ये आतंकियों के गालों पर दिल्ली के चांटे होते
गर हमने दो के बदले में बीस शीश काटे होते,
बार- बार दुनिया के आगे हम ना शर्मिंदा होते
और हमारे सारे सैनिक सीमा पर ज़िंदा होते…
सुप्रसिद्ध कवि हरिओम पवार द्वारा रचित यह पंक्तियां पुलवामा हमले के ठीक बाद सामने आई थी। जब वीरों की शहादत की वजह से लोगों का खून उबाल मार रहा था, ऐसे समय में कवि हरिओम पंवार ने एक कविता लिखी, जो युद्ध के बाद देशवाशियों के एहसासों और गुस्से को बखूबी बयां करती है। आज पुलवामा हमले के 3 साल पूरे हो गए हैं। आज का दिन भारतीय इतिहास के किसी काले अध्याय से कम नहीं है। इस आर्टिकल में हम भारत पर लगे उस जख्म से परिचित होंगे, जिससे आज भी हर भारतवासी का दिल छलनी है और देश आज भी उन जख्मों को भूला नहीं पाया है।
पुलवामा हमला और भारत का बदला
दिन था गुरुवार, तारीख 14 फरवरी 2019 यानी वैलेंटाइन डे और समय करीब दोपहर के 3.30 बज रहे थे। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 2500 जवानों को लेकर 78 बसों में सीआरपीएफ का काफिला गुजर रहा था। सामान्य दिन की तरह ही उस दिन भी सीआरपीएफ के वाहनों का काफिला अपनी धुन में जा रहा था। हालांकि, घाटी में आतंकी गतिविधियों को देखते हुए काफिले में चल रहे सभी सुरक्षाकर्मी सतर्क थे। सड़क पर उस दिन भी सामान्य आवाजाही थी। सीआरपीएफ का काफिला पुलवामा पहुंचा ही था, तभी सड़क के दूसरे साइड से सामने से आ रही एक कार ने सीआरपीएफ के काफिले के साथ चल रहे वाहन में टक्कर मार दी। जैसे ही सामने से आ रही एसयूवी जवानों के काफिले से टकराई और जब तक सीआरपीएफ के जवान कुछ समझ पाते, तब तक विस्फोटकों से लदी इस कार ने ऐसा धमाका किया, जिससे पूरा देश दहल उठा। और इस तरह 14 फरवरी का दिन भारत के इतिहास में काला दिन साबित हो गया। आज उसी पुलवामा अटैक की तीसरी बरसी है।
सड़क की दूसरी तरफ से आकर आतंकी की कार ने सीआरपीएफ जवानों के काफिले के एक वाहन में टकराकर ऐसा धमाका किया, जिसमें न सिर्फ जवान शहीद हुए, बल्कि बस के परखच्चे उड़ गए। यह हमला था या फिर कुछ और….यह बात भारतीय जवान जब तक समझ पाते आतंकियों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इसके बाद भारतीय जवानों ने भी तुरंत पोजिशन ली और काउंटर फायरिंग शुरू कर दी। सीआरपीएफ जवानों की फायरिंग को देख आतंकी वहां से भाग निकले।
धमाका इतना जबरदस्त था कि कुछ देर तक सब कुछ धुआं-धुआं हो गया। जैसे ही धुआं हटा, वहां का दृश्य इतना भयावह था कि इसे देख पूरा देश रो पड़ा। उस दिन पुलवामा में जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जवानों के शव इधर-उधर बिखरे पड़े थे। चारों तरफ खून ही खून और मांस के टुकड़े दिख रहे थे। जवान अपने साथियों की तलाश में जुट गए। तुरंत पूरे देश में हाहाकार मच गया, क्योंकि तब तक हमारे देश के 40 बहादुर जवान शहीद हो चुके थे। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आत्मघाती हमलावर ने इस घटना को अंजाम दिया था।
इस कायरतापूर्ण हमले के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा बलों को पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में उनकी प्रतिक्रिया का समय, स्थान और प्रकृति चुनने की अनुमति है। वह जैसे चाहे वैसे काम कर सकते हैं। पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन बाद 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान स्थित बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक कर दिया। इस एयरस्ट्राइक में भारतीय वायुसेना ने इतनी बमवर्षा की कि उसके आतंकी ठिकाने पूरी तरह से ध्वस्त हो गए और करीब 300 आतंकवादी मारे गए। इस तरह से भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में आतंकी शिविरों को नेस्तनाबूत कर पुलवामा अटैक का बदला ले लिया।
और पढ़ें: पुलवामा आतंकी हमला: TOI ने की बेहद घटिया रिपोर्टिंग, आतंकी को बताया ‘लोकल यूथ’
पूरी दुनिया ने देखी पाकिस्तान की औकात
