महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवसेना राज्य के प्रतीकों और महान हस्तियों की चिंता करने का पाखंड करती है। हाल ही में, भारत की सुर कोकिला लता मंगेशकर के निधन के उपरांत राज्य की विपक्षी पार्टी भाजपा ने बीते सोमवार को शिवाजी पार्क में उनके लिए एक उपयुक्त स्मारक की मांग की। भाजपा विधायक राम कदम ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर ‘राष्ट्रीय गौरव’ एवं भारत रत्न लता दीदी के स्मारक की मांग की है, जो अब हमारे बीच नहीं हैं।
सुर कोकिला की याद में स्मारक बनाने की मांग
दरअसल, भाजपा विधायक राम कदम ने अपने पत्र में लिखा, “उनके लिए एक अधिक उपयुक्त श्रद्धांजलि उसी प्रतिष्ठित शिवाजी पार्क में लता दीदी-जी को समर्पित एक स्मारक बनाना होगा। इसके लिए दुनिया भर में उनके लाखों चाहने वालों के बीच एक बढ़ती मांग है। एक स्मारक भावनात्मक प्रशंसकों के लिए पवित्र स्थान के रूप में काम कर सकता है जहां उनके प्रशंसक उनकी स्मृति को श्रद्धांजलि दे सकते हैं।”
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इस मांग पर जवाब देते हुए शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने कहा कि “लता दीदी पूरी दुनिया की थीं और महाराष्ट्र सरकार और केंद्र इस पर जरूर विचार करेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि “लता मंगेशकर का स्मारक बनाना कोई आसान काम नहीं है क्योंकि वह एक राजनेता नहीं थीं।वह ‘हमारे देश और पूरी दुनिया’ की थीं।” हालांकि, उन्होंने राज्य में स्मारक बनाए जाने की बात भी कही। वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी इस मांग का समर्थन किया था।
महाविकास अघाड़ी ने किया विरोध
वहीं, इस कदम का विरोध उनकी अपनी ही पार्टी के साथ-साथ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) और वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) से भी हुआ है। कांग्रेस नेता संजय लाखे पाटिल, मनसे नेता संदीप देशपांडे और वंचित बहुजन अघाड़ी प्रमुख प्रकाश अंबेडकर उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि जमीन की पवित्रता को बरकरार रखा जाना चाहिए। मनसे नेता संदीप देशपांडे ने राजनेताओं से अनुरोध किया कि वे जमीन को क्षुद्र राजनीति में न घसीटें। उन्होंने ट्वीट किया, “छत्रपति शिवाजी महाराज पार्क को अतिक्रमण से बचाने के लिए दादर वासियों ने लंबे समय तक संघर्ष किया है। मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि अपनी तुच्छ दलगत राजनीति के लिए शिवाजी पार्क का त्याग न करें।”
वहीं, प्रकाश अम्बेडकर ने कहा कि हालांकि मंगेशकर एक महान गायक थीं लेकिन जमीन को छेड़ा नहीं जाना चाहिए। यहीं पर अंबेडकर ने लता मंगेशकर जी की तुलना शिवाजी से कर दी। उन्होंने कहा, “हम सभी ने अपना बचपन शिवाजी पार्क में बिताया है और हमें उस मैदान को संरक्षित करने की जरूरत है, जिसने महान क्रिकेटरों को जन्म दिया है। स्मारक लता दीदी के कद के अनुरूप कहीं भी बनाया जा सकता है।” हालांकि, इस कदम का कई भाजपा नेताओं ने भी विरोध किया है।
महाविकास अघाड़ी सरकार की ओछी मानसकिता
बताते चलें कि कांग्रेस नेता लाखे पाटिल ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “इस मैदान को छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर प्रतिष्ठित किया गया है और हर दिन हजारों खिलाड़ी अभ्यास करते हैं और सैकड़ों प्रकार के खेल सीखते हैं। इस खुले स्थान और इसकी पवित्रता को बनाए रखना कांग्रेस पार्टी सहित सभी का कर्तव्य है।” उन्होंने कहा कि शिवाजी पार्क में मंगेशकर के स्मारक की मांग ने शिवाजी महाराज का सम्मान करने वालों की भावनाओं को आहत किया है। मुंबई में मंगेशकर के पिता और संगीत उस्ताद पंडित दीनानाथ मंगेशकर के स्मारक के लिए भूमि आवंटित करने के राज्य सरकार के फैसले का जिक्र करते हुए लाखे पाटिल ने कहा कि स्मारक वहां बनाया जा सकता है।
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इसके कुछ देर बाद ही कांग्रेस नेता नाना पटोले ने बीते मंगलवार को स्मारक को लेकर कहा, “हर किसी की अपनी राय हो सकती है, लेकिन वे सभी स्मारक की अपनी मांग में एकजुट हैं। कांग्रेस को लगता है कि एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्मारक बनाया जाना चाहिए… शिवाजी पार्क या इसके लिए किसी विशेष स्थान के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लताजी का स्मारक जहां भी बनेगा, लोग वहां जाएंगे। सरकार को तय करने दें (यह कहां किया जाना है)।” ऐसे में, यह कहना उचित होगा कि लता मंगेशकर के स्मारक को लेकर खड़ा हुआ यह विवाद शिवसेना सहित महाविकास अघाड़ी गठबंधन की ओछी मानसकिता को स्पष्ट करता है।