चीन के GDP growth rate का घमंड मोदी सरकार ने चकनाचूर कर दिया

वैश्विक स्तर पर हँसी का पात्र बन गया है चीन!

PM Modi and Jinping

Source- TFIPOST

चीन में इस बात का जोर-शोर से प्रचार प्रसार किया गया था कि माओ का जो सपना था, वो शी जिनपिंग लेकर आगे बढ़ रहे थे। अगले एक दशक तक, चीन का लक्ष्य हर साल दो अंकों की आर्थिक विकास दर हासिल करना था। आपको समझना चाहिए कि चीन 2030 तक संयुक्त राज्य अमेरिका को पीछे छोड़ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में बदलना चाहता है। लेकिन गाछे कटहर होठे तेल वाली कहावत चीन पर लागू हो गई है। कम्युनिस्ट पार्टी का अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण है और ऐसा नियंत्रण जिसे लेनिन तानाशाही कहा जाए, जो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। हालांकि, चीन के भीतर हालात इतने खराब हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने खुद ही देश की आर्थिक विकास दर को डाउनग्रेड कर दिया है। चीनी अर्थव्यवस्था के मिथक का भंडाफोड़ हो गया है और इस बार खुद सीसीपी ने अनजाने में ही सही लेकिन अपनी भद पिटवा ली है। इसके साथ ही चीन जीडीपी ग्रोथ रेट के मामले में भारत से पीछे छूट गया है।

दरअसल, चीन ने बीते दिन शनिवार को दशकों में अपना सबसे कम जीडीपी लक्ष्य रखा। चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने शी जिनपिंग की उपस्थिति में असामान्य रूप से मामूली लक्ष्य लगभग 5.5 प्रतिशत की घोषणा की। इसका मतलब यह है कि चीन वर्ष 1991 के बाद से इस वित्तीय वर्ष में आर्थिक विकास की सबसे धीमी दर का गवाह बनेगा। यह सही है, चीन एक दर्दनाक वर्ष भुगतने के लिए तैयार है, जैसा उसने पिछले तीन दशकों में नहीं देखा है। चीनी प्रधानमंत्री ने कहा, “देश और विदेश में विकसित हो रही गतिशीलता के व्यापक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि इस साल, हमारा देश कई और जोखिमों और चुनौतियों का सामना करेगा।”

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चीन के लिए आने वाला दर्दनाक साल

चीनी अर्थव्यवस्था कई कारणों से कमजोर हो रही है। कोविड-19 महामारी ने कम्युनिस्ट राष्ट्र के भीतर उत्पादन और खपत को रोक दिया है। चीन सप्लाई  चेन से भी बाहर होते जा रहा है, चीन अपने रियल एस्टेट क्षेत्र के पतन के तनाव से जूझ रहा है। चीनी डेवलपर्स दिवालिया हो रहे हैं और अपने कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ हैं। चीन में संपत्ति क्षेत्र में गिरावट आई है। घर खरीदारों के बीच कोई खास गतिविधि नहीं है और फिर शी जिनपिंग द्वारा चीन के निजी क्षेत्र का लगातार शिकंजा कसना इसके  बड़े कारणों में से एक हैं। टेक सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।

चीन को संयुक्त राज्य को पीछे छोड़ने के लिए अगले दशक में दोहरे अंकों की वृद्धि की आवश्यकता थी। साथ ही यह कम्युनिस्ट देश आने वाले वर्षों में 8-9 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगा रहा था। लेकिन चीन की विकास दर पहले ही 5.5 प्रतिशत के “आधिकारिक स्तर” पर आ गई है। यह सीसीपी के लिए अच्छी खबर नहीं है, खासकर शी जिनपिंग के लिए। लेकिन क्या आंकड़े भी सही हैं? यहां तक ​​कि 5.5 फीसदी का आंकड़ा भी झूठ है। चीन कभी भी अपनी वास्तविक आर्थिक विकास दर प्रकाशित नहीं करता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि ताजा आंकड़ा भी महज दिखावा है और यह दर्शाता है कि चीन की अर्थव्यवस्था का स्वास्थ्य वास्तव में अनुमान से कहीं ज्यादा खराब है।

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भारत ने चीन को हराया

दूसरी ओर “धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय” को मानने वाले भारत की स्थिति आज चीन से बहुत ज्यादा अच्छी है। चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी 8.9 फीसदी की दर से बढ़ती दिख रही है। सभी प्रमुख अध्ययनों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था बड़े राष्ट्रों की लीग के बीच सबसे तेज गति से बढ़ने की ओर अग्रसर है। अपने जनवरी 2022 के अपडेट में, आईएमएफ ने भारत को एकमात्र ऐसे देश के रूप में सूचीबद्ध किया, जिसका विकास अनुमान वर्ष 2022-23 में संशोधित किया गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था का पहले के 20.1 प्रतिशत के अनुमान के मुकाबले अप्रैल-जून में 20.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। वहीं, जुलाई-सितंबर 2021 में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जो पहले के 8.4 प्रतिशत के अनुमान के मुकाबले ज्यादा थी। क्या आप चीन में ऐसे आंकड़े देखते हैं? बिलकुल नहीं! पिछले तीन दशकों में अपने देश द्वारा किए गए सभी लाभों को नष्ट करने पर तुले हुए एक पागल आदमी की अविवेकपूर्ण आर्थिक नीतियों के कारण चीन मौजूदा समय में हँसी का पात्र बन गया है।

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