पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल का 10वां बजट (Budget 2022) आज मंगलवार को संसद में पेश हुआ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट (Union Budget 2022) को सुबह 11 बजे संसद में पेश किया। बजट को प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी पर भी बड़ा ऐलान किया। वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि डिजिटल करेंसी या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी को ब्लॉकचेन का उपयोग करके पेश किया जाएगा।
यह डिजिटल इकोनॉमी को बिग बूस्ट देगा। करेंसी मैनेजमेंट को ज्यादा इफीशिएंट और कम लागत वाला बनाएगा। इससे पहले, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अक्टूबर 2021 में डिजिटल रूप में मुद्रा को शामिल करने के लिए ‘बैंक नोट’ की परिभाषा के दायरे को बढ़ाने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन के लिए मंजूरी प्राप्त की थी। स्वयं भारत के लिए इसे आर्थिक क्षेत्र की डिजिटल युग की नई क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है।
CBDC में है लाभ देने की अपार क्षमता
दरअसल, केंद्र सरकार ने पहले कहा था कि “सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी” (CBDC) में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करने की क्षमता है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम करना। CBDC पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब देते हुए कहा कि “सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक सेंट्रल बैंक द्वारा पेश किया गया है। डिजिटल रूप में मुद्रा को शामिल करने के लिए ‘बैंक नोट’ की परिभाषा के दायरे को बढ़ाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन के लिए सरकार को अक्टूबर, 2021 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। RBI उपयोग के मामलों की जांच कर रहा है और सीबीडीसी को बिना किसी व्यवधान के शुरू करने के लिए चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति पर काम कर रहा है।”
डिजिटल मुद्रा के प्रभावों के आंकलन के सवाल पर जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस कदम से महत्वपूर्ण लाभ होंगे। उन्होंने कहा, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी में लाभ देने की अपार क्षमता है जिस पर सरकार गौर कर रही है। इससे कैश पर निर्भरता कम होगी, ट्रांजेक्शन का खर्च घटेगा, सेटलेंट का जोखिम घटेगा आदि। सीबीडीसी के माध्यम से देश में लीगल टेंडर पर आधारित एक बड़ा पेमेंट सिस्टम खड़ा करने में मदद मिलेगी। यह सिस्टम पूरी तरह से सक्षम, भरोसेमंद और रेगुलेटेड होगा. हालांकि इसके साथ कुछ खतरे भी जुड़े हैं जिनका बहुत गहराई के साथ मूल्यांकन किया जाना है।
निजी क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाएगी सरकार
आपको बता दें कि RBI ने देश में निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के बारे में वर्ष 2018 में एक अधिसूचना जारी की थी। जिसके बाद मोदी सरकार ने फरवरी 2021 में बजट सत्र के दौरान ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ पेश किया था, ताकि आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार किया जा सके। खबरों की मानें तो विधेयक में देश में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है। यह प्रस्ताव भी है कि अंतर्निहित तकनीक और इसके उपयोगों को बढ़ावा देने के लिए कुछ अपवादों को अनुमति दी जाए। हालांकि, मोदी सरकार ने इस पर पूरी प्रतिबंध नहीं लगाया है। उम्मीद जताई जा रही है कि अब भारत की अपनी डिजिटल करेंसी की घोषणा के बाद निजी क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाने हेतु प्रस्ताव भी पारित किए जा सकते हैं।
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क्रिप्टोकरेंसी से काफी अलग है डिजिटल करेंसी
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक का सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक लीगल टेंडर होगा। सीबीडीसी के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक का बैकअप होगा। यह आम मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा। जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी से भी आप लेनदेन कर सकेंगे। सरल शब्दों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे।
ध्यान देने वाली बात है कि डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में काफी अंतर है। सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है। इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है। इससे जारी करने वाले देश में खरीदारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, दूसरी ओर क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट है। यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है। बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2022-23 से जारी किए जाने वाले ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों का उपयोग करते हुए डिजिटल रुपया पेश करने का प्रस्ताव है। भारत की स्वदेशी डिजिटल करेंसी सबसे प्रतीक्षित घोषणाओं में से एक है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि अन्य क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर कैसे टैक्स लगाया जाएगा और क्या अन्य क्रिप्टो संपत्तियों के मुकाबले डिजिटल रुपए को विशेष लाभ मिलेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। देखा जाए तो यह एक ऐसे क्रांतिकारी परिवर्तन को जन्म देगी जैसा इंटरनेट ने 90 के दशक के बाद किया था। डिजिटल करेंसी डॉलर का विकल्प हो सकती है और भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय डिजिटल मुद्रा ही इस परिवर्तन की वाहक बने।