सावधान अखिलेश, द कश्मीर फाइल्स आपकी पार्टी को बांट सकती है!

अपनी ही पार्टी की कब्र खोदने में जुट गये हैं अखिलेश और मौर्या!

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चुनाव हारने के बाद नेता सठिया जाते हैं, इसमें कोई दोहराय नहीं है। स्वामी प्रसाद मौर्य तो चुनाव से पहले ही ऐसी रंगबाज़ी दिखा रहे थे जैसे उन्हें पता ही था की सपा हारने वाली है और इसी कुंठा, हताशा और निराशा को वो चुनवा प्रचार में और इंटरव्यूओं के माध्यम से दिखा रहे थे। अब जब चुनाव पार्टी हो हारी ही,साथ ही खुद भी फाजिलनगर से विधानसभा चुनाव हारने के बाद तो मानों उनकी हालत न घर का न घाट का वाली हो गई है। इसके बाद अनर्गल बयानों से सुर्खियां बटोरने की जुगत में लगे स्वामी प्रसाद मौर्य ने अब ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर जहाँ एक ओर उसकी वास्तविकता और अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं तो दूसरी ओर उसी की तर्ज पर लखीमपुर खीरी में हुई घटना पर फिल्म बननी चाहिए। जी हाँ, यह बात कही सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने।

ऐसे में एक ही दल दो चर्चित चेहरों के दो अलग अलग बयान संदेह ही दृष्टि से देखे जा रहे हैं। ‘द कश्मीर फाइल्स’ की तर्ज पर लखीमपुर पर भी फिल्म बनाने की बात कहने वाले अखिलेश ने यह स्वीकार किया है कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों पर कितना दुराचार हुआ तभी तो उनके मुख से निकला कि वहां की घटना की ही तरह लखीमपुर में कुछ घटित हुआ था इसलिए लखीमपुर को भी दिखाया जाए। ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य के बड़बोलेपन वाला व्यवहार अखिलेश और सपा दोनों की गले की फ़ांस बन चुके हैं।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “अगर घाटी पर आधारित ‘द कश्मीर फाइल्स’ बनाई जा सकती है, तो एक फिल्म ‘लखीमपुर फाइल्स’ भी बनाई जानी चाहिए। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के दौरान 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे के स्वामित्व वाली एक जीप ने कथित तौर पर चार किसानों को कुचल दिया था।”

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सपा अध्यक्ष ने बुधवार को सीतापुर जिले में पत्रकारों से उनकी राय पूछे जाने पर कहा, “अगर कश्मीर फाइल्स फिल्म बनती है तो कम से कम फिल्म ‘लखीमपुर फाइल्स’ भी होनी चाहिए, जहां किसान जीप के पहिए के नीचे कुचले गए थे।”

अब वो बात अलग है की अखिलेश यादव के मुख से उनके शासनकाल में हुए 2013 में हुए मुजफ्फरनगर, कैराना दंगा और 2014 में हुआ सहारनपुर दंगा इनपर कोई फिल्म बनाने की बात नहीं कर सके क्योंकि इससे उनकी सच्चाई सबके सामने आ जाएगी। ऐसे ही राम जन्मभूमि पर हुई कार सेवकों की नृशंस हत्या पर भी सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव कुछ नहीं कहते क्योंकि उससे उनके पिता तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की सच्चाई सामने आ जाती।

अब स्वामी प्रसाद मौर्य का यह बयान अब अखिलेश यादव के लिए परेशानी का सबब बन चुका है क्योंकि जहाँ एक ओर नए नवेले नेवले बने, सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने फिल्म, “द कश्मीर फाइल्स” को अधूरा करार दिया है और कहा है कि ऐसी फिल्म दिखाने से सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा खत्म हो जाएगा। गुरुवार को ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, मौर्य ने कहा, “कश्मीर फाइल्स केवल कश्मीरी पंडितों के उत्पीड़न को दर्शाती है, जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में, कश्मीरी मुसलमानों, पंडितों और सरदारों को समान रूप से तबाह और परेशान किया गया था। पूर्ण दृश्य दिखाएं, क्योंकि यह फिल्म अधूरा सच दिखा रही है। यह सब साम्प्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को खत्म कर देंगे।” उन्होंने कश्मीरी पंडितों, मुसलमानों और सिखों के विनाश के लिए भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी सहित पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया।

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अब अखिलेश यादव सच मान रहे है, स्वामी प्रसाद मौर्य फिजूल में रुदाली राग गए रहे हैं, अन्तोत्गत्वा होना कुछ नहीं है क्योंकि सपा माने अखिलेश यादव और अखिलेश यादव माने सपा। अपने ही पिता-चाचा को साइड कर देने वाले अखिलेश अब सपा के नए नेता हुआ स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान से निश्चित रूप से माथा पकड़ रहे होंगे कि “किसे ले लिया मैंने अपनी पार्टी में?” मौर्य जहाँ अखिलेश के बयान के उलट अपना वक्तव्य रख रहे हैं इससे एक और फूट समाजवादी पार्टी में देखने को मिल सकती है क्योंकि उत्तर प्रदेश के नवजोत सिंह सिद्धू बन चुके स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बड़बोलेपन से समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की जड़ें खोदने का काम कर रहे हैं। अब ये जब अनजाने में हुआ या जानके यह तो मौर्य ही जाने पर ये सच है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने सभी भेदियों को बाहर निकाल दिया है, कि बोलो सच्चाई, स्वीकार करो सच्चाई।

राजनीति का स्तर गिरा चुके अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य सरीखे सभी नेता आज की भारतीय राजनीति में अवसरवादियों के प्रयाय बन चुके हैं। फिर चाहे अखिलेश हों या स्वामी प्रसाद दोनों ही सभी दलों से मित्रता कर उनकी बची-कूची राजनीतिक साख को भी मठियामेंठ कर देते हैं। बस अब आग अपनी ही अपर्ति में लग रही है जिससे समाजवादी कैसे निपटेंगे वो खुद नहीं जानते।

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