सत्य को दबाया जा सकता है ,किन्तु सदैव के लिए आप सत्य छुपा नहीं सकते हैं | सत्य की हमेशा अंधेरे मे न रहने वाली प्रवृत्ति ही सत्य को शाश्वत बनती है | सत्य एक न एक दिन बाहर आ ही जाता है | कुछ ऐसा ही हुआ है, The Kashmir Files पर्दे पर आने के बाद | अब द कश्मीर फाइल्स जैसी कई सत्य पर आधारित कहानियों का प्रादुर्भाव होने लगा है। जिस प्रकार देश को अब तक इस धोखे में रखा गया कि कश्मीर में हुआ कश्मीरी हिन्दुओं का नरसंहार प्रायोजित नहीं था | अब उन सभी तथ्यों को एक फिल्म के माध्यम से उकेरने का काम निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने किया। दर्शकों के अपार स्नेह और समर्थन ने यह भी प्रदर्शित कर दिया कि, आज का समाज सोया नहीं है, अपने हितों और बीते कल से सीख लेकर वह आगामी पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित करना चाहता है। इसी कड़ी में 22 मार्च को रिलीज़ हुए ‘द केरल स्टोरी’ के ट्रेलर में कहा गया है, कि ”केरल में, हजारों युवा लड़कियां लापता हो गयीं और पिछले 12 वर्षों में कभी घर नहीं लौटीं”। ऐसी बड़ी घटना को आजतक अखबार के मुख्य प्रष्ठों और टीवी के प्राइम टाइमों में जगह नहीं मिली, लेकिन द कश्मीर फाइल्स ने इस मिथक को तोड़ा और अब इतिहास के गर्भ में दबी वो कहानियाँ जो सालों से बाहर आने की आस में बैठी थीं , उन्हें भी बाहर आने का मौका मिलने लगा है |
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केरल को इस्लामिक राज्य बनाने की पीएफआई की योजना
निश्चितरूप से अब भारत से जुड़े उन घटनक्रमों का वर्णन शुरू हो रहा है, जिनको आजतक वामपंथी और आतंकियों के प्रभाव वाले बॉलीवुड ने दिखाने की चेष्टा नहीं दिखाई। फिल्म निर्माता विपुल अमृतलाल शाह और लेखक-निर्देशक सुदीप्तो सेन ने मिलकर यह बताया है कि इस फिल्म के माध्यम से यह वर्णन करने का प्रयास किया गया है कि – मानवीय त्रासदी की कहानी को क्या कहते हैं, ये आपको अंदर तक हिलाकर रख देगी। इसके बाद ट्रेलर में केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन के भाषण को दिखाया जाता है जिसमें वो कहते हैं कि, “किस तरह प्रतिबंधित संगठन एनडीएफ के एजेंडे की तर्ज़ पर पीएफआई केरल को मुस्लिम राज्य बनाने की कोशिश कर रहा है। उनकी योजना केरल को 20 साल में मुस्लिम राज्य बनाने की है। ट्रेलर के अनुसार, फिल्म लगभग 32,000 लड़कियों की सच्ची कहानियों पर आधारित है। जिनको अगवा कर जबरन धर्मांतरण करा उन्हें आईएसआईएस पोषित राष्ट्रों में भेज दिया गया।
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एक अत्यंत मार्मिक वर्णन
द केरल स्टोरी ट्रेलर में यह भी दावा किया गया है कि पिछले 10 वर्षों में हजारों लड़कियों की तस्करी ISIS और अन्य इस्लामिक क्षेत्रों में की गयी है। निर्माता विपुल शाह के हवाले से कहा गया है, कि जब सुदीप्तो ने आकर मुझे अपने 3-4 साल के शोध के बारे में बताया, तो पहली मुलाकात में ही मेरी आंखों में आंसू आ गए थे। उसी दिन मैंने द केरल स्टोरी फिल्म को बनाने का फैसला किया था। सुदीप्तो सेन ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि 2009 के बाद से, केरल और मंगलुरु की लगभग 32,000 लड़कियां, हिंदू और ईसाई परिवारों से इस्लाम में परिवर्तित हो गयीं हैं, और उनमें से ज्यादातर सीरिया, अफगानिस्तान या ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में भेज दी गई हैं।
केरल में चलता धर्मांतरण का व्यापार
इन सभी घटनाक्रमों में समानता यह है, कि धर्मांतरण के आधार पर कितनी हिन्दू बेटियों के साथ दुराचार होने के साथ-साथ उनका अपहरण कर उन्हें गल्फ देशों में बेच दिया जाता है । इस घटना में सबसे बड़े आरोपी वो मुल्ला-मौलवी और पादरी हैं, जो दक्षिण राज्यों में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की बहन-बेटियों पर गिद्ध दृष्टि डालकर उन्हें धर्मपरिवर्तन के लिए उकसाकर उन्हें अपने परिवार से दूर कर देते हैं। यह कहानी इतनी विभत्स होने के बावजूद आज तक किसी के संज्ञान में नहीं आ पायी थी | जिसकी वजह सिर्फ इतनी-सी थी ,कि वामपंथी इतिहासकारों और सरकारों ने इसे सामने ही नहीं आने दिया |
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भला को विवेक अग्निहोत्त्री जैसे निर्माता-निर्देशकों का जो आज अपनी जान की परवाह न करते हुए भारत के उस इतिहास को प्रदर्शित करने में जुटे हुए हैं, जिसकी कल्पना करना भी असंभव था। वास्तव में अब समय आ गया है, यदि द कश्मीर फाइल्स के बाद, द केरल स्टोरी आती है तो, वो क्रांति के समान ही होगी और यह कोई मज़ाक नहीं है क्योंकि अब तक कुछ वर्ग इसे ठिठोली समझ रहे हैं , कि अब और कहानी आएंगी। वो तो आएँगी ही पर संवदेनशीलता को संवेदनशून्यता में परिवर्तित न होने दिया जाए तब ही यह क्रांति संभव है, क्योंकि ये कहानियाँ सच हैं कोई मज़ाक नहीं |
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