GST परिषद द्वारा जारी पिछले कुछ महीनों के आंकड़ों के अनुसार GST संग्रह में काफी उछाल आया है। चालू वित्त वर्ष में हर महीने कुल GST संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर रहा है, जिसमें फरवरी भी शामिल है, जो मात्र 28 दिन का महीना है। फरवरी 2022 में, GSTसंग्रह 1.33 लाख करोड़ रुपये था, जो पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 18 फीसदी अधिक रहा। ध्यान देने वाली बात है कि हर महीने GST संग्रह दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज कर रहा है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बीते मंगलवार को एक बयान में कहा, “28 दिनों का महीना होने के कारण आम तौर पर फरवरी में जनवरी की तुलना में राजस्व कम होता है। आंशिक लॉकडाउन, सप्ताहांत और रात के कर्फ्यू के बावजूद फरवरी 2022 के दौरान उच्च वृद्धि चौंकाने वाली है।“
पर, GST की पूरी क्षमता का एहसास होना अभी बाकी है क्योंकि अप्रत्यक्ष कर राजस्व के दो सबसे बड़े स्रोत पेट्रोलियम और शराब अभी भी एकीकृत अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के दायरे से बाहर हैं। अधिकांश उत्पादों को नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के तहत लाया जा चुका है, लेकिन पेट्रोलियम उत्पादों, शराब और बिजली को इससे बाहर रखा गया क्योंकि अधिकांश राज्य इन उत्पादों को GST के तहत लाने के लिए सहमति नहीं दे रहे थे। राज्यों के असहमति के पीछे का कारण यह है कि उनके अधिकांश कर इन्हीं उत्पादों से आते हैं, अर्थात् यहीं दो वस्तुएं राज्य के कर राजस्व का आधार हैं। हालांकि, कर संग्रह में उछाल को देखते हुए पैट्रोलियम और शराब उत्पादों को भी GST के तहत लाया जाना चाहिए।
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GST के दायरे में लाने से आम आदमी को होगा फायदा
मौजूदा व्यवस्था में केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर निश्चित केंद्रीय उत्पाद शुल्क लगाती है। राज्य सरकार एड वैलोरम “मूल्य के अनुसार” कर लगाती है, जिसका अर्थ है कि यह कर तेल की कीमतों में बदलाव के साथ बदलता रहता है। जब भी कीमत बढ़ती है तो कर भी बढ़ता है। उदाहरण के लिए, यदि तेल की कीमत 100 रुपये और उस पर टैक्स 20 प्रतिशत है, तो उपभोक्ता को कर के रूप में 20 रुपये का भुगतान करना होगा। लेकिन, जब कीमत 200 रुपये होगी, तो उपभोक्ता को 40 रुपये कर का भुगतान करना होगा। अलग-अलग राज्यों में पेट्रोलियम पर अलग-अलग टैक्स रेट है, जो 10 फीसदी से लेकर 40 फीसदी तक है। यह राज्यों और स्थानीय सरकारों द्वारा लगाए गए कर के अनुसार बदलता रहता है।
पेट्रोलियम उत्पादों को GST के तहत लाना इसलिए जरूर है कि इससे आम आदमी पर करों का बोझ कम होगा क्योंकि GST के तहत उच्चतम कर की दर 28 प्रतिशत लगाई जा सकती है। वर्तमान में, राज्य और केंद्र सरकार के करों को मिलाकर पेट्रोलियम उत्पादों पर लगभग 200 प्रतिशत कर लगाया जाता है। पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने से उपभोक्ताओं को प्रति लीटर लगभग 40 रुपये की बचत होगी।
सरकार को करना चाहिए विचार
इसी तरह, शराब की कीमत राज्यों में भिन्न होती है। राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग सस्ती शराब पाने के लिए दूसरे राज्य में चले जाते हैं। एक बार अगर शराब को GST के दायरे में लाया जाता है, तो शराब की कीमतें पूरे देश में एक समान हो जाएंगी। अर्थशास्त्री और नीति निर्माता भी पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने के पक्ष में हैं। प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय से एक साक्षात्कार में पूछा गया कि क्या वह पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पादों को GST के तहत लाने के पक्ष में हैं? उन्होंने जवाब दिया, “मैं सब कुछ GST के तहत लाने के पक्ष में हूं।” संग्रह में तेजी को देखते हुए सरकार को हर चीज को GST के दायरे में लाने की दिशा में तेजी से प्रगति करनी चाहिए और तब यह वास्तव में एकीकृत कर प्रणाली बन पायेगी।
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