जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं, ट्विटर के प्रति इस नीति पर जहां भारत सरकार को चलना चाहिए था, वो उसी पुराने ढर्रे पर चलने लगी जो अश्विनी वैष्णव के आईटी मंत्रालय संभालने के पूर्व था। जहां एक ओर भारत के हित में बात कर रहे किसी भी ट्वीट को भारत विरोधी तत्वों के रिपोर्ट करने पर ट्विटर तत्काल ही हटा देता है, वहीं भारत से जुड़े और असल में भारत के विरुद्ध चल रहे एजेंडे को रिपोर्ट करने के बाद भी ट्विटर के कान पर जू नहीं रेंगती और वह संबंधित किसी भी ट्वीट को हटाने का काम नहीं करता। यह हमारे मंत्रालयों की और विशेषकर नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव की खामी ही है कि ट्विटर सरकार की नीतियों को चुनौती देते हुए फेक न्यूज़ को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में इस बात की संभावना भी तेज है कि अगर जल्द ही वैष्णव ट्विटर पर लगाम नहीं लगाते हैं, तो उन्हें खुद इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बीते रविवार को कर्नाटक के शिवमोग्गा में मारे गए बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्षा को “आतंकवादी” के रूप में संदर्भित करते हुए एक विदेशी पत्रकार सीजे वेरलेमैन ने एक ट्वीट किया, और दावा किया कि पिछले साल अक्टूबर में त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीछे बजरंग दल का हाथ था। वेरलेमैन ने ट्विटर पर लिखा, “हिंदू चरमपंथी समूह बजरंग दल का एक आतंकवादी, जिसने नवंबर में त्रिपुरा में मुसलमानों के खिलाफ आतंकवादी हमलों की लहर को अंजाम दिया था, कल रात कर्नाटक में मारा गया।” इस ट्वीट पर जब भारतीय और गैर-भारतीय दोनों तबकों ने रिपोर्ट किया, तो ट्विटर को विवश होकर इस पर गौर करना पड़ा। यद्यपि उसने गौर तो किया, पर उसे यह ट्वीट अराजक नहीं लगा और जिसका संदेश विदेशी पत्रकार सीजे वेरलेमैन के पास भी गया और अंत में ट्विटर की ओर से यह कहा गया कि “हमने रिपोर्ट की गई सामग्री की जांच की है और पाया है कि यह ट्विटर कानूनों के तहत हटाने के अधीन नहीं है।”
They deleted tweet of the ruling party’s Twitter account, why do we have to keep this account active in India! @Rajeev_GoI @ianuragthakur @AshwiniVaishnaw sirs pic.twitter.com/MrnntMR8Ms
— अंकित जैन (@indiantweeter) February 21, 2022
तमाम लोगों की ओर से सीजे वेरलेमैन को रिपोर्ट करने के बाद भी जब ट्विटर ने उनके ट्वीट को नहीं हटाया, तो इससे विदेशी पत्रकार सीजे वेरलेमैन को और बल मिल गया और उन्होंने ट्विटर की ओर से आए संदेश का स्क्रीनशॉट ट्वीट करते हए कहा, “प्रिय हिंदुत्व फासीवादियों, अब आप मौत की धमकियों और मेरे ट्वीट को बड़े पैमाने पर रिपोर्ट करने से रोक सकते हैं।”
Dear Hindutva fascists, you can now cease with the death threats and mass reporting my tweet to @Twitter. pic.twitter.com/ADEOycT9PA
— CJ Werleman (@cjwerleman) February 21, 2022
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ट्विटर ने ट्वीट हटाने से किया मना
ध्यान देने वाली बात है कि वर्ष 2019 में मोदी कैबिनेट में रविशंकर प्रसाद को देश का आईटी मंत्री बनाया गया था, परन्तु उनके रहते ट्विटर जैसे तमाम सोशल मीडिया माध्यमों से भारत के प्रति चूक और भारत विरोधी एजेंडे को परोसने का काम हुआ। ऐसे में जब 2021 में मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ तो आईटी मंत्रालय की जिम्मेदारी अश्विनी वैष्णव को दी गई। पिछले वर्ष ही देश में नए आईटी नियम लागू हुए थे, जिनको मानने में ट्विटर ने काफी आनाकानी की थी, जिसके कारण भारतीय न्यायपालिका से पड़ी लताड़ ने ट्विटर को उसकी औकात याद दिलाई थी। शायद कुछ ऐसा ही इलाज ट्विटर को पुनः चाहिए, क्योंकि अब वो भारत विरोधी एजेंडे को गलत नहीं मानता पर यदि कोई भारत के हित में ट्वीट करता है, तो वो ट्विटर गाइडलाइन्स का उल्लंघन बता दिया जाता है।
जिस प्रकार वेरलेमैन के विवादास्पद ट्वीट को ट्विटर ने हटाने से या उसपर सख्त कार्रवाई करने से पल्ला झाड़ा है, वो तमाचा है हर उस भारतीय के लिए, जो अपने हितों की रक्षा स्वयं करने के लिए ऐसी विषैली ताकतों से भिड़ तो रहा है, परंतु संबंधित आईटी मंत्रालय के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही। जिस प्रकार रविशंकर प्रसाद के आईटी मंत्री रहते ट्विटर ने अपनी मनमानी की थी, अब अश्विनी वैष्णव जो कि पूर्व में एक वरिष्ठ आईएएस अफसर भी रह चुके हैं, उनके आने से भी कोई बड़ा परिवर्तन नज़र नहीं आ रहा है। आज भी हाथ बंधे हुए ही नजर आ रहे हैं, जो कि काफी निंदनीय कृत्य है। मंत्री और मंत्रालय से आशान्वित होकर जनता कई बार सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे चुकी है, परंतु अश्विन वैष्णव के नेतृत्व वाला यह मंत्रालय क्या कर रहा है, कुछ कहा नहीं जा सकता!
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वेरलेमैन को मिला जवाब
रही बात विदेशी पत्रकार सीजे वेरलेमैन की, तो कर्नाटक के पुलिस प्रमुख ने बीते रविवार को शिवमोग्गा में मारे गए बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्षा को “आतंकवादी” के रूप में संदर्भित करने के लिए सत्यता बताने का काम किया। सीजे वेरलेमैन के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए, कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रवीण सूद ने ट्विटर पर लिखा, “यह बिल्कुल गलत है। मौत का आतंकवाद या त्रिपुरा से कोई संबंध नहीं है।”
लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि ट्विटर की इतनी हिम्मत हो गई कि एक पुलिस महकमे के उच्चतम पद पर बैठे अफसर की बात को भी उसने नज़रंदाज़ करते हुए ऐसे तुच्छ और लाइमलाइट के भूखे विदेशी पत्रकार सीजे वेरलेमैन को सही साबित कर दिया और उसके घटिया ट्वीट को रिपोर्ट करने वाले सभी लोगों को गलत बता दिया। यह हमारी ही कमी है, जो सरकार में बैठे कुछ मंत्री अपने कर्तव्य पथ से विमुख होकर पूरी सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा करने का काम कर रहे हैं। निस्संदेह अश्विनी वैष्णव को मनमानी कर रहे ट्विटर पर शिकंजा कसते हुए, उससे जवाब मांगना चाहिए और ट्विटर के भारतीय मुख्यालय के अधिकारियों को तलब करना चाहिए।
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