पुलवामा हमला सिर्फ आतंकी हमला नहीं था। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की औकात दिखाने वाला हमला था। जब सामने से लड़ने की हिम्मत नहीं हुई, तो पाकिस्तान ने पीठ पीछे हमला किया। शुरुआत में पाकिस्तान की सहभागिता नाकारे जाने के बाद बाद में पाकिस्तान इसे अपनी उपलब्धि बताने लगा। एक सनसनीखेज स्वीकारोक्ति में, अक्टूबर 2020 में एक वरिष्ठ पाकिस्तानी मंत्री ने स्वीकार किया कि 2019 में जम्मू और कश्मीर में पुलवामा आतंकवादी हमले के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार था। जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए और दोनों देशों को युद्ध के कगार पर ला दिया। पाकिस्तान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने नेशनल असेंबली में कहा था कि “हमने हिंदुस्तान को घुस के मारा (हमने भारत को उनके घर में मारा)। पुलवामा में हमारी सफलता, इमरान खान के नेतृत्व में इस देश की सफलता है। आप और हम सभी उस सफलता का हिस्सा हैं।”
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी चौधरी ने विपक्षी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता अयाज सादिक के बयान के एक दिन बाद टिप्पणी करते हुए कहा था कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक महत्वपूर्ण बैठक में भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर को रिहा करने का अनुरोध किया था। यह विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान थे, जिन्हें पाकिस्तानी सेना ने 27 फरवरी, 2019 को उनके मिग -21 बाइसन जेट को पाकिस्तानी जेट के साथ डॉगफाइट में मार गिराए जाने के बाद पकड़ लिया था।
पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली थी और काकापोरा के हमलावर आदिल का एक वीडियो भी जारी किया था, जो एक साल पहले ही उनके समूह में शामिल हुआ था। ध्यान देने वाली बात है कि 22 वर्षीय आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद दार ने विस्फोटक से लदे वाहन को बस में टक्कर मार दी थी। पुलवामा आतंकी हमले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा भेजी गई 12 सदस्यीय टीम ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ काम किया। प्रारंभिक जांच ने सुझाव दिया कि कार में 300 किलोग्राम (660 पाउंड) से अधिक विस्फोटक थे, जिसमें 80 किलोग्राम (180 पाउंड) आरडीएक्स, एक उच्च विस्फोटक और अमोनियम नाइट्रेट शामिल थे।
और पढ़ें: अर्नब ही नहीं, देश की 130 करोड़ जनता भी जानती थी कि पुलवामा के बाद क्या होने वाला है
कश्मीरी युवक था आदिल दार
आपको बता दें कि आदिल दार एक कश्मीरी युवक था। उसके जैसे न जाने कितने आदिल दार अभी भी जिंदा हैं। पुलवामा सिर्फ एक हमला नहीं बल्कि एक सीख है। यह सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल न बिठा पाने के कारण हुई समस्या है। यह आपसी तालमेल की हार है। हालांकि, मोदी सरकार इसके समाधान की ओर कदम बढ़ा चुकी है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद, भारत सरकार ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में डालने के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) से आग्रह किया।
FATF ने इसे ‘ग्रे लिस्ट’ में रखने का फैसला किया और पाकिस्तान को निर्धारित 27 शर्तों का पालन करने के लिए अक्टूबर 2019 तक का समय दिया, जब उसे एक चेतावनी के साथ ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया गया था। और ये भी स्पष्ट कर दिया गया था कि यदि पाकिस्तान अनुपालन करने में विफल रहता है, तो उसे ब्लैकलिस्ट में डाल दिया जाएगा। हालांकि, पाक अभी भी ग्रे-लिस्ट में ही है।
इस घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को जैसा सहयोग मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। हमारे नीतियों के भारतीयकरण की कितनी आवश्यकता है, यह उस समय समझ में आया। जब तक भारत समस्या के बड़ा होने से पहले आदिल दार जैसों को सख्त संदेश नहीं देगा, तब तक भारत पुलवामा जैसे दंड भुगतता रहेगा। न जाने कितने पुलवामा हमले के बाद हम समझेंगे कि न भूलेंगे न माफ करेंगे से ज्यादा आवश्यक है कि न गलत करने देंगे और न ही गलत करने पर किसी की सुनेंगे!