आखिरकार भारत के पास नरेंद्र मोदी के रूप में ऐसा नेता है जो निडरता से कटु सत्य का प्रचार करता है

सत्य कहने से हिचकते नहीं पीएम नरेंद्र मोदी

सत्य हमेशा कड़वा होता है, इस कथन को हम तबसे सुनते आ रहे हैं जबसे हमने यह समझना शुरू किया है कि आखिर समाज होता क्या है। नासमझ से समझदार बनने की इस श्रृंखला में हर मानव इस कथन से दो चार हो ही जाता है। निश्चित रूप से सच कड़वा होता है इसलिए उसे स्वीकारना कोई आसान बात नहीं है। और जब बात नेताओं की हो तो इस मामले में नेता जमात का हाथ  तंग ही रहा है। लेकिन अब समय काल परिस्थिति बहुत बदल चुकी हैं, अब भारत के पास एक ऐसा नेता है जो निडरता से हिन्दू धर्म से जुडी विभत्स घटनाओं के कटु सत्य का प्रचार और व्याख्यान करता है। वह नेता और कोई नहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी हैं।

फिल्म पर पीएम मोदी ने अपनी राय बेबाकी से रखी

हाल ही में रिलीज़ हुई कश्मीरी हिन्दुओं के पलायन और नरसंहार पर आधारित ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) को लेकर मंगलवार को पीएम मोदी ने अपनी राय बेबाकी से रखी जिससे अब वामपंथियों और लिबरलांडू की जड़ें हिल गई हैं। कैसे भारत का प्रधानमंत्री होते हुए नरेंद्र मोदी ने अतिसंवदेनशील और अब तक अनछुए पहलु पर अपनी राय रखने के साथ ही दोषियों को लताड़ा है।

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मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी भाजपा सांसदों की साप्ताहिक बैठक को संबोधित कर रहे थे, उनके वक्तव्य में उन्होंने हाल ही में भाजपा की 4 राज्यों में हुई अप्रत्याशित जीत के लिए सभी को शुभकामनाएं देते हुए परिवारवाद जैसे विषयों पर दो टूक संदेश देने के साथ ही उस बिंदु को छुआ जो इन दिनों प्रत्येक भारतवासी और देश के प्रति आदरभाव और प्रेम रखने वाले व्यक्ति के भीतर घर कर गया है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files), विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने एक फिल्म न होकर असल वास्तविकता को फिल्म के माध्यम से उकेरा है। ऐसी सत्य घटनाएं जो 90 के दशक में देश की सबसे विभत्स घटनाओं में से एक थी। जिसे कश्मीरी पंडितों और हिन्दुओं के जबरन पलायन और नरसंहार के रूप में याद किया जाता है। इस विषय पर फिल्म बनाना कोई सरल काम नहीं था, बॉलीवुड में इस कदर वामपंथी सोच हावी होने के कारण ही आजतक जम्मू-कश्मीर की इस सत्यता को प्रदर्शित नहीं किया जा सका था। लेकिन बीते 11 मार्च को यह रिक्तता भी भर गई, द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) के रिलीज़ होने के बाद से ही उसे देश ही नहीं अपितु वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है।

यूपीए सरकार में अत्याचार से जुड़े इतिहास पर एक शब्द नहीं बोला गया

अपने वोट बैंक में सेंध न लग जाए इस वजह से देश के अधिकांश नेताओं की जिह्वा पर ताले जड़े रहते थे, फिर चाहे वो रोबोट और रिमोट कंट्रोल से चलने वाले पीएम जैसे उपनाम पा चुके प्रख्यात अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह की बात हो या कट्टरता पाले बैठे देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी हो, अपने आका अर्थात 10 जनपथ के निर्देश पर चलने वाले सभी यूपीए समर्थित प्रधानमंत्री और अन्य शीर्षस्थ पदों की छवि धूमिल कर चुके नेताओं ने कभी भी देश के इतिहास और विशेषकर हिन्दुओं पर हुए अत्याचार से जुड़े इतिहास पर एक शब्द नहीं बोला।

