लिबरल गैंग बस रोते रह गई और भारत सरकार ने घोटालेबाजों से वसूली भी कर लिया!

मोदी सरकार को फ्लावर समझा था क्या? फायर है फायर!

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वर्ष 2014 से जबसे मोदी सरकार शासन में आई है उसपर एक मुद्दे को लेकर विपक्षी पार्टियां दाना-पानी लेकर चढ़ने को आती हैं। वो मुद्दा है भगोड़े व्यपारियों को भागने में संरक्षण स्वयं पीएम मोदी ने दिया था लेकिन हकीकत इसके विपरीत है क्यूंकि तीन प्रमुख उद्योगपतियों जो बाद में भगोड़े भी घोषित हुए ऐसे विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी द्वारा किए गए घोटालों के संबंध में बैंकों द्वारा 18,000 करोड़ रुपये की वसूली की गई है।

इसके बाद भी विपक्षी पार्टियों द्वारा यह कहना कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार भगोड़ों से उतनी रकम वापस लेने का कोई प्रयास नहीं की है, यह निराधार है और कुंठा से प्रेरित तथ्यों से दूर बात है| हाल ही में सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बैंकों द्वारा 18,000 करोड़ रुपये की वसूली की गई है।

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दरअसल, मंगलवार को न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कानून के तहत अपराध की आय की खोज, जांच और कुर्की के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई थी। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आर्थिक अपराधों की कुल कीमत 67,000 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 18,000 करोड़ रुपये विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के मामलों में बैंकों को वापस कर दिए गए थे।

जिस प्रकार विपक्षी दल मोदी सरकार के शासन में आते ही उन्हें ये कहते हुए फब्दियाँ कसने लगे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा माल्या, नीरव मोदी और चौकसी इन तीनों को पीएम का संरक्षण प्राप्त था| इस वजह से वो तीनों भारत से बाहर आराम से विभिन्न देशों में मौज-मस्ती कर रहे हैं, यदि ऐसा होता तो ये कुर्की और भारत में मौजूद इन तीनों की संपत्तियों को छुआ भी नहीं जाता। लेकिन हुआ उसके बिलकुल उलट, सरकार ने इन तीनों की संपत्तियों पर एक के बाद एक सरकारी तंत्र से कब्ज़ा कर उन्हें अपनी ओर कर लिया है। भगोड़े विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से 18,000 करोड़ रुपये की वसूली इसका जीता-जगता प्रमाण है।

बता दें, शराब कारोबारी विजय माल्या पर एक दर्जन बैंकों का करीब 10,000 करोड़ रुपये बकाया है। माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत 2019 में भगोड़ा घोषित किया गया था। वहीं, हीरा व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी, जो गीतांजलि समूह का मालिक है, पर भारतीय बैंकों का लगभग 14,000 करोड़ रुपये बकाया है।

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ज्ञात हो कि, इन तीनों ही भगोड़ों को ऋण कांग्रेस की यूपीए सरकार में स्वीकृत किये गए थे, पर भ्रष्टाचारी कांग्रेस इस बात को कैसे मान सकती है, क्योंकि अपनी संलिप्तता यदि जनता के बीच गई तो बेमतलब में पीएम मोदी को कैसे कठघरे में खड़ा कर सकेंगे। सौ बात की एक बात यह है कि, चाहे वो आतंकी तत्वों की संपत्तियों को ज़मीदोज़ करना हो या फिर भगोड़े व्यापारियों की संपत्तियों को कुर्क और जब्त करना हो, मोदी सरकार किसी भी काम में कोताही नहीं बरतती है।

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