इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाल के वर्षों में भारत का अंतर्राष्ट्रीय कद बड़ा हुआ है। भारत 2014 से पूर्व अपने मसले हल करवाने के लिए अन्य विकसित देशों और ताकतों का रुख करता था, निस्संदेह यह बहुत बड़े धिक्कार की बात थी। लेकिन आज 2022 में उसकी वैश्विक ताकत और स्थिति में आई वृद्धि का कोई तोड़ नहीं है। इसका उदाहरण युक्रेन रूस विवाद से मिल गया है क्यूंकि यूक्रेन ने गुरुवार को पूर्वी यूरोपीय देश पर हमला करने वाली रूसी सेना के खिलाफ अपनी लड़ाई में भारत का समर्थन मांगा है। यह तब है जब और भी कई बड़े अन्य देश हैं पर यूक्रेन को प्रभावशाली ताकत का आभास भारत के रूप में हुआ है यह भारत की बड़ी जीत है।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक भावनात्मक अपील करते हुए यूक्रेन के राजदूत डॉ इगोर पोलिखा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “मुझे नहीं पता कि पुतिन कितने विश्व नेताओं की बात सुनते हैं लेकिन मोदी जी की स्थिति मुझे आशान्वित करती है। उनकी मजबूत आवाज के मामले में , पुतिन को कम से कम इस पर विचार करना चाहिए। हम भारत सरकार के अधिक अनुकूल रवैये की उम्मीद कर रहे हैं।”
#WATCH | Delhi: Dr Igor Polikha, Ambassador of Ukraine to India seeks Government of India's intervention amid #RussiaUkraineConflict; urges PM Narendra Modi to speak with Russian President Vladimir Putin. pic.twitter.com/L1b48I42DN
— ANI (@ANI) February 24, 2022
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रूस-यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 में तब शुरू हुआ जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ। यानुकोविच को रूस का समर्थन हासिल था जबकि प्रदर्शनकारियों को अमेरिका और ब्रिटेन का। बगावत के चलते फरवरी 2014 में यूक्रेन के राष्ट्रपति यानुकोविच को देश छोड़कर रूस में शरण लेनी पड़ी थी। यहीं से विवाद की शुरुआत हुई और पलटवार करते हुए रूस ने दक्षिणी यूक्रेन क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। बात यही नहीं रुकी, रूस ने यूक्रेन के अलगाववादियों को खुला समर्थन दिया।
I think that in this case, your Prime Minister can address Mr Putin. He can address our President. Many times in history, India played a peacekeeping role. We're asking for your strong voice to stop this war: Dr Igor Polikha, Ambassador of Ukraine to India#RussiaUkraineConflict pic.twitter.com/sQxQ8XWgu9
— ANI (@ANI) February 24, 2022
तभी से यूक्रेन सेना और अलगाववादियों के बीच जंग जारी है। यहां आपको ये समझना है कि पूर्वी यूक्रेन के कई इलाकों पर रूस समर्थित अलगाववादियों का कब्जा है, यहीं के डोनेटस्क और लुहांस्क को तनानती के बीच रूस ने अलग मुल्क के तौर पर मान्यता दे दी, ये वही इलाका है जहां पुतिन ने सैन्य एक्शन का ऑर्डर दिया है।
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ऐसे में अब रूस के आक्रमण के खिलाफ अपनी जमीन का बचाव करते हुए यूक्रेन ने संकट के समय पर भारत से समर्थन की अपील की है। यूक्रेन के राजदूत डॉ इगोर पोलिखा ने कहा कि “वर्तमान समय में, हम भारत के समर्थन के लिए आशांवित हैं और याचना कर रहे हैं। लोकतांत्रिक राज्य के खिलाफ एक अधिनायकवादी शासन द्वारा आक्रमण के इस मामले में, भारत को पूरी तरह से अपनी वैश्विक भूमिका निभानी चाहिए। मोदी जी दुनिया के सबसे शक्तिशाली और सम्मानित नेताओं में से एक हैं।”
यूँ तो भारत का रुख इस मामले में पहले से ही स्पष्ट है। राजदूत डॉ इगोर पोलिखा के निवेदन से एक दिन पूर्व ही भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में रूस और यूक्रेन के बीच पूरी तरह से तनाव कम करने का आह्वान किया था, जिसे पुतिन की सेना ने यूक्रेनी राजधानी कीव और खार्किव में सैन्य कमांड केंद्रों को लक्षित करने के लिए बुलाया था। यूएनएससी में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने कहा, ” यह स्थिति एक बड़े संकट में बढ़ने के खतरे में है। अगर इसे सावधानी से नहीं संभाला गया, तो यह सुरक्षा को कमजोर कर सकता है। सभी पक्षों की सुरक्षा को ध्यान में रखा जाना चाहिए।”
ज्ञात हो, रूस ने कल यूक्रेन के मौजूदा संकट में भारत के रुख की सराहना की थी। रूसी प्रभारी डी’एफ़ेयर रोमन बाबुश्किन ने कहा था, “हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत द्वारा स्वतंत्र रुख का स्वागत करते हैं, जिसे भारतीय विदेश मंत्री और अन्य अधिकारियों ने खुले तौर पर व्यक्त किया था।”
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आज भारत के कद बढ़ने के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सत्ता पर काबिज होने के बाद से अपनाई गई कूटनीतिक सोच का सबसे बड़ा हाथ है। एक समय था जब कोई भी छोटा-बड़ा देश अपने मसलों में अमेरिका का हस्तक्षेप करने का आह्वान करता था, आज उन्हें अमरीकी राष्ट्रपति एक ड्रामा कंपनी का रिंगमास्टर से कम नहीं लग रहा क्योंकि उसकी महत्ता बाइडन के आने से काम हुई है। निस्संदेह भारत की स्वीकार्यता और बढ़ती नेतृत्वकर्ता वाली छवि ने उसके उद्गम के कपाट खोल दिए हैं जिसको रोकना अब किसी भी देश के बस की बात नहीं है।