क्या हिजाब वास्तव में मुक्तिदायक है?

हिजाब विवाद की मानवशास्त्रीय और वंशावली समीक्षा!

मानव विकास महिलाओं के प्रति सबसे अधिक निर्दयी रहा है। यह विकास ही है जिसने पुरुषों को वह लाभ दिया जिसका वे वर्तमान में आनंद ले रहे हैं। हर महीने के सभी दिनों में समान शारीरिक शक्ति, मांसपेशियों की ताकत और समान ऊर्जा के स्तर ने पुरुषों को वह बनाया है, जो बे आज बन गए हैं।

गर्भावस्था ने महिलाओं को कम से कम 6 महीने के लिए स्थिर कर दिया, जबकि (पूर्व-विवाह युग) पुरुष जितनी चाहें उतनी महिलाओं के साथ सम्बन्ध बना उन्हें गर्भवती करने के लिए स्वतंत्र था। इससे पुरुषों को समाज में महिलाओं से अधिक श्रेष्ठता प्राप्त होने लगी।

अधिकांश मानवविज्ञानी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि कई प्राचीन संस्कृतियों का मातृवंशीय (मातृसत्तात्मक नहीं) अतीत रहा है। लेकिन आज कुछ गिनी-चुनी संस्कृतियों को छोड़कर, लगभग हर संस्कृति में पितृवंश अधिक प्रभावी रहा है। मानव जाति के शिकारी-संग्रहकर्ता दिनों में, पुरुष शिकार करता था और महिला फल एकत्र करती थी।  शिकार करना दैनिक दिनचर्या नहीं थी, लेकिन संग्रह करना थी। महिलाओं के पास बच्चे पैदा करने और उनके पालन-पोषण का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था।

इसके अतिरिक्त महिलाओं का ‘बोझ ढोने वाला पशुओं’ के रूप में भी प्रयोग किया जाता था। एक महिला भोजन, कंबल, अन्य जानवरों आदि के लिए वस्तु विनिमय की एक संपत्ति थी। जब अफ्रीका के बुशमैन ने पहली बार यूरोपीय पुरुषों और महिलाओं को देखा, तो उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि वे एक सफेद आदमी के बैल जैसी दिखती है (सफेद महिला)।

मानव के जीन (gene) में धर्म या संस्कृति नहीं होती है। उनके साथ मूल्य या विश्वास प्रणाली आगे नहीं बढती। वे बस अगले संस्करण (पीढ़ी) के लिए जानकारी कॉपी और पेस्ट करते हैं। मानव के अतीत के अनुभव जीन कोड में लिखे जाते हैं।

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इसी प्रकार अधीनता की संहिता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती जाती है। एक पुरुष की तुलना में एक महिला का ब्रेनवॉश करना अभी भी आसान है। उसी के अंगूठे से, उसके द्वारा, उसकी के लिए एक ऐसी रेखा बनाना अभी भी आसान है, जो उसी के लिए विनाशकारी भी हो सकती है। हिजाब भी इसी श्रेणी में आते हैं।

मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन मैं बता सकता हूँ कि हिजाब बिल्कुल भी सहज नहीं दिखते। मैं मास्क इसलिए पहनता हूं क्योंकि मुझे मजबूर किया जाता है, इसलिए नहीं कि मुझे पसंद है और यह निश्चित रूप से मुक्तिदायक नहीं है। यह हजारों वर्षों की अधीनता का परिणाम है कि जीन आज तक निरंतर धार्मिक ब्रेनवॉशिंग के साथ युग्मित हैं। मेरी विनम्र राय में, हिजाब का मुक्ति से कोई लेना-देना नहीं है। इसका सीधा सा मतलब है, पुरुष महिलाओं के लिए नियम निर्धारित करते हैं और महिलाएं आँख बंद करके इसका पालन करती हैं क्योंकि उन्हें यह विश्वास दिलाया गया है कि यह उसके अपने भले के लिए है और उसका आनुवंशिक इतिहास तुरंत उससे ऐसा करवा देता है।

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