भारत की राजनीति निकृष्टता के नित नए आयाम छुते जा रही है। इसका प्रमुख कारण है विपक्षी नेताओं का भय, लोभ, पद और मोह। मोदी की सफलता और उनके पीछे जनता के समर्थन को वो पचा नहीं पा रहे हैं। वे यह समझ नहीं पा रहे हैं कि ‘मोदी मैजिक’ जैसा कुछ नहीं है बल्कि जनता उनके नकारेपन, मुस्लिम तुष्टीकरण और स्वार्थ से इतना त्रस्त हो चुकी है कि मोदी उन्हें मैजीसीयन (magician) की तरह लगते हैं। पर, विपक्षी नेता ये मानने को तैयार नहीं हैं। वहीं, हद तो ये हो गई है कि विपक्षी नेता मोदी और हिन्दू विरोधी होने के साथ अब राष्ट्र विरोधी भी बन गए हैं। इससे ना सिर्फ वो मोदी को राष्ट्रवादी बल्कि खुद को राष्ट्रविरोधी साबित कर स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने लगे हैं।
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ऐसे नेता जो मोदी विरोधी थे और अब राष्ट्र विरोधी भी हैं
दरअसल, ममता बनर्जी ने मई 2017 में एक बैठक में कहा था कि इस धरती पर पैदा होना उनके लिए शर्म की बात है। ममता ने कहा था, “सब रिलीजंस को मिलकर शांति बनाकर रखना चाहिए ना कि तलवार लेकर डराना, शर्म की बात है कि मैं इस धरती पर पैदा हुई। पिछले दिनों भारतीय वायु सेना के बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद ममता ने इस कार्रवाई के सबूत मांगे थे, ममता ने सवाल किया था, “कुछ मीडिया रिपोर्ट कह रही है कि 300 लोग मरे, हम सच जानना चाहते हैं, उन्होंने कहां बम गिराए? क्या बम टारगेट पर गिरे? अंतरराष्ट्रीय मीडिया कह रहा है कि बम अपना टारगेट मिस कर गए और कोई नहीं मरा! सच क्या है?”
Sab religions ko mil kar shanti banakar rakhna chahiye,na ki talwaar lekar darana.Sharam ki baat hai ki main iss dharti par paida hui:WB CM pic.twitter.com/F9Njwbwv1e
— ANI (@ANI) May 11, 2017
ममता बनर्जी
ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जबरन वसूली करने वाला टोलबाज करार देते हुए कहा है कि उन्होंने नोटबंदी के जरिए बलपूर्वक लोगों का धन हथिया लिया। मई 7, 2019 को उन्होंने कहा कि उनका पीएम मोदी को थप्पड़ मारने का मन करता है। विकास कार्यों को लेकर ममता के कथनी और करनी में आसमान-जमीन का फर्क है किंतु जब बात राष्ट्र-विरोध की आती है तब ममता के कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं दिखता। अपनी जीत के बाद उन्होंने ना सिर्फ हिंदुओं का कत्लेआम किया बल्कि वोट के लिए रोहिंग्या मुसलमानों को बंगाल में बसाने का भी काम किया। इतना ही नहीं जब मोदी ने बंगाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए BSF के अधिकार क्षेत्र को सीमा के 50 किलोमीटर अंदर तक करने का कानून पारित किया तब ममता ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में इसके विरोध में प्रस्ताव पारित करवाया।
#WATCH West Bengal CM Mamata Banerjee in Purulia: Money doesn't matter to me.That is why when Narendra Modi came to Bengal and accused my party of being Tolabaaz (Toll collector), I wanted to give him a tight slap of democracy pic.twitter.com/JnE5xywWJI
— ANI (@ANI) May 7, 2019
चन्नी, सिद्धू और केजरीवाल
ममता बनर्जी के बाद दूसरा नाम आता है कांग्रेस शासित राज्य पंजाब का। पूरे देश ने देखा की मोदी और भाजपा के प्रति अपने राजनीतिक दुराग्रह की कैसी निकृष्ट अभिव्यक्ति चन्नी और सिद्धू ने की। ना सिर्फ देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा को ताक पर रख दिया गया बल्कि सिद्धू का पाक प्रेम भी जगजाहिर है। कमर बाजवा से गले मिलने वाले और इमरान को अपना भाई बतानेवाले सिद्धू और चन्नी ने मिलकर लाल किले को कब्जे में लेनेवाले किसानों को पुरस्कृत भी किया। इन्हीं दोनों के शह पर खलिस्तान पंजाब में वापिस फलने-फूलने लगा है।
मोदी को हारने के लिए ये दोनों ऐसी राष्ट्रविरोधी कट्टरता को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसमे केजरीवाल भी शामिल हैं। दिल्ली के लोगों के हितों के लिए काम करने का ढोंग करनेवाले केजरीवाल ने ना सिर्फ दिल्ली को दंगाइयों का बंधक बनवा दिया अपितु अपनी ही पार्टी के ताहिर हुसैन से लेकर अमानतुल्ला खान के साथ-साथ दंगाई किसानों को भी संरक्षण प्रदान किया।
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के. चंद्रशेखर राव
इस कड़ी में तीसरा नाम है, के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) जो तेलंगाना के मुख्यमंत्री है। उन्होंने कहा कि संविधान हमारे मानकों पर खरा नहीं उतरा है और इसे फिर से लिखने की आवश्यकता है। हाल ही में, भारत के पीएम के प्रति अपने प्रोटोकॉल की अवहेलना करते हुए KCR मोदी को रिसीव करने भी नहीं पहुंचे अर्थात चन्नी की कहानी उन्होंने भी दोहराई। इसी तरह की हरकत तमिलनाडु और केरल के मुख्यमंत्री भी करने लगे हैं, जो मोदी विरोध में हिन्दू और हिंदुस्तान विरोधी हो चुके हैं। ऐसे में, इन नेताओं को ये समझना होगा कि मोदी इनके राजनीतिक विरोधी के अलावा देश के प्रधानमंत्री भी हैं।