“आप अपनी तुलना सरकार से कर रहे हैं?” दिल्ली हाईकोर्ट ने जमकर लगाई ट्विटर की क्लास

दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्विटर को दिखायी उसकी औकात

दिल्ली हाईकोर्ट ट्विटर

सौजन्य से गूगल

लगता है ट्विटर भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेटवाकर ही दम लेगा। कहने को यह बिग टेक  की सबसे शक्तिशाली कंपनियों में से एक है, लेकिन इसकी अकड़ सातवें आसमान पर रहती है। परंतु दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मान लो शपथ ही ले ली है कि या तो आपकी अकड़ रहेगी या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।

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दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्विटर को उसकी औकात बताई

दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्विटर को उसकी औकात तो बताई ही अपितु भारत की संप्रभुता के साथ खिलवाड़ करने के लिए उसकी जमकर क्लास भी लगाई है। पिछले कई दिनों से ट्विटर एक के बाद एक कई मामलों के पीछे कोर्ट के चक्कर काट रहा है। अभी अभी हिन्दू देवी देवताओं पर उसके दोहरे मापदंडों के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने जमकर लताड़ा था। अब एक साथ कई अकाउंट को बिना नोटिस निलंबित करने के पीछे ट्विटर को दिल्ली हाईकोर्ट का सामना करना पड़ा।

दरअसल Wokeflix, The Angry Lord, MeghUpdates, BefittingFacts इत्यादि जैसे कई अकाउंट हैं, जिन्हें वामपंथी न होने के कारण बिना किसी नोटिस और बिना किसी ठोस कारण के निलंबित कर दिया गया। ऐसे में सुनवाई के दौरान ट्विटर का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ने टालमटोल करने का प्रयास किया और कहा कि एक निजी कंपनी होने के नाते उनपेर ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती, तो कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उनके साथ कोई विशेष खातिरदारी नहीं होगी और बेहतर यही होगा कि वे ‘जाग जाएँ’ –

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ट्विटर के अधिवक्ता को मानो हड़का दिया गया

परंतु बात यहीं खत्म नहीं हुई बल्कि सुनवाई के दौरान जब सरकारी अधिवक्ता ने केंद्र सरकार की ओर से ऐफिडेविट पेश करते हुए कहा कि सभी कंपनियों को देश के कानूनों के अनुसार कार्य करना होगा, तो ट्विटर ने अजीबोगरीब तर्क दिया कि हम एक निजी कंपनी है, जिसके अपने कायदे कानून हैं। इसपर न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने ट्विटर के अधिवक्ता को मानो हड़काते हुए पूछा, “क्या आप अपनी तुलना सरकार से कर रहे हैं?” –

https://twitter.com/MUBreaking/status/1509060294487724037

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इससे पूर्व भी दिल्ली हाईकोर्ट ट्विटर को हिन्दू देवी देवताओं पर दोहरे मापदंडों को लेकर क्लास लगा चुका है। TFI Post के एक विश्लेषणात्मक लेख के अनुसार, “हिन्दू देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री बार-बार पोस्ट करने वाले एक उपयोगकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हाईकोर्ट ने ट्विटर की लेश मात्र भी दिलचस्पी न होने पर विचार किया। जब साइट ने दावा किया कि जब तक कोई अदालत का आदेश नहीं है, तब तक यह व्यक्तिगत खातों को अवरुद्ध अर्थात ब्लॉक नहीं करता है। अब क्या था? कोर्ट ने रसीद के दावों पर तमाचा मार कहा कि, “यदि यह तर्क है, तो आपने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को क्यों ब्लॉक किया है?”

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पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए क्या कहा?

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, ‘आप (ट्विटर) दुनिया के अन्य क्षेत्रों और नस्लों के लोगों की संवेदनशीलता को लेकर चिंतित नहीं हैं। हम यह कहते हैं कि अगर इस तरह की चीज़ें अन्य धर्म के संबंध में हुई होती तो आप ज्यादा सावधान और संवेदनशील होते।’ आप अन्य लोगों की संवेदनशीलता के बारे में परेशान नहीं हैं परन्तु दुनिया के अन्य क्षेत्रों में, जातियों के बारे में हैं। हम यह कहने की हिम्मत करते हैं कि यदि इस प्रकार की चीजें किसी अन्य धर्म के संबंध में की जाती हैं, तो आप अधिक सावधान, अधिक संवेदनशील होंगे।”

ऐसे में इतना तो स्पष्ट है कि ट्विटर ने इस बार गलत पंगा मोल लिया है। पिछले एक वर्ष से वैसे ही भारत में अराजकता फैलाने के पीछे मोदी सरकार ने उस पर तीक्ष्ण दृष्टि बनाई रखी है, और अब जिस प्रकार से दिल्ली हाईकोर्ट ने उसकी क्लास लगाई है, और केंद्र सरकार भी कार्रवाई को इच्छुक है, उससे स्पष्ट होता है कि अब ट्विटर की खैर नहीं।

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