अगर कहा जाए कि नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ महज एक नेता नहीं आज की राजनीति के हीरो बनकर उभरने वाले राजनेता हैं जिनकी छवि नेता से कई स्तर ऊपर की हो चुकी है तो गलत नहीं होगा। अब तक अबोध बालक अपना हीरो उन अभिनेताओं को मानते थे जो अक्सर टीवी पर फिल्मों या कार्टून में आते थे लेकिन वर्ष 2014 के बाद यह मायाजाल भी टूट गया और अभिनेताओं से जुड़ाव छूट गया। अब यह जुड़ाव राजनीतिक धुरंधरों पर शिफ्ट हो चला है जिसके प्रणेता बने स्वयं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी।
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जाने-अनजाने ही जनता ही भाजपा और उसमें भी विशेषकर पीएम मोदी की सबसे बड़ी प्रचारक बनकर सामने आई है। तो चलिए अविलंब आरंभ करते हैं। आज सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति में चार चांद लगा चुकी भाजपा अपने काडर, मूल वोटबैंक और जमीनी रूप से संगठन को मजबूत कर चुकी है और इसमें पीएम मोदी और सीएम योगी को जितनी सराहा जाए कम ही है।
पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है भाजपा
यह सर्वविदित है कि जमीनी स्तर पर भाजपा अपने काडर को पहले ही इतना मजबूत कर चुकी है कि आज जिस घर में कदम रख लें भाजपा का मतदाता मिल ही जाएगा। ऐसे में अभी तक भाजपा अपने प्रभाव और वर्चस्व में लेश मात्र कमी नहीं आने दे रही है और अपनी स्थिति भुनाने में जुटी रहती है। जमीन पर कार्यकर्ता ऐसे एकजुट हैं कि उनकी भावना ही ऐसी बन चुकी है कि कोई भी चुनाव हो भाजपा के लिए वोट कैसे निकलेगा वो हम देखेंगे, पार्टी बाकी की व्यवस्था देखे। जिस पार्टी में ऐसा संयम और आत्मविश्वास हो उसका कौन बाल भी बांका कर लेगा?
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यह निश्चित है कि 2022 के शुरुआती पांच राज्यों के चुनावों के नतीजों ने यह तो प्रदर्शित कर दिया कि जनता भाजपा के साथ किस हद तक सहयोग करती है। यूपी के नतीजों से यह भी तय हो गया कि अब आगामी 2024 लोकसभा चुनावों की बात हो या 2027 के उत्तर प्रदेश चुनाव दोनों ही चुनाव में यानी 24 में मोदी वापसी कर रहे हैं और 27 में योगी आदित्यनाथ ही वापसी करेंगे। इन सभी समीकरणों का सेहरा जिन कारणों पर जाता है उनमें से एक है सोशल मीडिया जिसके बूते पर भाजपा चुनाव जीतने की मशीन बन चुकी थी।
भाजपा के प्रति लोगों को उसका कार्यकर्ता जितना प्रेरित करता है उससे कहीं ज़्यादा 13 से लेकर 35 की आयु वाले वो लोग करते हैं जो भाजपा का वोटर या कार्यकर्ता न होते हुए भी धड़ल्ले से उसके प्रचार में जुटे रहते हैं। ये भारत की कुल आबादी का वो वर्ग है जिसकी संख्या लगभग 70 प्रतिशत के आसपास है। इस युवा वर्ग से बड़ा मोदी-योगी का शुभचिंतक शायद ही कोई हो। पीएम मोदी को मोदी सरकार कहना, योगी आदित्यनाथ को योगी बाबा कहना इन सभी शब्दों ने जनता और मतदाता को भाजपा से चुम्बक की भांति जोड़ा।
पीएम मोदी और सीएम योगी हीरो से कम नहीं
पीएम मोदी की कोई भी जनकल्याणकारी नीति आते ही यह वर्ग अपने आप ही एक्टिव हो जाता है जिसका काम सीधे तौर पर सरकार के किए कामों की भूरी-भूरी प्रशंसा कर उसकी सराहना करना होता है। ये सब वो अपने मन से करते हैं क्योंकि उनके मनोमस्तिष्क में पीएम मोदी और सीएम योगी हीरो से कम नहीं हैं।
सरकार अपने काम को जितना प्रचारित-प्रसारित करती है, यह वर्ग उससे कई गुना अधिक प्रचार करने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाता नज़र आ जाता है। आज का 13 वर्षीय बालक अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर यदि पीएम मोदी-सीएम योगी को वोट देने के लिए लोगों को इतना प्रेरित करता है तो स्वाभाविक सी बात है और पूरी संभावना है कि 5 साल बाद यही बालक जब 18 का होगा और वोटर बनेगा तो योगी-मोदी की ही सरकार चुनेगा।
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इस मशीनरी के साथ मतदाता का मूड भांपने का काम कर रही भाजपा इस समय जमीन पर तो खूंटा गाढ़े बैठी ही है, सोशल मीडिया पर उसके कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त एक सेना के रूप में जनता भी दिखायी देती है जो हर एक बात को मिनटों में प्रसारित करती है और यही भाजपा के लिए जीत का सबसे बड़ा मास्टरस्ट्रोक बनकर सामने आता है। ये सेना अपने आप ही भाजपा के लिए तैयार होती जा रही है जो कि भाजपा के लिए संजीवनी बूटी के जैसा है जिसका प्रतिफल चुनावी परिणामों में स्पष्ट नज़र आता है और आने वाले चुनावों में अभी और देखने को मिल सकता है।