PM मोदी के प्रयासों से मिली बड़ी कामयाबी, पारंपरिक दवाओं को मिली वैश्विक पहचान

अब जल्द ही चिकित्सा महाशक्ति के तौर पर उभरेगा भारत!

PM Modi

Source- TFI

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत सरकार गुजरात के जामनगर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए WHO ग्लोबल सेंटर स्थापित करेगी। यह समझौता 25 मार्च 2022 को हुआ। यह केंद्र भारत सरकार से प्राप्त $250 मिलियन के निवेश द्वारा समर्थित है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और उत्पादों के नीतियों और मानकों के लिए एक ठोस सबूत आधार बनाना है। यह दुनिया भर में पारंपरिक  चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र वैश्विक केंद्र (कार्यालय) होगा। बीते शुक्रवार को WHO ने एक बयान जारी कर इसकी घोषणा की। जामनगर में यह केंद्र आधिकारिक तौर पर 21 अप्रैल, 2022 को खोला जाएगा।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा के लिए इस वैश्विक ज्ञान केंद्र का उद्देश्य लोगों और विश्व स्वास्थ्य में सुधार हेतु आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से दुनिया भर के पारंपरिक चिकित्सा क्षमता का दोहन करना है। ध्यान देने वाली बात है कि जामनगर हब के रूप में काम करेगा। यह केंद्र दुनिया के सभी केंद्रों के लिए एक सेतु का काम करेगी और विश्व स्वास्थ्य के समग्र विकास में सहायक सिद्ध होगी। इसे इसी प्रकार से डिजाइन किया जा रहा है।

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WHO के महानिदेशक ने सराहा

WHO के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, “दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए पारंपरिक चिकित्सा कई बीमारियों के उपचार का प्रथम उपाय है। सभी लोगों की सुरक्षित और प्रभावी उपचार तक पहुंच डब्ल्यूएचओ के मिशन का एक अनिवार्य हिस्सा है और यह नया केंद्र पारंपरिक चिकित्सा के आधार को मजबूत करने के लिए विज्ञान की शक्ति का उपयोग करने में मदद करेगा। इसका समर्थन करने के लिए मैं भारत सरकार का आभारी हूं। हम इसे सफल बनाने के लिए तत्पर हैं।” ऐसा माना जाता है कि दुनिया की लगभग 80 प्रतिशत आबादी पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करती है।

क्या है इस केंद्र के फायदे?

WHO के 194 सदस्य देशों में से 170 पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करते है। उनकी सरकारों ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और उत्पादों पर विश्वसनीय साक्ष्य और डेटा का एक निकाय बनाने में डब्ल्यूएचओ के समर्थन का अनुरोध किया है। ऐसी स्थिति में मोदी सरकार द्वारा जामनगर को पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का हब बनाना और विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ इसके लिए भागीदारी कर पहला केंद्र खोलना भारत के पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक बनाने की एक शानदार रणनीति है। यह केंद्र भारत के पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को वैज्ञानिक आधार देगा तथा विदेशी चिकित्सा दावा कंपनियों और विदेशी चिकित्सा पद्धति का चक्रव्यूह भी तोड़ेगा।

यह वैश्विक स्तर पर भारत के चिकित्सा पद्धति और औषधियों को लोकप्रिय कर देगा। यह भारत को एक चिकित्सा महाशक्ति के तौर पर उभारेगा। विश्वगुरु के साथ साथ भारत विश्व के डॉक्टर की भी उपाधि हासिल करेगा। इस केंद्र की स्थापना और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के विकास की योजना से हमारे देश को एक और लाभ होगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियां और रणनीतियां अभी तक लाखों पारंपरिक चिकित्सा कर्मियों, मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों, स्वास्थ्य सुविधाओं और स्वास्थ्य व्यय को पूरी तरह से एकीकृत नहीं कर पाती हैं। यह केंद्र उनके एकीकरण का कार्य भी करेगा।

इसके अलावा यह केंद्र न सिर्फ लोगों को प्रकृति से जोड़ेगी, बल्कि रोगियों का इलाज प्रकृति प्रदत तत्वों से करने के लिए प्रेरित करेगी। यह हमारे चिकित्सा पद्धति के स्वदेशीकरण का प्रथम कदम है। उपचार में प्रकृति प्रदत्त तत्वों के प्रश्रय से हमारी घरेलू जड़ी-बूटी उद्योग को भी भारी बढ़ावा मिलेगा। जिस तरह से मोदी सरकार ने पूरे विश्व को योग से जोड़ा, उसी तरह इस कदम से मोदी सरकार पूरे विश्व को भारत की चिकित्सा पद्धति के साथ जोड़ दिया है। आज उपयोग में आने वाले अनुमोदित फार्मास्युटिकल उत्पादों में से लगभग 40 प्रतिशत प्राकृतिक पदार्थों से प्राप्त होते हैं।

उदाहरण के लिए, एस्पिरिन की खोज विलो पेड़ की छाल का उपयोग करते हुए पारंपरिक चिकित्सा योगों पर आधारित थी, गर्भनिरोधक गोली जंगली रतालू पौधों की जड़ों से विकसित की गई थी और बाल कैंसर के उपचार गुलाबी पेरिविंकल पर आधारित थे। मलेरिया नियंत्रण के लिए आर्टीमिसिनिन पर नोबेल पुरस्कार विजेता शोध प्राचीन चीनी चिकित्सा ग्रंथों की समीक्षा के साथ शुरू हुआ। अतः मोदी सरकार का यह कदम हमारे घरेलू जड़ी-बूटी उद्योग के साथ साथ रोगियों के स्वास्थ्य के लिए भी वरदान साबित होगी।

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पीएम मोदी ने जताई खुशी

शायद इसीलिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते पर खुशी जाहिर करते हुए अभिव्यक्त किया कि “वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र (GCTAM) की स्थापना के लिए मेजबान देश समझौते पर हस्ताक्षर के बारे में जानकर खुशी हो रही है। जामनगर में डब्ल्यूएचओ-जीसीटीएम की स्थापना के लिए आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच समझौता एक सराहनीय पहल है।” विभिन्न पहलों के माध्यम से मोदी सरकार निवारक और उपचारात्मक स्वास्थ्य देखभाल को सस्ती और सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए अथक प्रयास कर रही है। जामनगर का वैश्विक केंद्र दुनिया को सर्वोत्तम स्वास्थ्य समाधान प्रदान कर भारत को एक चिकित्सीय महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा।

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