भारतीय शादियों के ‘फूफा जी’ के समान हो गई है नवजोत सिंह सिद्धू की स्थिति!

कांग्रेस पार्टी ने अपने साथ-साथ 'सिद्धू' को भी डूबा दिया!

सिद्धू कांग्रेस

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पंजाब विधानसभा चुनाव HBO के धारावाहिक गेम ऑफ थ्रोन्स की तरह मजेदार हो गया है। इसमें सबसे हास्यास्पद कांग्रेस पार्टी की स्थिति है, क्योंकि उसकी रैलियों में एक के बाद एक ऐसे घटनाक्रम हो रहे हैं जो कांग्रेस को हंसी का पात्र बना रहे हैं। पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू की खींचतान हुई, कैप्टन कांग्रेस पार्टी से अलग हो गए, जिसके बाद सिद्धू की जगह चन्नी मुख्यमंत्री बने, उन दोनों में खींचतान शुरू हो गई। फिर चुनाव पूर्व चन्नी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस चुनाव में उतरी, तो सिद्धू की बेटी और पत्नी ने पार्टी आलाकमान के निर्णय से नाराजगी दिखाई। अब तो एक चुनावी रैली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की मौजूदगी में पहले सिद्धू का अपमान करते हुए वक्ता ने उनके लिए नारे नहीं लगवाए, जिसके बाद सिद्धू ने पलटकर बदला लेने के लिए बार-बार बुलाने के बाद भी मंच पर भाषण देने से मना कर दिया।

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जानें क्या है पूरा मामला?

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पंजाब के संगरूर जिले के धूरी विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी रैली में कांग्रेस उम्मीदवार दलवीर सिंह गोल्डी के लिए प्रचार करने पहुंची थी। इस रैली में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी मौजूद थे। रैली की शुरुआत में वक्ता ने जब नारेबाजी शुरू करवाई, तो प्रियंका गांधी, चन्नी और गोल्डी के लिए नारे लगवाए, लेकिन सिद्धू को भूल गई या जान बूझकर उनके नाम के नारे नहीं लगवाए! इसपर सिद्धू ऐसे चिढ़े कि गोल्डी के पक्ष में भाषण तक देने नहीं उठे।

ध्यान देने वाली बात है कि सिद्धू की बेटी ने पिछले दिनों चरणजीत सिंह चन्नी को भ्रष्टाचारी करार दिया था। वहीं, दूसरी ओर सिद्धू की पत्नी ने इशारे-इशारे में यह बात कही थी कि उनके पति मुख्यमंत्री पद के लिए चरणजीत सिंह चन्नी की अपेक्षा अधिक योग्य उम्मीदवार थे। सिद्धू ने मुख्यमंत्री बनने के लिए ही भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस का दामन थामा था। सिद्धू की बगावत के कारण ही कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे बड़े नेता को कांग्रेस छोड़नी पड़ी। जब कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच तलवारें खिंची थी, तो कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की शक्ति को कुचलने के लिए सिद्धू का साथ दिया था। किंतु जैसे ही कैप्टन ने पार्टी छोड़ी, कांग्रेस नेतृत्व ने सिद्धू को किनारे लगाना शुरू कर दिया। ये कहा जा सकता है कि सिद्धू का यूज एंड थ्रो की नीति के अनुसार प्रयोग किया गया है।

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सिद्धू का लगातार किया जा रहा है अपमान!

एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस रैली में भाषण देने से मना किया वह धूरी विधानसभा में हो रही थी, इसी विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भगवंत मान भी चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में सिद्धू और चन्नी की लड़ाई का धूरी विधानसभा में इस प्रकार सामने आना पार्टी के लिए नुकसानदेह होगा। इस खींचतान का एक दूसरा पहलू यह भी है कि सिद्धू का अपमान प्रियंका गांधी की मौजूदगी में हुआ है। पंजाब कांग्रेस में चल रही गुटबाजी में सिद्धू को राहुल गांधी और चन्नी को प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है। राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी के गुट के दबाव में आकर सिद्धू का नाम मुख्यमंत्री पद के रूप में आगे नहीं बढ़ाया, किंतु इसके बाद भी प्रियंका गांधी के गुट द्वारा सिद्धू का लगातार अपमान किया जा रहा है!

यह घटना कांग्रेस आलाकमान में चल रहे अंतरकलह को भी दर्शाती है कि किस प्रकार कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी के लोगों को कमजोर करके प्रियंका गांधी को मजबूत बनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश चुनाव में जिस प्रकार प्रियंका गांधी कांग्रेस का चेहरा बनी, उसे देख कर कोई भी यह समझ सकता है कि कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी के नेतृत्व को नकारा जा रहा है। राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रचार भी नहीं करने दिया जा रहा है। कांग्रेस के पुराने नेता पहले ही राहुल गांधी के खिलाफ बगावत कर चुके हैं। ऐसे में पंजाब का यह कलह आने वाले समय में बढ़कर गांधी परिवार के बीच टकराव का कारण भी बन सकता है।

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