बढ़ती उम्र के साथ, आदमी सठिया जाता है। अब सुब्रमण्यम स्वामी को ही देख लीजिए, सत्ता की आपक इतनी है कि किसी को भी कुछ भी बोलने से पहले वह एक बार भी नहीं सोचते हैं। सामान्य जीवन की ही बात कर लें, तो व्यक्ति जिस भी संगठन- संस्था से जुड़ाव रखता है उसकी जवाबदेही और प्रतिबद्धता उतनी ही होती है जितनी वो उस संस्था से अपने प्रति अपेक्षित करता है। इस क्रम में भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद बहुत ही पिछड़े खिलाडी रहे हैं। अब हाल तो यह है कि उनपर न तो पार्टी विश्वास करती है और न ही कोई राजनीतिक पंडित। इन सभी के अपने-अपने तथ्य और आधार हैं परंतु सबसे सामान्य कारण उनके दो मुंहे और अड़ियल व्यवहार को बताया जाता है।
Now that it is clear that what Russia has done in Ukraine violates BRICS Resolution in Delhi Declaration of last year. Will Modi have the guts to tell Putin to back off?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) March 1, 2022
रूस-यूक्रेन विवाद में भारत के पक्ष का तटस्थ होने पर सुब्रमण्यम स्वामी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही निशाने पर ले रहे हैं। निशाने पर लेने तक तो ठीक था, पर निकृष्टता की सारी हदें पार करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने पीएम मोदी को ही सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर गरियाना शुरू कर दिया है।
ऐसे में वो भाजपा के नेता हों न हों, भाजपा के किसी भी समूह से जुड़े हो न हों, परंतु अपने देश के प्रधानमंत्री के प्रति ऐसी घटिया शब्दावली का प्रयोग करना उनकी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है। रूस-यूक्रेन विवाद पर ज्ञान बिखेरने की चेष्टा करने वाले स्वामी ने मंगलवार (1 मार्च) को एक ट्वीट में दावा किया, “अब जब यह स्पष्ट हो गया है कि रूस ने यूक्रेन में जो किया है वह पिछले साल के दिल्ली घोषणापत्र में ब्रिक्स प्रस्ताव का उल्लंघन करता है। क्या प्रधानमंत्री के अंदर हिम्मत है कि वह अब भी रूस के साथ रहेंगे?” उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से रूस को अपने सैन्य आक्रमण को रोकने के लिए निर्देश देने के लिए कहा।
और पढ़ें- राज्य सभा सदस्यता समाप्त होते देख, सुब्रमण्यम स्वामी ने चूमा TMC का हाथ
No, he's caught between a rock & a hard place, the best is to play neutral which he is doing
— #HINDU sandy kapur (@AndyKapur1) March 1, 2022
इसी पर एक ट्विटर यूजर (@AndyKapur1) ने जोर देकर कहा, “नहीं, वह (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) एक चट्टान और एक कठिन जगह के बीच फंस गए है, सबसे अच्छा है कि वह तटस्थ होकर खेले, जो वह कर रहेहैं। ” प्रतिक्रिया से नाराज स्वामी ने “भारत सरकार’ को ‘अक्षम’ करार देने के साथ साथ स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘राजनीतिक हिजड़ा’ करार दिया। स्वामी ने दावा किया, “1.4 अरब सुसंस्कृत लोगों का प्रधानमंत्री राजनीतिक हिजड़ा नहीं हो सकता।”
A Prime Minister of 1.4 billion cultured people cannot be a political hijda
— Subramanian Swamy (@Swamy39) March 1, 2022
महत्वाकांक्षी स्वामी अब झल्ला गये हैं-
