कुछ ही दिन पूर्व उद्योगपति और ‘बजाज ग्रुप’ के चेयरमैन राहुल बजाज का असामयिक निधन हो गया. वे निमोनिया और हृदय की दोहरी समस्या से जूझ रहे थे. राहुल बजाज जमनालाल बजाज के प्रतिष्ठित परिवार से थे, जिन्होंने बजाज उद्योग की सम्पूर्ण नींव स्थापित की थी. जमनालाल बजाज बहुत बड़े गांधी भक्त भी थे, और यूं समझ लीजिये, साबरमती आश्रम की स्थापना से लेकर उसकी सेवा सुश्रुषा सब उनकी देख रेख में ही होता था.
लेकिन राहुल बजाज का उद्योग एवं उद्यमिता के साथ छत्तीस का आंकड़ा कैसे था? दरअसल, उदारीकरण यानी वर्ष 1991 से पूर्व भारत में गिने-चुने पूंजीवादी हुआ करते थे – टाटा, बिरला, और बजाज. टाटा दिखने में तो वैश्विक थी और कई वर्ल्ड क्लास कंपनी भी बनाना चाहती थी, अधिकतम कंपनियां सुरक्षित वातावरण की आड़ में रहकर अपना ‘धंधा पानी’ बचाना चाहती थी और बजाज ग्रुप इसका सबसे अधिक लाभ उठाता था. हर कोई धीरुभाई अंबानी तो था नहीं कि सारे सिस्टम को धता बताकर अपना रास्ता खुद बनाएं! अब मौजूदा समय में राहुल बजाज के निधन के बाद कुछ अति उत्साही लोग सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर यह दावा कर रहे हैं कि मानों राहुल बजाज से साहसी कोई था ही नहीं।
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इस घृणा की जड़े बहुत गहरी हैं!
ध्यान देने वाली बात है कि जिसके जीवन भर का योगदान सिर्फ एक औसत टैग हो “हमारा बजाज” और जिसके स्कूटर की गुणवत्ता पर लोग मन ही मन बजाज को लाख अपशब्द कहें, आप उस व्यक्ति को PM मोदी के विरुद्ध ‘एक सशक्त आवाज़’ मानते हो? इसी बात पर TFI संस्थापक अतुल मिश्रा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक वीडियो शेयर करते हुए कहा, “मोदी विरोधी इसे बड़ी प्रसन्नता से शेयर कर रहे हैं, और इन्हें एक दमदार व्यक्ति के रूप में सिद्ध कर रहे हैं. मेरा कुछ और मानना है. जो कुछ भी गलत हो रहा था, बजाज उसका पर्याय है. बजाज ने दोयम दर्जे के स्कूटर बनाए जो भारतीयों ने गर्व से चलाये. असल में कोई प्रतिस्पर्धा ही नहीं था!” –
Modi haters are sharing this video with glee, calling Rahul Bajaj the only man with a spine.
I have an alternate take. Bajaj was everything that was wrong with India. Bajaj made substandard scooters that Indians rode with pride. Reason: There was no competition.
Cont… pic.twitter.com/OuFadwwTJd
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) February 13, 2022
इस घृणा की जड़ें बहुत गहरी हैं, और बात केवल मोदी सरकार से संबंधित नहीं है. जब उदारीकरण प्रारंभ हुआ, तो इसके सर्वप्रथम विरोध करने करने वाले दल की अगुआई राहुल बजाज जैसे उद्योगपतियों ने की थी, क्योंकि बजाज ग्रुप, पार्ले ग्रुप, टाटा ग्रुप जैसे लोगों को लगने लगा कि अब उनका एकाधिकार ख़त्म हो जायेगा. बाकी सब तो कम मुखर थे, परन्तु बजाज ग्रुप सबसे अधिक आक्रामक होकर नरसिम्हा राव सरकार पर लगभग टूट ही पड़ा था, जिसका उल्लेख लेखक विनय सीतापति ने अपनी पुस्तक ‘Half – Lion : How PV Narasimha Rao transformed India’ में भी किया है.
राहुल बजाज की हठधर्मिता
लेकिन बकरे की अम्मा आखिर कब तक खैर मनाती? पिछले तीन दशकों में, उक्त कंपनियों, विशेषकर बजाज ग्रुप का मार्केट शेयर नीचे ही गिरता जा रहा है. नई कंपनियों के सामने धीरे-धीरे बजाज की रही सही छवि भी धूमिल होती जा रही है. एक समय यह कंपनी अपनी घटिया टू व्हीलर्स के साथ देश पर राज करती थी, और अब आधुनिक युग में यह कंपनी टॉप-5 में भी बड़ी मुश्किल से जगह बना पाती है. लेकिन राहुल बजाज की हठधर्मिता ने स्थिति को बाद में और बदतर बना दिया. चाहे सामान्य बाइक उद्योग हो या फिर EV, इस कंपनी को हीरो और होंडा तक पछाड़ चुके हैं. जिस प्रकार से एक से बढ़कर एक विदेशी कंपनियां और कुछ बेहतरीन देसी कंपनियां हर क्षेत्र में बजाज को प्रतिस्पर्धा देने के लिए तैयार है, उससे इतना तो स्पष्ट है कि राहुल बजाज अपने पीछे एक खाली और अधूरी विरासत छोड़ गए हैं!
this is true in every field……….why single him out??????? modi wants cong mukt bharat?????????………..first thing dhoni did after becoming captain was……………..finishing the carrears of all players who could pose a challenge to his captaincy………………anyone becoming CM………ensures that no leader even from his own party…………..gets to that status…………….it is human nature…………..I have a monopoly shop in a market……………would I give a red carpet welcome to another five of my competitiors……………..I have seen fighting even amongst………..the hawkers………..to save their monopoly………………I agree with most of the content regarding the products provided by bajaj…………but the title is misleading……………….this is true for each and every business…………..everyone loves monopoly…………….