“दो नाव में पैर रखने वाला ना इधर का होता है और ना उधर का!”
कुछ ऐसा ही हाल है, अमेरिकी कंपनी Tesla के CEO Elon Musk का। Elon Musk एक तरफ भारत के बड़े बाजार में प्रवेश कर ढ़ेरों रुपया जुटाने का सपना देख रहे हैं और वहीं, दूसरी तरफ चीन को मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन वो नहीं जानते हैं कि इस आधुनिक युग के भारत में उनका तिकड़म विफल हो जायेगा। दरअसल, पिछले साल Tesla की आधी वैश्विक डिलीवरी चीन से हुई थी, जिसके बाद EV निर्माता ने अपने निर्यात केंद्र को Fermont से शंघाई में स्थानांतरित कर दिया था। ऐसे में, Tesla का उद्देश्य चीन में सालाना 6,00,000 इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन करना है। इसके साथ ही, वह भारत के बड़े ऑटोमोबाइल बाजार में अपनी पकड़ भी बनाना चाहती है।
और पढ़ें: भारत तब तक नहीं बनेगा टेस्ला का बाज़ार, जब तक कंपनी भारत का पैसा चीन में भेजती रहेगी
Tesla को भारत और चीन में से किसी एक को चुनना होगा
Tesla बीजिंग में अपने EV कारों को लेकर पहला डिजाइन स्टूडियो खोल सकती है। इसका डिजाइन विशेष रूप से वहां के लोगों को आकर्षित करने के उद्देश्य से कैसे हो सकता है? इसके पीछे Tesla का उद्देश्य एक अलग चीनी स्टाइल वाली कारों का निर्माण करना है। 2020 में Tesla ने पुष्टि की थी कि वह ‘चीनी शैली’ के वाहनों का निर्माण करने पर विचार कर रही है। हाल ही में, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, Tesla का अपना डिज़ाइन सेंटर बीजिंग में ही हो सकता है। ऐसी कुछ रिपोर्टें और हैं, जिनमें कहा गया है कि पहला Tesla डिजाइन स्टूडियो शंघाई में खुल सकता है, जहां कंपनी की अमेरिका के बाहर, पहली विनिर्माण सुविधा है। लेकिन हाल ही में आई रिपोर्ट देश की राजधानी बीजिंग की ओर इशारा कर रही है।
आपको बताते चलें कि Tesla ने अमेरिका के बाहर शंघाई में अपनी पहली विनिर्माण सुविधा स्थापित की थी। 2019 में यहां संयंत्र से वाहनों का निकलना शुरू हुआ और वर्तमान में, यह सुविधा न केवल चीन में स्थानीय मांग को पूरा करती है अपितु कई विदेशी बाजारों में निर्यात के लिए एक आधार के रूप में भी काम करती है। भारत में बाजार का सपना देखने वाली Tesla यहीं से कार लाकर भारत में बेचना चाहती है। हालांकि, मोदी सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। वहीं, अब Tesla के पास एक विकल्प है, भारत को गले लगाओ और चीन को छोड़ दो।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने देश में Tesla के प्रवेश पर स्पष्ट रुख अपनाया है। मोदी सरकार का कहना है कि टेस्ला इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण भी भारत में करे। वर्तमान में, Tesla के CEO Elon Musk भारत में कार बेचने का स्वप्न देख रहे हैं किंतु वह चीन में अपने विनिर्माण आधार को भी नहीं खोना चाहते हैं। इसका मतलब यह है कि भारतीय उपभोक्ताओं के लिए Tesla के इलेक्ट्रिक वाहन चीन से आयात किए जाएंगे।
भारत सरकार में उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने बीते मंगलवार को लोकसभा में कहा था कि “कंपनी (Tesla) चीन और भारत के बाजार से श्रमिक चाहती है। मोदी सरकार में यह संभव नहीं है…हमारी सरकार की नीति यह है कि अगर भारत के बाजार का उपयोग करना है, तो भारतीयों को नौकरी के अवसर देने होंगे।”
Tesla को बिना निवेश के भारत में बिक्री की अनुमति नहीं
वहीं, इस मुद्दे पर News18 से बात करते हुए, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “Tesla का भारत में स्वागत है, हमें कोई समस्या नहीं है। अब उनकी (Elon Musk की) दिलचस्पी चीन में Tesla कारों के निर्माण और उन्हें भारत में बेचने की है। हम उनसे अनुरोध करते हैं कि आप यहां अपना संयंत्र शुरू कर सकते हैं। हमारे यहां सभी सहायक उपकरण उपलब्ध हैं, आप यहां गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और आप यहां अच्छी बिक्री प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, यदि आप यहां से शुरू करते हैं, तो आपका स्वागत है, कोई बात नहीं लेकिन चीन में निर्माण और भारत में बिक्री हम सभी के लिए एक उचित अवधारणा नहीं है।” मोदी सरकार ने Tesla को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कंपनी के लिए किसी भी कर रियायत पर विचार करने से पहले उसे भारत में एक विनिर्माण सुविधा स्थापित करने और इलेक्ट्रिक वाहनों का घरेलू उत्पादन शुरू करने की आवश्यकता है।
और पढ़ें: “आपके लिए कोई टैक्स ब्रेक नहीं”, भारत सरकार ने निर्धारित की टेस्ला के लिए सख्त नियम और शर्तें
आपको बताते चलें कि Tesla भारतीय बाजार में प्रवेश करने से पहले भारत से EV पर आयात कर कम करने का आग्रह कर रही है। वर्तमान में, देश 40,000 डॉलर या उससे कम लागत वाले EV पर 60% का आयात शुल्क और 40,000 डॉलर से अधिक की कीमत वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर 100% आयात शुल्क लगाता है। इसलिए किसी भी मामले में अगर Tesla EV का उत्पादन कहीं और करती है और भारत में आयात करती है तो उसकी भारी कीमतें बाजार के लिए पर्याप्त प्रतिस्पर्धी नहीं होगी। ऐसे में, स्पष्ट है कि Tesla को EV विनिर्माण क्षेत्र में कोई निवेश किए बिना भारत में अपनी कारों को बेचने की अनुमति नहीं मिलेगी।