हाल ही में आई कुछ मीडिया रिपोर्ट बताती है कि अफगानिस्तान में अमेरिका के विरुद्ध लड़ चुके तालिबानी आतंकवादी कश्मीर का रुख कर रहे हैं। इन तालिबानी आतंकवादियों को पाक अधिकृत कश्मीर से भारत तक आने का रास्ता दिया गया है और इनके पास अत्याधुनिक अमेरिकी हथियार भी हैं, जिन्हें अमेरिकी सेना द्वारा अफगानिस्तान से निकलते समय अफगानिस्तान में ही छोड़ दिया गया था। भारतीय सेना के मेजर जनरल अजय चांदपुरिया ने बताया कि जम्मू कश्मीर की सीमा पर एलओसी के निकट से अमेरिकी हथियार और नाइटविजन डिवाइस प्राप्त हुई है। मेजर जनरल 19वीं इन्फेंट्री बटालियन के GOC के रूप में कार्य कर रहे हैं, यह बटालियन जम्मू कश्मीर के बारामुला सेक्टर में तैनात है। 15वीं चिनार कोर के तहत 19 इन्फेंट्री डिवीजन उत्तरी कश्मीर में पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों के साथ आतंकवाद-रोधी ग्रिड और सुरक्षा तैयारियों की देखरेख करता है।
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जिहाद की लड़ाई आगे बढ़ाने के लिए हो रही आतंकियों की भर्ती
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मेजर जनरल अजय ने बताया है कि “अफगानिस्तान की स्थिति का हमारे देश और विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह कोई रहस्य नहीं है कि अफगानिस्तान में अमेरिकियों से लड़ने वाले विभिन्न आतंकवादी समूह अब निष्क्रिय हैं।” उन्होंने आगे जानकारी देते हुए कहा, “इसके साथ ही हजारों आधुनिक हथियार, नाइटविजन उपकरण और अन्य आधुनिक उपकरण हैं, जो अमेरिकियों द्वारा छोड़े गए थे। सूचनाओं के अनुसार इसका बहुत हिस्सा पाकिस्तान की ओर बढ़ रहा है और इसका कुछ हिस्सा नियंत्रण रेखा (एलओसी) के करीब पहुंच गया है।”
अमेरिका की वापसी के बाद अफगानिस्तान के बहुत से आतंकवादी सामान्य स्थिति के कारण बेरोजगारी जैसी अवस्था में पहुंच गए हैं। ऐसे आतंकवादियों की कश्मीर में जिहाद की लड़ाई आगे बढ़ाने के लिए भर्ती की जा रही है। ऐसे बहुत से आतंकवादी जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे इस्लामिक आतंकी संगठनों की ओर से लड़ने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर में बने हुए टेरर कैंप तक आ चुके हैं।
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अमेरिका की गलती से पैदा हुआ संकट
गौरतलब है कि पिछले 1 वर्ष से भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर सीजफायर समझौता लागू है। पाकिस्तान द्वारा लगातार झेले जा रहे नुकसान के कारण ही, पाकिस्तानी सेना की ओर से सीजफायर की स्वीकृति दी गई थी और पिछले 1 वर्ष से अनुशासनपूर्वक इसका पालन किया जा रहा है। बिना कवर फायर के इन आतंकवादियों के लिए नियंत्रण रेखा पार करना अत्यधिक कठिन है। इस संदर्भ में जानकारी देते हुए मेजर जनरल अजय ने बताया कि पिछले 1 वर्ष में नियंत्रण रेखा को पार करने के केवल 6 प्रयास हुए हैं और उन सभी को नाकाम किया गया है। उन्होंने आगे बताया, “किसी भी समय हमारे क्षेत्र के सामने लॉन्चपैड पर लगभग 100 से 130 आतंकवादी होते हैं। घुसपैठ के प्रयासों को निष्प्रभावी कर दिया गया है, हमें आधुनिक अमेरिकी असॉल्ट राइफलें, आधुनिक पीढ़ी की थर्मल इमेजिंग नाइटविजन डिवाइस और ऐसे ही उपकरण बरामद हुए हैं।”
ध्यान देने वाली बात है कि बाइडन प्रशासन की हड़बड़ी के कारण अमेरिकी सेना ने अपने हथियारों का बिना उचित प्रबंध किए ही अफगानिस्तान छोड़ दिया था। जिस समय काबुल का पतन हुआ, तब बहुत से विशेषज्ञों ने इसे भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया था। उस समय सोशल मीडिया पर ऐसी कई तस्वीरें वायरल हुई थी, जिसमें बड़ी संख्या में अमेरिकी हथियार देखे जा सकते थे, जो तब तक तालिबानी कब्जे में जा चुके थे। उन्हें देखकर तरह-तरह की अटकलें लगाई गई थी।
हालांकि, अब जिस प्रकार से भारतीय सेना द्वारा तालिबानी आतंकवादियों को सीमा पर ही मार गिराया जा रहा है, उसे देखकर यह निश्चयपूर्वक कहा जा सकता है कि उस समय भारत की सुरक्षा के प्रति चिंता व्यक्त करने वाले लोगों को भारतीय सेना के शौर्य की जानकारी नहीं थी। TFI मीडिया ग्रुप ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के पलायन के समय ही यह बता दिया था कि यह भारत के लिए चिंता का विषय नहीं होगा, क्योंकि यदि तालिबान कश्मीर की ओर नजर उठाता है, तो भारतीय सेना उसे घुटनों पर लाने में सक्षम है।
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