उमर खालिद अब उम्र भर के लिए गए

अब रातों की नींद और दिन का चैन दोनों ही नहीं मिलेगा!

उमर खालिद जेल

उमर खालिद की जमानत पर सुनवाई- विश्विद्यालय अध्ययन का केंद्र होता है, जहां छात्र-छात्राएं पढ़ने के उद्देश्य से प्रवेश लेते हैं। वहीं, JNU के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद का उद्देश्य इसके ठीक विपरीत है। देश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय JNU के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद पर दिल्ली में दंगा भड़काने का आरोप है। अपने घिनौने कारनामों के कारण देश में रहकर देश की सम्प्रभुता को ठेस पहुंचाने में माहिर उमर खालिद अब पूरी तरह से कानून के चंगुल में फंस चुके हैं और अब उन्हें आजीवन जेल की हवा खानी पड़ सकती है।

दरअसल, बीते बुधवार को दिल्ली की न्यायालय में JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत पर सुनवाई हुई, जिसमें विशेष लोक अभियोजक (Prosecutor) अमित प्रसाद ने उमर खालिद पर दिल्ली दंगों की साजिश रचने का आरोप लगाया है। बता दें कि नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के नियंत्रण से बाहर होने के बाद 23 फरवरी 2020 को पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए और लगभग 200 घायल हो गए थे।

दिल्ली दंगे की साजिश में उमर खालिद का था हाथ

न्यायालय के समक्ष कई पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए अभियोजक अमित प्रसाद ने अपनी व्हाट्सएप चैट का हवाला देते हुए कहा कि “उमर खालिद ने 23 जनवरी को एक बैठक में भाग लेने के बारे में बात की थी।” अभियोजक अमित प्रसाद ने इस संबंध में गवाह के बयान का भी हवाला दिया और कहा कि “खालिद की जनवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों की पूर्व नियोजित साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका थी।” दिल्ली की एक न्यायालय के समक्ष अपनी जमानत याचिका का विरोध करते हुए अभियोजक अमित प्रसाद ने कहा कि स्थानीय समर्थन की कमी के कारण लोगों को अन्य क्षेत्रों से हिंसा भड़काने के लिए लाया गया था।

वहीं, दिल्ली की न्यायालय में उमर खालिद की बातचीत का हवाला देते हुए, सरकार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आरोपी ने एक गुप्त बैठक में ‘खून बहने’ की बात कही थी। अभियोजक अमित प्रसाद ने यह भी कहा कि महिलाओं को एक साथ संगठित किया गया और लाठी और मिर्च पाउडर इकट्ठा करने के लिए कहा गया।

व्हाट्सएप ग्रुप पर हुआ दिल्ली दंगे को भड़काने का खुलासा

हालांकि, इससे पहले भी पिछले महीने उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने अमेरिका में हुए 9/11 के हमले का हवाला देते हुए कहा था कि उसने व्हाट्सएप ग्रुप पर केवल पांच संदेश भेजे। चार्जशीट का हवाला देते हुए प्रसाद ने तर्क दिया कि ये लोग 9/11 हमले के साजिशकर्ताओं की तरह ही विरोध स्थलों की निगरानी कर रहे थे। अभियोजन पक्ष ने न्यायालय को यह भी बताया कि मामले के मुख्य साजिशकर्ताओं ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा को दोष देने की कोशिश की।

अभियोजन पक्ष ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत को 24 फरवरी, 2020 को पूर्वोत्तर दिल्ली के चांद बाग इलाकों में लगे CCTV कैमरों में कैद फुटेज और एक व्हाट्सएप ग्रुप दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (DPSG) में आरोपी व्यक्तियों की चैट भी दिखाई। वहीं, प्रसाद ने कहा कि मैसेज ग्रुप में 17 फरवरी को विरोध के हिंसक होने के संकेत मिले थे। खालिद उस व्हाट्सएप समूह में ही था लेकिन वह चुप रहा। दलीलों के दौरान प्रसाद ने कहा कि उमर खालिद और शरजील इमाम के बीच संबंध थे। उन्होंने आगे तर्क दिया कि उमर खालिद शरजील इमाम के मेंटर थे।

ताहिर हुसैन पर लगा टेरर फंडिंग का आरोप

दिलचस्प बात यह है कि जब जमानत की कार्यवाही शुरू हुई थी तब पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के संदिग्ध खालिद सैफी का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने दिल्ली की न्यायालय से उमर खालिद की जमानत पर सुनवाई के संबंध में ट्वीट्स को हटाने के लिए एक भारतीय कानूनी समाचार पोर्टल Law Beat को आदेश देने का आग्रह किया था। Law Beat ने व्हाट्सएप संदेशों के स्क्रीनशॉट पोस्ट किए थे, जिन्हें दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करने के लिए सबूत के तौर पर पेश किया था।

दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे विशेष लोक अभियोजक (SPP) अमित प्रसाद ने बीते सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता ताहिर हुसैन पर टेरर फंडिंग का आरोप भी लगाया है। प्रसाद ने आरोप लगाया है कि हुसैन सफेद धन को काले धन में बदलने के असामान्य धन शोधन मामले में शामिल था।

प्रसाद ने दिल्ली की एक न्यायालय को बताया, “यह एक असामान्य स्थिति है, जहां पुलिस को ताहिर हुसैन के सफेद धन को काले धन में बदलने के सबूत मिले। आपने आमतौर पर लोगों को सफेद धन को काले धन में बदलने के बारे में नहीं सुना होगा, लेकिन हमारे पास इसका प्रमाण है। हमारा मानना ​​है कि मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयानों के अनुसार इन फंडों का इस्तेमाल हिंसा के लिए किया गया था।” हुसैन पर कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसे उन्होंने न्यायालय में चुनौती दी है।

अब उमर खालिद की जमानत है मुश्किल

आपको बता दें कि न्यायालय उमर खालिद, खालिद सैफी, शरजील इमाम, मीरा हैदर, सलीम मलिक, शहाब अहमद और सलीम खान सहित अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। वहीं, इस खबर के आने के बाद नेटिज़ेंस ने भी अपनी प्रतिक्रिया ट्वीट के माध्यम से दी है, जहां मोहित गुलाटी नामक व्यक्ति ने अपने ट्वीट करते हुए लिखा, वे अर्नब के व्हाट्सएप चैट को प्रसारित करने का आनंद ले रहे थे लेकिन भारत के कानून और भावना के खिलाफ उमर खालिद की चैट को सार्वजनिक करने का विचार यह साबित करता है कि वह एक TERR0RlST है।

वहीं एक दुसरे ट्वीट में अतुल नामक व्यक्ति ने ट्वीट करते हुए लिखा “पैसा आतंकवादी देते हैं, हिंदुओं को खत्म करना है, औरतों को सामने रखो, सरकार को झुकना है। CAA के विरोध की आड़ में दिल्ली से हिंदुओं का जातीय सफाया करने की योजना थी।”

https://twitter.com/atulahuja_/status/1489150979027369984

गौरतलब है कि पुलिस ने पिछले साल 26 दिसंबर को मामले में खालिद के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। वहीं, हुसैन सहित 15 लोगों के खिलाफ मुख्य आरोप पत्र पिछले साल जून में दायर किया गया था। खालिद को इस मामले में अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और वह तब से न्यायिक हिरासत में है। ऐसे में, पुख्ता सबूतों के बाद भारत में हिंसा का पर्याय बने उमर खालिद की जमानत तो दूर पूरा जीवन जेल में बिताना पड़ सकता है!

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