गिद्ध दृष्टि और कुदशित सोच यह एक दूसरे के पूरक हैं। ऐसे लोग हर युग में रहे हैं जिन्हें अपने सुख के आगे किसी और की पीड़ा नहीं दिखती है, और वह व्यक्ति किसी भी जीव, मनुष्य या चीज़ को अपने उपभोग के लिए सही मानता है। इसके लिए चाहे उसे कोई भी सीमा क्यों न लांघनी पड़े। कुकृत्य करने वाला अनपढ़ भी हो सकता है और पढ़ा लिखा भी, बात इतनी सी है कि अपनी आपक के कारण वह व्यक्ति सामने वाले इंसान की ज़िंदगी की भी परवाह नहीं करता है। भारत में यौन अपराधों के ग्राफ में बीते कई वर्षों में बड़ा उछाल आया है, इसमें दक्षिण के राज्य बहुत प्रभावी रूप में सामने प्रस्तुत हुए हैं। इससे यह तो सिद्ध हो रहा है कि केरल और दक्षिण के कई राज्य भले ही शिक्षा के मामले में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले एक मजबूत स्थिति में हों पर ऐसी शिक्षा का क्या महत्व जो नैतिक मूल्यों का चीरहरण कर दे?
हाल ही का एक मामला बहुत चर्चित भी हुआ है, कोच्चि पुलिस ने बीते शुक्रवार को होटल व्यवसायी रॉय वायलट, शाइजू थंकाचन और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।
दरअसल, फोर्ट कोच्चि के होटल व्यवसायी रॉय वायलाट पर पिछले नवंबर में दो मॉडलों की मौत के संबंध में डिजिटल साक्ष्य नष्ट करने का आरोप लगाया गया था, अब उसपर पोक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। कोझिकोड की एक महिला की शिकायत पर ‘नंबर 18 होटल’ की मालिक वायलट को गिरफ्तार किया गया है। शिकायत है कि वायलट ने 20 नवंबर 2021 को अपने होटल में डीजे पार्टी के दौरान महिला की 17 साल की बेटी से छेड़छाड़ की थी।
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मॉडल की मौत के मामले में आरोपी सैजू थंकाचन और अंजलि भी कथित तौर पर मामले में शामिल हैं। पोक्सो मामला दर्ज करने वाली फोर्ट कोच्चि पुलिस ने वायलट की हिरासत मेट्रो पुलिस को सौंप दी है जो मॉडलों की मौत की जांच कर रही है। 1 नवंबर को शहर में एक कार दुर्घटना में मॉडल अंसी कबीर और अंजना शाजन की मौत हो गई थी। वे कुछ घंटे पहले नंबर 18 होटल में एक पार्टी में शामिल हुए थे।
यह कोई नई बात नहीं है कि पहले संगीन अपराध अंजाम दे दिया जाए और बाद में उसके सबूतों को ठिकाने लगा दिया जाए। रॉय वायलट ने कथित तौर पर मॉडल की मौत के सिलसिले में डिजिटल सबूतों को नष्ट कर दिया। दक्षिण राज्यों में बढ़ रहे यौन अपराधों की बात बेहद चिंताजनक तो है ही अपितु आंकड़े उससे भी अधिक भयावह हैं। राज्य पुलिस विभाग द्वारा हाल ही में संकलित आंकड़ों से पता चला है कि राज्य में पॉक्सो मामलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हालांकि 2019 में दर्ज ऐसे मामलों की संख्या 3,609 थी, लेकिन 2020 में यह संख्या घटकर 3,019 हो गई, जाहिर तौर पर इसका एकमात्र कारण कोविड से संबंधित लॉकडाउन और प्रतिबंध ही थे। हालांकि, 2021 में यह संख्या बढ़कर 3,549 हो गई। 2021 में दर्ज किए गए सबसे अधिक मामले मलप्पुरम (457) में थे, इसके बाद तिरुवनंतपुरम (434) और एर्नाकुलम (327) थे। राज्य में बड़ी संख्या में पोक्सो मामले सामने आ रहे हैं।
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हालांकि, यह देखा गया है कि केवल कुछ लोग ही ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने के लिए आगे आते हैं, जबकि अन्य बच्चों के भविष्य के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए सेटलमेंट करने के लिए विवश हो जाते हैं। चूंकि पॉस्को मामलों में मुकदमे में लंबा समय लगता है, इसलिए पीड़ित परिवार आशंकित हो जाता है और अक्सर समझौता कर लेता है। पोक्सो और बलात्कार के मामलों से निपटने के लिए अतिरिक्त फास्ट-ट्रैक अदालतें स्थापित करने के लिए राज्य कैबिनेट के हालिया फैसले से ऐसे मामलों के त्वरित निपटान में मदद मिलेगी।
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आंकड़ों पर गौर किया जाए तो वह तस्दीक करने के लिए काफी हैं कि राज्य में शिक्षा और शिक्षित लोगों की संख्या तो बढ़ गई है पर नैतिक सिद्धांत धरातल पर हैं। अपनी हवस के आगे आरोपी को और कुछ भी नहीं दिखता जिसकी पूर्ति के लिए वह अंततः पीड़ित/पीड़िता को मार भी डालता है। यह और कुछ नहीं जड़ पर अगार रखने वाली बात है अर्थात नींव में ही खोट मिश्रित होना, यदि पढ़ने-लिखने के साथ-साथ व्यक्ति को जन्म से ही उसके और अन्य व्यक्तियों के प्रति सम्मान और आदर की भावनाएं जागृत की होती तो शायद इन अपराधों में ऐसा उछाल नहीं आता। 96.2 प्रतिशत साक्षरता वाले प्रदेश केरल में बढ़ रहे POCSO के मामलें बेहददुर्भाग्यपूर्ण हैं और निश्चित रूप से इसपर एक सख्त कानून लाने की आवश्यकता है जिसका अनुपालन भी 100 प्रतिशत सुनिश्चित किया जाए।