ़ गई है। रेलवे की सुरक्षा के अभाव में हुई मौतों की जवाबदेही पर भी सवाल उठते रहे हैं। वे अक्सर तर्क देते हैं कि एनडीए सरकार बुलेट ट्रेन जैसी योजनाओं का भ्रम फैलाकर रेलवे सुरक्षा के मुख्य मुद्दों की अनदेखी करती है।

सरकार के प्रयासों के परिणाम अब दिखने लगे हैं

ध्यान देने वाली बात है कि रेलवे अपने यात्रियों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के लिए परिवहन का सबसे महत्वपूर्ण साधन है, इसलिए भारतीय रेलवे के रखरखाव का अत्यधिक महत्व होना चाहिए। वर्ष 2014 के बाद एनडीए के तहत शुरू की गई योजनाओं से काफी परिवर्तन देखने को मिला है और इसके लिए उन्हें श्रेय दिया जाना चाहिए। हालांकि, जिस क्षेत्र में उनकी कमी है वह योजनाओं का वास्तविक कार्यान्वयन है। इसलिए यात्रियों की सुविधा के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन में और कदम उठाए जाने चाहिए। अपने बुनियादी ढांचे के पहलू पर, भारतीय रेलवे को आने वाली तकनीक और नागरिकों की नई मांग के साथ सुधार करते रहना चाहिए। सरकार को देश के विकास के लिए रेलवे को पूरी तरह से सुधारना शुरू करना चाहिए, न कि केवल जनता की झूठी उम्मीदों को अपने घोषणापत्र में शामिल करने के लिए। शायद इसीलिए मोदी सरकार ने रेलवे को आम बजट में समाहित कर इसके लिए विशेष व्यवस्था की, जिसके परिणाम अब दिखने लगे हैं।

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