यह उस व्यक्ति के शब्द हैं जिसको अब तक भाजपा और संघ के बीच की एक बड़ी धुरी बताया जाता था। अपने हिंदुत्ववादी बयानों से सदैव ख्याति प्राप्त करने के बाद स्वामी को जो सम्मान, कद-पद और प्रतिष्ठा मिली वास्तव में अब वो उसकी जड़ें खोद चुके हैं। यह उनकी अकर्मण्यता और दूषित मानसिकता को परिभाषित कर चुका है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह पहली बार नहीं है जब स्वामी ने देश के संबंध में अपने फैसलों और मुद्दों पर पीएम मोदी को घेरने का काम किया है। नवंबर 2021 में, स्वामी ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय क्षेत्र पर चीन के कब्जे पर पीएम से सवाल करते हुए ट्वीट किया था। “क्या मोदी अब यह भी स्वीकार करेंगे कि चीन ने हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है और मोदी और उनकी सरकार, चीन के कब्जे में एक-एक इंच वापस पाने का प्रयास करेंगे?” उसने सवाल करते हुए स्वामी ने कहा था।
और पढ़ें- सुब्रमण्यम स्वामी का यह बौद्धिक पतन बेहद दुखदायी है
दिसंबर 2021 में स्वामी ने ट्वीट किया था, उन्होंने पीएम और वित्त मंत्री की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि वे अर्थशास्त्र के बारे में बहुत कम जानती हैं, “सरकार न तो अर्थशास्त्र समझती है, न ही पीएम जानते है और न ही वित्त मंत्री।”
भाजपा भी इनसे किनारा करना शुरू कर चुकी है-
यह सब सुब्रमण्यम स्वामी यूँही नहीं कर रहे, उनको नाकारा साबित कर चुकी भाजपा उन्हें दिन-प्रतिदिन साइडलाइन कर रही थी। इसी मध्य उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में “विशेष आमंत्रित सदस्य” की सूची से वंचित कर दिया था। अब जिसका संगठन से ही नौ दो ग्यारह करने का काम हो गया, ऐसे में उसके मंत्री बनने के स्वप्नों की पूर्ति कैसे ही होती। यह स्वामी के अब तक के कर्मकांडों का ही नतीजा है जो उन्हें राज्यसभा के अतिरिक्त और कोई भी जिमेदारी नहीं दी गई। यह उनके पुराने AIADMK के साथ मिल वाजपेयी सरकार को गिराने में षड्यंत्रकारी संलिप्तता को करारा तमाचा है जो उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों का सबसे पुराना नमूना था।
स्वामी की आरज़ू इतनी बढ़ गई थी कि अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और अन्य सभी को प्रमोशन मिलने के साथ ही उन्हें मंत्री न बनाया जाना उनके EGO का समूल नाश कर रहा था। अबतक मुंह ताक रहे सुब्रमण्यम स्वामी इसी आस में अपनी सियासी बिसात बिछा रहे थे कि एक न एक दिन उन्हें विदेश या वित्त या कोई भी एक बड़ा मंत्रालय मिलेगा, पर जैसी करनी वैसी भरनी के सिद्धांत पर भाजपा ने स्वामी को “बेटा, तुमसे न हो पाएगा..!!” कहकर उन्हें दुलत्ती मार दी। इसी से खिसियाए स्वामी के सबर का बांध टूट गया और बड़बोलेपन में उन्होंने पीएम मोदी को “राजनीतिक हिजड़ा” कह दिया।
और पढ़ें- कभी BJP, कभी तृणमूल- सुब्रमण्यम स्वामी का घटिया अवसरवाद!
सौ बात की एक बात यह है कि कितनी भी मत-भिन्नता क्यों न हो जाए, एक राजनीतिक शिष्टाचार और सूचिता की डोर नहीं टूटनी चाहिए। सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बार अपने राजनीतिक ताबूत में अंतिम कील पीएम मोदी के प्रति अभद्र टिप्पणी के साथ ठोक दी है। अब उनके राजनीतिक भविष्य की मंगलकामना वो स्वयं ही करेंगे, और सब तो उन्हें धुत्कारते ही नज़र आएँगे क्योंकि एक नेता को तब ही इज़्ज़त मिलती है जब वो स्थिरता और सौम्यता का परिचय दे और स्वामी इन सभी में दोयम दर्ज़े पर खड़े नज़र आ रहे हैं।