लगभग तीन दशक पहले, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सुरक्षा की गारंटी दिए जाने के बाद सोवियत संघ से निकले कई देशों ने परमाणु हथियार त्याग दिए। हालांकि, सोवियत संघ के टूटने के तीन दशक बाद, अब व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के माध्यम से पूरे विश्व को परमाणु हथियार की अहमियत समझा दी है।जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय अमेरिका ने जापान पर परमाणु हमला कर पूरी दुनिया को सीख दी थी। कहने का सार यह है कि शक्ति ही शांति स्रोत है। स्वयं सोचिए, अगर यूक्रेन ने परमाणु हथियार नहीं त्यागे होते, तो क्या रूस उस पर हमला करता? लेकिन पुतिन के नेतृत्व में रूस यूक्रेन समेत पूर्व सोवियत संघ के देशों पर अपना प्रभाव फिर से हासिल करना चाहता है और अब ये देश रूस या अमेरिका से अपना बचाव नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास परमाणु हथियार नहीं है। पारंपरिक युद्ध में, ये देश रूस या संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे बड़े देशों की तुलना में कहीं नहीं टिकते हैं। अतः अब वे असहाय खड़े हैं और अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अप्रसार और शांति के नाम पर परमाणु हथियार छोड़ दिए हैं।
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असंतुलन बर्बाद कर देगी
इससे सबसे बड़ा सबक यह निकलता है कि जिन देशों के पास परमाणु हथियार नहीं होगा, वे बड़े पड़ोसियों द्वारा निगल लिए जाएंगे। भारतीय नेताओं के पास दुनिया भर के दबाव और चेतावनियों के बावजूद परमाणु हथियारों के परीक्षण करने की बुद्धि और बहादुरी थी। और यही कारण है कि दो मोर्चों से सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के बावजूद आज देश सुरक्षित है। हम परमाणु हथियारों की बदौलत यूक्रेन जैसी स्थिति में कभी नहीं होंगे। अगर आप विश्व के परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों या फिर परमाणु शक्ति के लिए छटपटा रहे राष्ट्रों का अवलोकन करेंगे, तो ये पाएंगे कि जहां-जहां परमाणु शक्ति में असंतुलन या फिर अनुपस्थिति है, वहां-वहां अराजकता, असुरक्षा या फिर युद्ध है। अगर आप चाहें, तो नॉर्थ कोरिया का उदाहरण ले सकते हैं। नॉर्थ कोरिया परमाणु शक्ति से संपन्न एक छोटा देश है। जिसके पास बस लंबी दूरी का मिसाइल नहीं है, जिससे ये परमाणु बम गिरा सके। इस अवस्था में आप साउथ कोरिया के असुरक्षा का अंदाज़ा नहीं लगा सकते। कोरियाई प्रायद्वीप इस परमाणु असंतुलन की वजह से अशांति का कारण बना रहता है।
दुनिया कर रही है अस्थिरता का सामना
ऐसा ही मामला आपको ईरान के संदर्भ में भी देखने को मिलेगा, जिसकी सीमा पाकिस्तान से लगती है। भारत के परमाणु संपन्न होने के कारण प्रत्यक्ष रूप से भारत में घुसने की पाक की मजाल नहीं होती, पर ईरान के साथ ऐसा नहीं है इसीलिए आये दिन पाक ईरान के सीमा का उल्लंघन करते रहता है। ईरान भी परमाणु शक्ति हासिल करने के लिए छटपटा रहा है। परमाणु संपन्नता के कारण ही चीन भारत के साथ दबंगई नहीं दिखा पाता, लेकिन दक्षिण चीन सागर में किस तरह की अशांति फैली हुई है, आप स्वयं सोच सकते हैं। हाल के दिनों में जापान जैसे शांतिप्रिय देश भी अमेरिका से परमाणु हथियार स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं।
इस तरह के ज्ञान का महत्व आज स्पष्ट है, क्योंकि अमेरिकी प्रभुत्व के तीन दशक खत्म हो चुके हैं और दुनिया एक बार फिर अस्थिरता का सामना कर रही है। ऐसी स्थिति में, परमाणु हथियारों के माध्यम से रक्षा में आत्मनिर्भर होने से देश स्थिर होगा और इस प्रकार आर्थिक विकास और शक्ति प्रक्षेपण में मदद मिलेगी। जिन देशों के पास परमाणु हथियार नही हैं और तुलनात्मक रूप से शक्तिशाली परमाणु-सशस्त्र पड़ोसी देश के साथ उनके अच्छे संबंध नहीं हैं, वे खतरे में हैं। शांति के बहाने परमाणु हथियार त्यागने वाला यूक्रेन इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। इसलिए भारत को इससे सबक लेना चाहिए और पहले इस्तेमाल न करने की नीति पर भी विचार करना चाहिए।