कांग्रेस को आने वाले दिनों में दो मोर्चों पर लड़ना है क्योंकि उसे पार्टी के भीतर आंतरिक दरार को रोकना है और आम आदमी पार्टी के उदय के बाद विपक्षी खेमे में भी खुद को प्रासंगिक रखना है। पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस के फ्लॉप प्रदर्शन ने शीर्ष नेतृत्व पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया है, जिसको लेकर पार्टी में तत्काल सुधार के लिए दबाव बनाने के लिए G23 नेताओं ने बैठक भी कर ली है।
राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले G23 नेताओं ने पिछले शुक्रवार को नई दिल्ली में पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद के आवास पर मुलाकात की। लोकसभा सांसद मनीष तिवारी, राज्यसभा में पार्टी के उपनेता आनंद शर्मा और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल भी इस बैठक में मौजूद थे। बैठक के दौरान, नेताओं ने सहमति व्यक्त कि की वे पार्टी में सुधार, निर्णय लेने के लोकतंत्रीकरण और कांग्रेस अध्यक्ष और सीडब्ल्यूसी के सदस्यों के पद के लिए समय पर चुनाव के लिए दबाव डालेंगे। G23 नेताओं द्वारा नेतृत्व का अहंकार और लोगों के साथ उसका बढ़ता अलगाव, चापलूसों के एक समूह द्वारा पार्टी चलाना, जिन्हें लोगों के बीच कोई समर्थन नहीं है, कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर पार्टी नेताओं द्वारा खुलकर चर्चा की जा रही है।
खबरों के अनुसार ये नेता चुनावी उलटफेर के लिए जवाबदेही की भी मांग करेंगे और पार्टी के फैसलों और विभिन्न चुने हुए पदाधिकारियों के प्रदर्शन का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन करने में सक्षम होने के लिए अधिक आंतरिक-पार्टी लोकतंत्र की मांग करेंगे। पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, जो G23 समूह का भी हिस्सा थे, उन्होंने सोनिया गांधी को लिखे गए एक पत्र को फिर से जारी करके पार्टी नेतृत्व पर पहली बार हमला किया। पत्र में दीक्षित ने पार्टी के उन आदर्शों से दूर जाने की निंदा की है, जिन पर पार्टी का गठन किया गया था। जी23 के नेताओं द्वारा नेतृत्व की शून्यता और पूर्णकालिक नेता की अनुपस्थिति के मुद्दे को बार-बार उठाए जाने के बाद, पार्टी ने सितंबर तक एक नए अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए संगठनात्मक चुनावों की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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चुनाव में कांग्रेस की हार आने वाले महीनों में राज्यसभा में उसकी संख्या को बहुत प्रभावित करेगी। इस साल राज्य सभा में कांग्रेस की हालत और बुरी होने की उम्मीद है। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस को सलाह दी थी कि अगर वह 2024 में भाजपा को चुनौती देने में भूमिका निभाना चाहती है तो वह अपने आक्रामक रवैये को छोड़ दें और सकारात्मक रवैये के साथ विपक्षी दलों के साथ काम करें।
वहीं पंजाब में भारी जीत के बाद, AAP 10 सदस्यों के साथ राज्यसभा में चौथी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी – 3 दिल्ली से और 7 पंजाब से। यह भाजपा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बाद सबसे बड़ा समूह होगा।
राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस के लिए आप नई प्रतिद्वंद्वी?
पंजाब में आप की शानदार जीत के बाद कांग्रेस को अब दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है – अस्तित्व का संकट और विपक्षी खेमे के नेता के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखना। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस के लिए 2024 के चुनावों की राह और कठिन होती जा रही है क्योंकि यह एक ऐसी पार्टी है जो “आईसीयू में” है और इसे त्वरित समाधान के साथ पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है।
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आम आदमी पार्टी (आप) ने गुरुवार को पंजाब में कांग्रेस और शिअद-बसपा गठबंधन को पछाड़कर 117 में से 92 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की। इस बीच, कांग्रेस को उत्तर प्रदेश, मणिपुर, उत्तराखंड और गोवा के विधानसभा चुनावों में भी करारी हार का सामना करना पड़ा।आप की पंजाब में जीत ने उसे प्रमुख राज्य सरकारों के मामले में कांग्रेस के बराबर ला दिया है। कांग्रेस अब केवल राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपने दम पर सत्ता में रह गई है और महाराष्ट्र और झारखंड में गठबंधन सरकारों में बस एक भागिदार बन कर रह गयी है। जिस तरह से गाँधी परिवार हार पर हार के बाद हर एक मोर्चे पर घिरती चली जा रही है उससे आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी का दो फाड़ होना अब निश्चित लग रहा है।
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