जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं, पंजाब की नई नवेली केजरीवाल सरकार ने सत्ता में आते ही आंदोलनजीवियों के प्रति इसी कथन को अमल में लाने का काम किया है। जिन प्रदर्शनकारियों को ढाल बना अरविंद केजरीवाल ने अपनी सियासी जमीन तराशी थी, आज उन्हीं पर लाठी-डंडों के साथ उनका सत्कार पंजाब की भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार कर रही है।
धोखा देने में तो अरविंद केजरीवाल को महारथ हासिल है
यह उन आंदोलनजीवियों के साथ किया गया वही धोखा है जिसमें अरविंद केजरीवाल को महारथ हासिल है। इस सिद्धि को हासिल करने के लिए केजरीवाल ने अपने कई साथियों को निपटाने से लेकर उनको पार्टी से अलग करने के सभी प्रयोजन पूर्व में किए जिनमें से सर्वाधिक सफल हुआ और अब उसी स्थिति में वो आंदोलनजीवी पहुंच गए हैं जिनकी शह पर केजरीवाल ने पंजाब में सरकार बनाई।
दरअसल, पंजाब में गुलाबी कीड़ों के हमले के कारण कपास की फसल को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। इसी के मुआवजे की मांग को लेकर किसान धरना प्रदर्शन कर रहे थे। किसान ‘भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहां)’ द्वारा कपास की फसल के मुआवजे की माँग कर रहे इन किसानों पर आधी रात को लाठीचार्ज किया गया। बीकेयू उगराहां ने आरोप लगाया है कि लांबी में हुए लाठीचार्ज के दौरान सात किसान घायल हो गए हैं।
और पढ़ें- पंजाब जीत के बाद अब AAP का होगा बंटाधार, केजरीवाल लेंगे राजनीतिक संन्यास!
सात यूनियन कार्यकर्ताओं को चोटें आईं
किसानों द्वारा नौ घंटे तक नायब तहसीलदार और स्टॉफ को बंधक बनाए रखने के लिए सोमवार आधी रात के आसपास पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने के बाद सात यूनियन कार्यकर्ताओं को चोटें आईं। इसके बाद किसान आंदोलन में टेंट, बिजली, वाई-फाई देने वाले अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में सरकार बनते ही अपने असल रंग को प्रदर्शित करना शुरू कर दिया। मुआवजा मांग रहे किसानों पर हुआ लाठीचार्ज सबसे पहला उदाहरण है।
यूं तो यह अरविंद केजरीवाल की राजनीति का अभिन्न अंग रहा है कि जिसके बल पर आगे बढ़ो उसकी ही जड़ें काट दो। फिर चाहे पार्टी में बड़े रहे नेता का कद हो या राज्य में बढ़ रहे असंतोष के लिए किसानों पर दंडात्मक कार्रवाई करना केजरीवाल को किसी से कोई मतलब नहीं होता, मतलब है तो बस इस बात से की सत्ता कैसे हथियाई जाए।
लांबी गांव के सरकारी अस्पताल में इलाज कराने वालों में बीकेयू (एकता-उग्रहन) मुक्तसर अध्यक्ष गुरपाश सिंह सिंघेवाल भी शामिल हैं। सिंघेवाल ने राजस्व अधिकारियों पर हाल ही में पिंक बॉलवर्म के प्रकोप के कारण कपास की फसल को हुए नुकसान के मुआवजे के दावों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अधिकारी कपास की फसल के नुकसान के आकलन के लिए उनकी दलीलों पर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। दूसरी ओर, अधिकारियों ने यूनियनों पर अभद्रता और फसल क्षति का व्यक्तिपरक आकलन करने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया।
और पढ़ें- पंजाब में AAP की जीत केजरीवाल को पार्टी से बाहर कर सकती है
ये देखो अन्याय और मौकापरस्ती
इन सभी के बीच जिस व्यवहार का सबसे बड़ा किरदार अरविंद केजरीवाल की पार्टी की भगवंत मान सरकार ने निभाया है, वो निस्संदेह बेहद ही अन्याय और मौकापरस्ती से भरपूरह है। जब तक सत्ता चाहिए थी तब तक केजरीवाल ने राज्य के किसानों की हितों की बात ऐसे कि जैसे उनसे बड़ा किसान हितेषी को दुनिया में नहीं मिलेगा पर सत्ता हाथ आते ही केजरीवाल ने उन्हीं किसानों को थमा दिया बाबा जी का ठुल्लू। अब किसानों में यह रोष तो दिनों-दिन बढ़ना तय है क्योंकि उनपर हुआ लाठीचार्ज उन्हें उनकी अस्मिता और उनके विश्वास पर घात के समान लग रहा है।