रहने दीजिये भाईसाहब, फट गई है इनकी…! मशहूर वेब सीरीज़ मिर्ज़ापुर का यह डायलॉग अब योगी आदित्यनाथ के संदर्भ में बिलकुल सटीक बैठ रहा है। अभी तो बाबा के बुलडोज़र ने आहें नहीं भरी थीं कि सरेंडर करने को आतुर आरोपी, गैंगस्टर और गुंडे-बदमाशों की झमाझम बारिश हो गई है। यह योगी आदित्यनाथ की दंगई और गुंडई के खात्मे के लिए बनाई गई Zero Tollerance नीति का प्रत्यक्ष उदाहरण ही है जिसके फलस्वरूप 10 मार्च को योगी सरकार के पुनः वापसी के बाद कम से कम 50 अपराधियों ने पुलिस मुठभेड़ या बुलडोजर से अपने घरों पर निपटाने के डर से आत्मसमर्पण कर दिया है। यह दिखाता है कि योगी 2.0 में डर का माहौल डबल हो चुका है और यह तो अभी मात्र शुरुआत है।
जान बची तो लाखों पाए
एनकाउंटर और जमीन कुर्क का भय इतना है कि अब यह सभी कानून के दायरे में आकर लुंगी डांस करने को विवश हो चुके हैं क्योंकि जड़-जमीन और जोरू का साथ तब तक ही है जब तक शरीर में जान है। यही जान बचाने के लिए गुंडे-माफिया अपने-अपने नजदीकी थानों में जाकर आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम के आने के 10-15 दिनों के भीतर ही राज्य में योगी आदित्यनाथ के प्रकोप से बचने के लिए क्या गुंडे, क्या तड़ीपार और क्या दंगाई सभी की हालत ऐसी हो गई है कि बाहर रहे तो पुलिस मार देगी और भागे तो कही गाड़ी न पलट जाए। ऐसे में तो जेल जाना ही बेहतर है। ऐसे में आरोपी सरेंडर करने पुलिस के पास कुछ इस प्रकार पहुंच रहे हैं कि, उनके गले में तख्तियों के साथ एक संदेश लिखा हुआ मिल रहा है जिसमें लिखा होता है- “मैं आत्मसमर्पण कर रहा हूं, कृपया गोली मत चलाना।” कई वांछित अपराधी राज्य भर के पुलिस थानों में चले गए और खुद को पुलिस के हवाले कर दिया।
और पढ़ें- अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे बाहुबलियों से योगी सरकार ने वसूले 11.28 अरब रुपये
इस ईमानदारी की बयार गौतम सिंह से शुरू हुई जो अपहरण करने और रंगदारी मांगने का आरोपित था। उसने 15 मार्च को गोंडा जिले के छपिया थाने में आत्मसमर्पण कर दिया। तीन दिनों के भीतर, 23 और अपराधियों ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के चिलकाना थाने में अपराध को टाटा टाटा बाय बाय कहने के साथ ही खुद को प्रशासन के हाथों सौंप दिया। बाद में, आत्मसमर्पण की श्रृंखला बढ़ती ही चली गई। चार शराब तस्करों ने देवबंद पुलिस के सामने एक शपथ पत्र के साथ आत्मसमर्पण कर दिया, जिसमें कहा गया था कि वे फिर से अपराध नहीं करेंगे। इसके बाद शामली जिले में आत्मसमर्पण करने का सिलसिला शुरू हो गया, जहां गोहत्या के आरोपी 18 लोगों को हिरासत में लेने के लिए थानाभवन और गढ़ीपुख्ता पुलिस थानों में चले गए। कुछ दिनों के भीतर, एक और वांछित अपराधी हिमांशु उर्फ हनी ने फिरोजाबाद के सिरसागंज पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण किया और कहा कि उसका एनकाउंटर न किया जाए।
बदमाशों के तेवर नरम नहीं ढीले पड़ गए हैं
मतलब अजीब ही हाल है, जहां एक ओर सपा-बसपा शासन में पुलिस को यही गुंडे हड़काते थे कि यदि कोई भी कार्रवाई या एक भी FIR की तो ऊपर बैठे आका से कहकर हड़कंप मचा देंगे। आज उन्हीं बदमाशों के तेवर नरम नहीं ढीले पड़ गए हैं। बता दें, योगी ने अपनी पिछली सरकार में कई नामी आरोपियों को एक जेल से दूसरी जेल और दूसरे राज्य से अपने राज्य कई आरोपियों को यूपी की जेलों में ट्रासंफर कर लाया गया था। इनमें मुख्तार अंसारी जैसे माफिया भी शामिल हैं
और पढ़ें- गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की संपत्तियों पर यूपी सरकार ने कसी नकेल
अब सरकार का दूसरा कार्यकाल और उसका आगाज़ भी मुख़्तार अंसारी से जुड़े लंबित मामलों और पेशी से जुड़ा हुआ रहा। पंजाब से उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में आने के बाद से ही मुख्तार अंसारी को इस बात का भय खाए जा रहा है कि कहीं उसके साथ विकास दुबे पार्ट 2 न हो जाए। अब सोमवार को जहां योगी और सभी नवनिर्वाचित विधायक विधानसभा में शपथ ले रहे थे तब मुख़्तार को लखनऊ में एक केस के मद्देनज़र पेश किया जा रहा था। सुबह से ही बांदा जेल से निकलने के बाद लोगों की नज़र इस बात पर टिकी थीं कि सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरू होते ही कहीं पहला मामला मुख़्तार अंसारी का तो नहीं खोला जा रहा।
सत्य तो यह है कि सरकार अपने अनुसार नहीं बल्कि कानून के दायरे में काम कर रही है, यही कारण है जो अब तक सिर्फ मुख़्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे कुख्यात गुंडों और माफियाओं की जमीनें कुर्क की गईं उन्हें नहीं। जिस प्रकार ऐसे समाज के दुश्मनों ने निर्दोष और असहाय लोगों को प्रताड़ित किया है उसकी सजा तो उन्हें ईश्वर ही देगा पर कानून भी अपने प्रयास पूरे कर रहा है जितना उसके अधीन आता है।
और पढ़ें- बुलडोजर बाबा विरुद्ध बुलडोजर मामा देखने के लिए तैयार हो जाइये!
एडीजी कानून और व्यवस्था प्रशांत कुमार ने क्या कहा?
अब जब ऐसे बड़े बड़े कुख्यात बदमाश कानून के चंगुल से नहीं बच पाए तो यह जो कल परसों गुंडई के रास्ते में आये हैं इनकी बिसात ही क्या है। अब एडीजी, कानून और व्यवस्था, प्रशांत कुमार के बयान को ही देखा जाए तो और अच्छे से समझ आ जाए। उन्होंने कहा कि 50 अपराधियों ने न केवल आत्मसमर्पण किया है, बल्कि हार मानने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि इस दौरान दो अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया और 10 अन्य को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा, ”कानून व्यवस्था में सुधार के लिए सूक्ष्म योजना के माध्यम से राज्य के कोने-कोने में अपराधियों में भय पैदा करने के लिए त्वरित और सख्त कार्रवाई की जा रही है।”
अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस न केवल माफिया पर प्रभावी कार्रवाई के बारे में है, बल्कि यूपी-112 द्वारा नए सिरे से सतर्कता और गहन गश्त करना है। साथ ही, 2017 के बाद से राज्य में कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ जो योगी सरकार की उपलब्धि भी है जिसे नकारा नहीं जा सकता है।