भाजपा प्रचंड बहुमत से चुनाव जीत चुकी है और संभावना है कि आने वाले समय में इसी तरह जीतते भी रहेगी। लखीमपुर खीरी, किसान आंदोलन, मुजफ्फरनगर दंगा, कोरोना वायरस, मजदूर पलायन और अन्य सभी मुद्दों पर विपक्ष के फैलाए गए झूठे भ्रम जाल को तोड़ते हुए जनता ने भाजपा के माथे पर विजय तिलक लगा दिया। पार्टी नित नए रिकॉर्ड स्थापित कर रही है और राष्ट्रवाद को नए सिरे से परिभाषित कर रही है। पार्टी का जनाधार, प्रचार-प्रसार और राष्ट्रवादी विचार न सिर्फ देश और राज्यों का सर्वांगीण विकास कर रहा है, बल्कि समाज के हर वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर भाजपा को उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत दिलाने में कामयाबी हासिल की है।
पार्टी ने इस साल हुए पांच विधानसभा चुनावों में से चार में जीत हासिल की है। लेकिन मोदी-योगी की यह जोड़ी सिर्फ भाजपा को ही नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचाने वाली है। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से चार में मिली बेहतरीन जीत भाजपा को एक war fighting machine के रूप में मजबूती से स्थापित करती है। इस बीच, निवेशक भी सत्ताधारी पार्टी की बड़ी जीत का बड़े स्तर पर समर्थन कर रहे हैं। दरअसल, इस शानदार जीत से भारतीय अर्थव्यवस्था को 3 तरह से मदद मिल सकती है। तो आईए जानते हैं…
शेयर बाजार में उछाल
दुनिया भर के शेयर बाजार रूस-यूक्रेन युद्ध की चपेट में आ गए हैं, जिसका प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा है। तेल और गैस के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। पर शायद, ये मोदी-पुतिन की दोस्ती ही है जिसने भारतीय कूटनीति में नया आयाम जोड़ रूस को तेल और गैस के डैम पर भारत को 25 प्रतिशत की छूट देने लिए बाध्य किया। इसी तरह विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद भारतीय शेयर बाजार में बड़ी तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स 817 अंक चढ़कर 50,249 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 16,954 पर बंद हुआ।
इसके पीछे का क्या कारण है? इसके पीछे का एकमात्र कारण है मोदी-योगी की जीत भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कवच साबित हो रही है और यह आश्चर्य की बात नहीं है कि आखिरकार, भारतीय शेयर बाजार दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले शेयर बाजारों में से एक के रूप में उभरा है। COVID-19 महामारी के दौरान, भारतीय शेयर बाजार ने अद्भुत लचीलापन दिखाया और प्रधानमंत्री मोदी की निवेशक-समर्थक नीतियों और आत्मनिर्भरता अभियान के कारण यह वैश्विक दबाव से मुक्त लग रहा था। भारतीय राजनीतिक क्षेत्र में भाजपा के मजबूत होने के साथ, निवेशक भारतीय शेयर बाजार को लेकर काफी आश्वस्त हैं। शेयर बाज़ार की यह मजबूती इसी बात की व्याख्या करता है कि आखिर क्यों चुनाव बाद शेयर बाज़ार में मजबूती आई?
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इन्फ्रास्ट्रक्चर और निवेश परियोजनाओं को बढ़ावा
इसके साथ साथ मोदी-योगी की मजबूती से इन्फ्रास्ट्रक्चर और निवेश परियोजनाओं को भी एक बड़ा शॉट मिला है। प्रधानमंत्री मोदी एक ऐसे नेता हैं, जो बुनियादी ढांचे और बड़ी-बड़ी परियोजनाओं में बड़ा निवेश करने में विश्वास करते हैं। राजमार्ग, हवाई अड्डे, रेलवे, आधारभूत संरचना, बांध के साथ-साथ पुल जैसी परियोजनाओं के बुनियादी ढांचे के विकास ने बड़े पैमाने पर काम किया है। ध्यान देने वाली बात है कि जिस राज्य में भाजपा की सरकार होती है, वहां बुनियादी ढांचे का विकास और भी प्रमुख हो जाता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश और मणिपुर राज्यों ने पिछले पांच वर्षों में राजमार्गों, रेलवे, नए हवाई अड्डों और एक्सप्रेस-वे के मामले में अभूतपूर्व जोर दिया गया है। नए एम्स के साथ-साथ नए-नए विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय राजमार्गों का जाल भी बिछाया गया है।
अब इन चार अहम राज्यों में भाजपा की जीत से इस तरह की बड़ी निवेश योजनाओं में और इजाफा होगा। उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, जो नए हवाई अड्डे, एक्सप्रेस-वे और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को बनाने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। उत्तराखंड और मणिपुर, सीमावर्ती राज्य होने के नाते, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, जबकि गोवा एक पर्यटन-अनुकूल राज्य है जो इसे बड़े निवेश के लिए उपयुक्त बनाता है। मोदी और योगी दोनों ही निवेशकों की चिंताओं को दूर करने का अनवरत प्रयास करते रहते हैं, ताकि भारत को 5 ट्रिलियन और यूपी को 1 ट्रिलियन जीडीपी वाला राज्य बनाया जा सके। अंबानी, अदानी से लेकर नित नए नवाचार इन्हीं के सुशासन के कारण फल फूल रहें हैं।
मेक इन इंडिया को मिला बढ़ावा
नवीनतम विधानसभा चुनाव परिणामों के अनुसार पांच में से चार राज्यों को ‘डबल इंजन’ यानी भाजपा की सरकारें मिलेंगी। जिससे अब यह राज्य प्रधानमंत्री मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के लिए एक बड़ी प्रेरणास्रोत के रूप में उभरेंगे। वर्तमान में, ‘मेक इन इंडिया’ भारत में एक मजबूत विनिर्माण आधार स्थापित करने और विकास को बढ़ाने का मूलमंत्र है। जब केंद्र के साथ-साथ राज्य स्तर पर भी भाजपा की सरकार होती है, तो ‘मेक इन इंडिया’ पहल को पंख लग जाता है। जिन राज्यों में भाजपा सरकार या भाजपा समर्थक सरकार है, वे अन्य राज्यों की तुलना में अधिक व्यवसाय-अनुकूल रहे हैं।
इन राज्यों ने नीतिगत सुधारों को लागू करने, श्रम विनियमन में ढील देने, पर्यावरण विनियमन के ओवरबोर्ड नहीं जाने, ऑनलाइन कर, फाइलिंग सुधारों को शुरू करने, एकल खिड़की मंजूरी सुनिश्चित करने, निवेशक सम्मेलन आयोजित करने और नए व्यवसाय स्थापित करने हेतु भूमि उपलब्ध कराने के लिए अधिक सहयोग करते दिखाई देते हैं, जिसके कारण हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों ने व्यापार करना और नई विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करना आसान बना दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को सुशासन पर फोकस करने और दोबारा विकास के नाम चुनाव लड़ने की प्रेरणा देते रहते हैं। बीते दिन गुरुवार को भगवा पार्टी को जो चार राज्यों में जीत मिली है वो इस विकास गति को द्रुत गति में परिवर्तित कर देगी। चार राज्यों में शानदार जीत, निश्चित रूप से, भारत के लिए बहुत शुभ संकेत है और यह जीत भारत की विकास गाथा को आगे ले जाने में मदद करेगा।
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