नौकरशाही में बिहार का योगदान अतुलनीय है। पर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा बिहार के इस गौरवशाली संस्कृति का अपमान किया जा रहा है। पंजाब से बिहार के मजदूरों को भगाने की धमकी देने के बाद कांग्रेस अब उन्हें तेलंगाना की धरती पर घसीट रही है। वैसे भी कांग्रेस को क्षेत्रीय आधार पर विभाजन पैदा करके खुद की राजनीतिक अस्तित्व बचाने की आदत है। अंग्रेज धर्म के नाम पर भारत को बांटने के दोषी हैं। सत्ता पर काबिज होने के लिए उन्होंने हिंदुओं, मुसलमानों और ईसाइयों को एक-दूसरे के खिलाफ कर दिया। आज ऐसा लगता है कि अंग्रेजों की जगह सिर्फ एक राजवंश ने ले ली, जिसकी सदस्यता में अभी भी औपनिवेशिक सत्ता का डीएनए है। पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा था कि वह यूपी और बिहार के भैयाओं को पंजाब में पैर नहीं रखने देंगे। पंजाब के बाद अब तेलंगाना में भी ऐसा ही विवाद खड़ा हो गया है। अब तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया है, जिसे लेकर बवाल मचा हुआ है।
चन्नी के पदचिन्हों पर तेलंगाना कांग्रेस
तेलंगाना कांग्रेस के प्रमुख रेवंत रेड्डी पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। सिकंदराबाद में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए रेड्डी ने राज्य के नौकरशाहों को ‘बिहार बैच’ के नाम से संबोधित करते हुए तंज कसा। उन्होंने सीएम केसीआर पर सभी महत्वपूर्ण पद बिहार कैडर के अधिकारियों को सौंपने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में बिहार बैच का शासन चल रहा है। रेड्डी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “तेलंगाना के मुख्य सचिव सोमेश कुमार, नगर प्रशासन सचिव अरविंद कुमार, एक अन्य वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संदीप सुल्तानिया, सिंचाई सचिव रजत कुमार और प्रभारी डीजीपी आईपीएस अंजनी कुमार सभी बिहार से हैं। बिहार बैच राज्य में शासन कर रहा है।”
उन्होंने बिहार कैडर के अधिकारियों का मजाक उड़ाते हुए निराधार आरोप लगाया कि इन अधिकारियों की नियुक्ति के कारण तेलंगाना मूल के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को वह अवसर नहीं मिल रहा है, जिसके वे हकदार हैं। वह अफसर कैडर का मजाक उड़ाने से भी नहीं रुके, बल्कि I-PAC के मालिक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की आलोचना करते रहे। तेलंगाना की केसीआर सरकार पर निशाना साधते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सीएम केसीआर के पूर्वज बिहार से हैं। ध्यान देने वाली बात है कि बिहार के खिलाफ इस तरह की बयानबाजी करते हुए, कांग्रेस पार्टी समग्र रूप से यह भूल जाती है कि बिहार कितना समृद्ध है और कांग्रेस खुद उस बिगड़ती स्थिति के लिए जिम्मेदार है, जो कभी बिहार पर छाई हुई थी।
FEP के जरिए कांग्रेस ने बिहार को किया अपंग
गौरतलब है कि अंग्रेजों ने कांग्रेस को भारत की सत्ता सौंप दी, जिसपर बाद में सिर्फ एक परिवार ने कब्जा कर लिया। सत्ता में आने के बाद पार्टी ने कुछ ऐसी गलतियां की, जिसका खामियाजा भारत आज तक भुगत रहा है। ऐसी ही एक गलती है फ्रेट इक्वलाइजेशन पॉलिसी। इस विनाशकारी नीति के साथ, कांग्रेस ने बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे खनिज समृद्ध राज्यों से उद्योग छीन लिए। यह नीति पूरी तरह से पक्षपाती थी, एक तरफ इसने गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को के पास व्यापार में अपना आधिपत्य बनाए रखने की अनुमति दी, तो वहीं दूसरी ओर इसने पूर्वी राज्यों के लोहा, सीमेंट, स्टील जैसे संसाधनों को छीनकर उन्हें गरीब बना दिया। कांग्रेस दो चीजों के लिए दोषी है, पहला बिहार के कई राज्यों से विकास की संभावनाओं को छीनने के लिए और दूसरा बिहारियों के योगदान का उपहास करने के लिए। खैर, बिहारी अपना बदला लेना बखूबी जानते हैं और बिहार में कांग्रेस का राजनीतिक बहिष्कार उसी का नतीजा है।
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