20 करोड़ के सामान्य बजट में बनी इस फिल्म ने 5 दिन के अंतराल में अब तक वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर 47.85 करोड़ रुपये की जबरदस्त कमाई की है। मंगलवार को हुई सांसदों की साप्ताहिक बैठक में एक-एक विषय पर बात करते हुए बिंदुवार ढंग से पीएम मोदी ने अपनी बात रखी। ऐसे में ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) का ज़िक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, यह एक फिल्म के बारे में नहीं है, बल्कि देश के सामने “सच्चाई को सामने लाने” और “इतिहास को उसके सही परिप्रेक्ष्य में पेश करने” का मुद्दा है। लंबे समय से “एक समूह/वर्ग विशेष” द्वारा “दबाया” गया है।  पीएम ने कहा कि कैसे सत्य को दबाने के लिए एक इकोसिस्टम काम करता है।

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यह एक सशक्त और तटस्थ नेता और नायक की पहचान होती है जो अपने फैसले स्वयं लेता है न कि कठपुतली बन “बोल वो रहे हैं पर शब्द हमारे हैं” का अनुसरण करता है। पीएम मोदी की इसी खासियत के कायल देश के लोग ही नहीं अपितु कई देशों के राष्ट्रध्यक्ष, वहां की जनता और जनमानस हैं। उनकी इस निडरता से बीते हुए कल के कटु सत्य को स्वीकार कर उसके बारे में सार्वजानिक रूप से उसका उल्लेख करना वाकई अदम्य साहस वाली बात है। वरना यूपीए जैसे दल तो बस वोटबैंक कैसे अजेय हो, कैसे उसमें सेंधमारी न हो उसी सोच में अंधमग्न और तल्लीन रहते थे। तल्लीन रहने में ही यूपीए को जनता ने अचेत अवस्था में पहुंचा दिया और बीते दो आम चुनावों 2014 और 2019 में जनमत से दुर्दशा ही कर दी है। कारण बड़ा स्पष्ट है कि जनता को चाहिए था निडर सेनापति अर्थात राष्ट्र का नेतृत्व करने वाला ऐसा प्रधानमंत्री जो विदेशी ताकतों के समक्ष आंख में आंख डालकर बात कर सके न कि उसकी घिग्घी बंध जाए।

पीएम मोदी का आह्वान हर किसी के मन तक पहुंच रहा है

ऐसे में अब प्रधानमंत्री का इस फिल्म का ज़िक्र करना लोगों को और प्रभावित करेगा, जिन्होंने अब तक फिल्म देखने का मन नहीं बनाया होगा वो अब पीएम मोदी के आह्वान पर जाने का मन बनाएंगे। यह तो है कि पीएम मोदी की स्वीकार्यता ही है जो उनके एक बार कहने पर जनमानस के मन में उथल-पुथल हो उठती है और इसी सकारात्मक सोच से वो पीएम मोदी की बात का अनुसरण करते हैं। कोरोनाकाल से बेहतर और स्पष्ट उदाहरण और कहाँ मिलेगा, लॉकडाउन लगने के पहले थाली-ताली वाली बात हो या दो गज की दूरी मास्क है ज़रूरी के नारे को सार्वजनिक जीवन में अमल में लाने की बात हो जनता ने पीएम मोदी की हर बात पर अपना योगदान सुनिश्चित किया था।

सारगर्भित बात यही है की जनता को भी अब यह पता है कि उसने जिसे नेतृत्व सौंपा है वो निडर है और जनहित में फैसले लेने में शताब्दी एक्सप्रेस से भी तेज है। ऐसे में ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) पर पीएम मोदी द्वारा संक्षेप में रखी गई उनकी टिप्पणी ने कई भारतीयों की आंखें भी खोल दीं कि आज भी वो गुट इस सच्चाई को नकार रहा है। निर्णय आपका है कि सत्य को सत्य मानें नहीं तो बने रहे उन्हीं एजेंडाधारियों के साथ जिनका अंतिम लक्ष्य देश का बंटाधार कर उसे गर्त में ले जाने का है।

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