अंधविश्वास भारतीय आम जनमानस के कुछ वर्ग में पनपा हुआ है। राजनीति भी अंधविश्वास से अछूता नहीं है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रसंग बहुत ही प्रसिद्द था कि नोएडा का दौरा करने वाला कोई भी मुख्यमंत्री कभी भी दोबारा सत्ता में वापस नहीं आता, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सफलतापूर्वक “नोएडा जिंक्स” के मिथक को ध्वस्त कर दिया है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें नोएडा जिंक्स से घंटा फर्क नहीं पड़ता और वो ऐसी चीजों पर विश्वास नहीं करते।
दरअसल, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के सर्वेसर्वा अखिलेश यादव की ओर से चुनाव से पहले यह काफी प्रचारित किया गया कि यूपी का जो भी सीएम नोएडा चला जाता है, वो कभी भी दोबारा सीएम नहीं बनता। उन्होंने इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बार-बार नोएडा की यात्रा पर टिप्पणी करते हुए कहा था, “हमें नोएडा का दौरा करने का परिणाम देखना है और इस बार दोनों नोएडा गए हैं। हम परिणाम देखेंगे।”
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मोदी-योगी ने लगातार किया है नोएडा का दौरा
आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ और नरेंद्र मोदी ने विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने के लिए दिसंबर 2017 और नवंबर 2021 में नोएडा का दौरा किया था। कई लोगों का मानना था कि नोएडा का यह अंधविश्वास योगी आदित्यनाथ के दिमाग में चलता रहेगा, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने कई मौकों पर नोएडा का दौरा कर यह साबित कर दिया की उनके किये गए लाभकारी कार्यों के सामने कोई भी अंधविश्वास नहीं टिक सकता। ध्यान देने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में “नोएडा जिंक्स” तब प्रचलन में आया जब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह को 1988 में गौतमबुद्ध नगर जिले में नोएडा न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण का दौरा करने के कुछ ही दिनों बाद इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था। वीर बहादुर सिंह के उत्तराधिकारी नारायण दत्त तिवारी 1989 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हार गए थे। वह भी मुख्यमंत्री के तौर पर नोएडा गए थे।
गौरतलब है कि पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने 25 दिसंबर, 2017 को दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन का उद्घाटन करने के लिए नोएडा का दौरा किया था। इस अवसर पर पीएम मोदी ने नोएडा जिंक्स पर उपहास करते हुए कहा था कि “योगी आदित्यनाथ नोएडा नहीं जाने के अंधविश्वास को खारिज करने के लिए प्रशंसा के पात्र हैं, जो कि एक मुख्यमंत्री में होना चाहिए।” ध्यान देने वाली बात है कि योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के दौरान नोएडा आते-जाते रहे है और 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत भी दिलाया।
वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा ने जीत हासिल की और अब एक बार फिर नोएडा में लगातार दौरे करने के बावजूद योगी आदित्यनाथ पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौट आए हैं। आपको बता दें कि नवंबर 2021 में, योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी द्वारा जेवर हवाई अड्डे के उद्घाटन के दौरान एक सार्वजनिक सभा में कहा, “मेरे पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री इस जिले का दौरा करने से कतराते थे [गौतम बौद्ध नगर जिसमें नोएडा शामिल था] क्योंकि उनके लिए सत्ता सबसे अधिक महत्वपूर्ण थी।”
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झांसाराम हैं अखिलेश यादव!
नोएडा में मोदी-योगी के लगातार दौरे से बदली हुए राजनीतिक हवा को भांपते हुए बाद में अपने नोएडा दौरे के दौरान अखिलेश यादव ने कहा था कि “एक अंधविश्वास था कि जो भी सीएम नोएडा जाते हैं, अगला चुनाव हार जाते हैं। लेकिन एक और मान्यता है कि जो भी नोएडा जाता है वह चुनाव भी जीतता है। मैंने 2011 में नोएडा से अपनी साइकिल यात्रा शुरू की और जीत हासिल की। मैं यहां फिर से हूं, क्योंकि हमें उत्तर प्रदेश में अगली सरकार बनानी है।” ध्यान देने वाली बात है कि नोएडा विवाद विशेष रूप से अखिलेश यादव के परिवार से जुड़ा हुआ है, क्योंकि उनके पिता, मुलायम सिंह यादव 1980 के दशक में नोएडा के दौरे के बाद वीर बहादुर सिंह और नारायण दत्त तिवारी को सत्ता से बाहर करने के वाले पहले मुख्यमंत्री थे। 1989 से 1991 तक यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव का यह पहला कार्यकाल था। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री के रूप में अपने अंतिम कार्यकाल में मुलायम सिंह यादव 2006 में निठारी हत्याकांड को लेकर गंभीर आलोचनाओं का सामना कर रहे थे, लेकिन उन्होंने नोएडा जाने से इनकार कर दिया। उसके बावजूद भी वो 2007 का चुनाव मायावती की बसपा से हार गए थे।
योगी ने बदला नोएडा का कायाकल्प
लेकिन योगी आदित्यनाथ ने जब कभी भी प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए नोएडा का दौरा किया, उन्होंने अपना रुख स्पष्ट किया था कि वह इस ‘जिंक्स’ में विश्वास नहीं करते हैं कि शहर का दौरा करने से वह 2022 में विधानसभा चुनाव हार जाएंगे। अब एक प्रचंड जीत के बाद, वह ‘नोएडा जिंक्स’ के मिथक को तोड़ने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी हाल में लोगों ने ऐसी बातों पर विश्वास नहीं किया और विकास और सुशासन के नाम पर मतदान किया है। वीर बहादुर सिंह प्रकरण के बाद यदि खबरों की मानें तो, अधिकारियों के मुताबिक ‘नोएडा जिंक्स’ बहुत पहले बनाया गया था और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने इसे एक बार तोड़ने की कोशिश भी की थी, लेकिन वो चुनावी हार गई थी। कई राजनेताओं और अधिकारियों ने 2012 के विधानसभा चुनावों में उनकी हार को उनकी नोएडा यात्रा से जोड़ा था।
वहीं, इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा के पंकज सिंह नोएडा विधानसभा क्षेत्र में 1.8 लाख से अधिक मतों के अंतर से विजयी हुए, जो उत्तर प्रदेश के गौतम बौद्ध नगर जिले के अंतर्गत आता है। यह सर्वविदित है कि नोएडा को उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, जहां लाखों लोगों को रोजगार मिलता है और सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होता है, पर फिर भी कुछ नेताओं द्वारा नोएडा को अछूता और अंधविश्वास के अंधकार में जकड़ने की कोशिश की गई थी। हालांकि, योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभालने के बाद से नोएडा सहित उत्तरप्रदेश का कायाकल्प हुआ है, जिसका प्रमाण है भाजपा का प्रचंड बहुमत से उत्तर प्रदेश चुनाव जीतना।
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