खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे, कुछ ऐसा ही हाल हिंदुत्व के एजेंडे की नींव पर खड़े शिवसेना और उसके नेताओं का हो चला है। शिवसेना ने विस्तारवाद का स्वाद चखने और देश के अन्य राज्यों में पैर पसारने के लिए अब चुनाव लड़ना तय किया है। पहले भी कई राज्यों में प्रयास करने और करारी हार मिलने के बाद भी शिवसेना को एक पैसे की बुद्धि नहीं आई है। खैर शिवसेना का अब अगला टारगेट उत्तर प्रदेश है, जहां वो कुल 41 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। ध्यान देने वाली बात है कि शिवसेना पूर्वांचल के कई सीटों पर भी किस्मत आजमा रही है और इससे भी मजेदार बात यह है कि जिस शिवसेना ने पूर्वांचल के लोगों पर जमकर कहर ढाया था, आज वहीं शिवसेना पूर्वाचलियों के सामने वोट के लिए हाथ फैलाकर खड़ी है!
दरअसल, गुरुवार को राज्य के डुमरियागंज विधानसभा सीट पर प्रचार करने के लिए उद्धव ठाकरे के सुपुत्र और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे पहुंचे, जहां उन्होंने प्रवासियों के दुःख को लेकर योगी सरकार को घेरने का प्रयास किया। ऐसे में यह कथन उन पर काफी सटीक बैठता है कि जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते। ज्ञात हो कि बालासाहेब ठाकरे ने सन् 1966 में शिवसेना की स्थापना प्रवासी मजदूरों और उत्तर भारत के मजदूरों के विरोध में की थी, आज वो उत्तर प्रदेश के उन्हीं प्रवासी मजदूरों के बीच जाकर अपने पक्ष में मतदान करने का आह्वान कर रहे हैं। कभी बालासाहेब ने उत्तर भारतीयों और दक्षिण भारतीयों को मुंबई में कथित तौर पर स्थानीय लोगों की नौकरियों को छीनने और अवसरों से वंचित करने का आरोप लगाया था।
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‘मराठी’ से आगे कुछ भी नहीं सोचती शिवसेना!
ध्यान देने वाली बात है कि शिवसेना अपने स्थापना के समय से ही पूर्वांचलियों से बुरा व्यवहार करती आ रही है। शिवसेना, पूर्वांचलियों से इस बात से खिन्न नज़र आती रही है, क्योंकि उसे मराठी के अतिरिक्त और कोई व्यक्ति मनुष्य लगता ही नहीं है! यह तो बेशर्मी की पराकष्ठा है, जो शिवसेना बेवजह बिना जनाधार के उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने पहुंची, इससे भी हास्यास्पद यह है कि पूर्वाचलियों को नीचा दिखाने वाली शिवसेना ने प्रवासी श्रमिकों की स्थिति पर योगी सरकार को घेरा। अगर ऐसा करने के पूर्व यदि आदित्य ठाकरे ने आईने में अपनी सूरत देख ली होती, तो शायद वो खुद से आंख भी न मिला पाते!
जिस प्रकार महाराष्ट्र में रेहड़ी पटरी वाले हो या अन्य मजदूर, जिनमें अधिकांश मजदूर पूर्वांचल से संबंध रखते हैं, उनसे शिवसेना हो या महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे, दोनों ही पूर्वांचली प्रवासी मजदूरों के साथ दुश्मन की भांति व्यवहार करते हैं! इनके पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा पूर्वांचलियों को मारने और पीटने की वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर देखने को मिल जाती है। ऐसे दोगले चरित्र के परिचायक शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे और उनकी पार्टी जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ अपनी पैंठ जमाने की फिराक में हैं, निस्संदेह उन्हें मुंह की ही खानी पड़ेगी। राज्य की जनता और महाराष्ट्र में काम कर रहे लोग आज भी उस भयावह तस्वीर को देखते हैं, तो बिलख उठते हैं जब शिवसेना के कार्यकर्त्ता बीच रास्ते में कभी किसी रेहड़ी वाले की रेहड़ी पलटा देते, तो कभी उनसे मारपीट करते।
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महाराष्ट्र संभाला नहीं जा रहा, यूपी जीतेंगे!
आपको बताते चलें कि आदित्य ठाकरे ने बीते दिन गुरुवार को सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज विधानसभा सीट पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए शिवसेना उम्मीदवार शैलेंद्र उर्फ राजू श्रीवास्तव को ”बदलाव का एजेंट” करार दिया। ठाकरे ने कहा, “भाजपा ने अपने किए वादे कभी पूरे नहीं किए, बल्कि केवल नफरत और भय फैलाया। योगी आदित्यनाथ के शासन के दौरान विपरीत धर्मों के बीच नफरत बढ़ी है और अब बदलाव का समय आ गया है।“ उन्होंने कहा, “शिवसेना अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के साथ अपने जुड़ाव पर गर्व करती है और दावा करती है कि उसके कार्यकर्ता बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने वालों में से थे।“
वाह रे तथाकथित ‘बेबी पेंगुइन’, महाराष्ट्र में जिन दलों के साथ सरकार चला रहे हो, वो बाबरी के साथ थे और आप विध्वंस करने वालों में थे, थोड़ी भी शर्म कर ली होती तो राम का नाम भी अपने मुंह से नहीं निकालते! सौ बात की एक बात, जिनके रक्त में ही धोखेबाजी हो, वो कैसे एक सुशासन की नींव रख सकते हैं! तीन टांगों पर टंगी महाविकास अघाड़ी की महाराष्ट्र सरकार चलाने में शिवसेना और उद्धव ठाकरे की घिग्घी बंध गई है और चले हैं उत्तर प्रदेश के सपने देखने। यूपी में आ तो गए हैं, पर उत्तर प्रदेश की जनता इन्हें दौड़ा-दौड़ा कर भेजेगी, क्योंकि इनकी असलियत से सब वाकिफ हैं!
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