जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। यूक्रेन से आ रहे भारतीयों में जहां एक ओर इस बात का संतोष है कि वो संकटग्रस्त देश से लौट अपने वतन आ चुके हैं। तो वहीं, एक वर्ग ऐसा भी है जिसका पहले से ही ध्येय था कि जैसे ही भारत की जमीन पर पहुंचेंगे, सबके उलट भारत और भारत की सरकार की थू-थू कर सुर्खियां बटोर लेंगे। स्वयं कांग्रेस इस मुद्दे को ऐसे उठा रही है जैसे उसकी रणनीति ही यह रही हो कि किसी भी छात्र से बस सरकार की बुराई करा दी जाए। ऐसे में स्वयं भारत सरकार को कोसने वाले ये तत्व यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जितना आसान यह Evacuation उन्हें लग रहा है, उतना आसान था नहीं।
भारतीयों की निकासी का राजनीतिकरण करने पर तुली है कांग्रेस!
ऐसे संकट के समय में जहां सभी वर्गों को पार्टीलाइन से उठकर सरकार का साथ देना चाहिए था, यह कांग्रेस पार्टी ही थी जो भारतीयों की निकासी का राजनीतिकरण करने पर उतर आई। अपनी जान पर पड़ने वाला ही सलामत होने का सुख जान पाता है, यह कांग्रेस की झूठी मशीनरी का ही परिणाम था जो NDTV जैसे वामप्रेरित चैनल ने उन छात्रों को चिह्नित किया जो सरकार के विरुद्ध आग उगल रहे थे। इन्हीं में से एक छात्रा थीं, उत्तराखंड कांग्रेस की नेता सुमित्रा कुमारी यादव की बेटी विशाखा जिसकी एक क्लिप स्वयं राहुल गांधी समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं ने शेयर कर सरकार को घेरने का पूरा प्रयास किया।
NDTV को दी एक बाइट में विशाखा ने दावा किया कि, सुरक्षित राष्ट्र रोमेनिया से वापस लाना Evacuation कैसे कहा जा सकता है, जब वहां कोई खतरा था ही नहीं। अब उन्हें ये कौन समझाए कि युद्ध कब कहां किस तीव्रता से पहुंच जाए उसका अनुमान लगाना किसी के बस में नहीं है, ऐसे में यूक्रेन और रूस से सटे देश सबसे खतरे की आशंका वाले क्षेत्रों में से एक हैं। कल को यदि रोमेनिया या पोलेंड में इस विवाद का प्रसार हो जाता तो यही विशाखा सवाल कर रही होतीं कि सरकार ने हमारी नहीं सोची, सिर्फ सरकार की जवाबदेही क्या यूक्रेन के छात्रों के प्रति ही थी?
बहाने से भारत सरकार को घेरने के सपने देखती है कांग्रेस
विशाखा के ऐसे बयान कांग्रेसी नेताओं के लिए संजीवनी से कम नहीं थे, जहां कांग्रेस पग-पग पर किसी न किसी बहाने से भारत सरकार को घेरने के सपने संजो रही है तो वहीं, ऐसे बयानों से उसकी राजनीतिक रोटी सेंकने का तो जैसे पूरा प्रबंध ही हो गया। जब विशाखा स्वयं एक कांग्रेसी नेत्री की बेटी निकल आईं, तो कांग्रेस के अनुसार तो अब वो “भारत की बेटी” लगने लगी हैं जो सरकार की जड़ें हिलाने का माद्दा रखती हैं। यह बहुत बड़ी बेशर्मी की बात है कि ऐसे भयावह समय में कांग्रेस और उसकी मशीनरी इस बात पर अधिक केंद्रित हैं कि कौन भारत सरकार की आलोचना करता है, न कि उसे संकटग्रस्त क्षेत्रों में रह गए भारतीयों की चिंता है।
ऐसा ही हाल, युद्धग्रस्त यूक्रेन से लौटे एक और भारतीय छात्र का था, जिसे इस बात से कोई सरोकार नहीं था कि वो सकुशल वापस लौट आया। बिहार के मोतिहारी के रहने वाले दिव्यांशु सिंह ने वापस लौटने पर जब उन्हें फूल दिया गया तो उनका कहना था क्या करूं इसका? कितनी भी मतभिन्नता होगी पर जब सरकार इस संकट के समय में भी अपने छात्रों का अभिवादन करने के लिए उन्हें फूल दे रही है ऐसे में जिस प्रकार का रवैया विशाखा और दिव्यांशु जैसे छात्र करते हैं तो वस अशोभनीय लगता है। संयोगवश, दोनों ही छात्र NDTV के ही हाथ लगे, प्रभु की असीम अनुकम्पा से सरकार के विरुद्ध सारा खाका उन्हें ही मिलता है यह कोई नई बात नहीं है।
I have a few ideas… https://t.co/ioZhZ6cWzO
— Ajit Datta (@ajitdatta) March 3, 2022
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कांग्रेस की झूठी प्रचार मशीनरी ये क्या कर रही?
ऐसे बयानों को प्रचारित कर कांग्रेस की झूठी प्रचार मशीनरी न केवल भारत सरकार के प्रयासों को गलत बता रही है बल्कि उन सभी के मनोबल को तोड़ रही है जो अब भी अपनी जान बचाने के लिए संकटग्रस्त देशों में संघर्ष कर रहे हैं। जहाँ अन्य कई देश भारत और उसकी सरकार की सराहना कर रहे हैं कि उसने अपने छात्रों और लोगों के लिए तत्काल ही Operation Ganga जैसे मिशन को अमल में लाया और उसके क्रियान्वन का अधिकांश हिस्सा पूर्ण भी कर लिया। कितने दुर्भाग्य की बात है की कांग्रेस जैसे दल भारत को ही वैश्विक स्तर पर नीचे दिखाने का हर वो प्रयास कर रहे हैं जिससे उसकी छवि दुराचारी जैसी प्रतिबिंबित हो।
यह बात उन सभी छात्रों को समझने चाहिए कि संकटग्रस्त क्षेत्रों में कभी भी कुछ भी हो सकता है, ऐसे में सरकार की आलोचना करना उतना ही आसान है जितना घर पर बैठ ट्वीट करना। यह वो कांग्रेस है जो 26/11 के आतंकी हमले को नकारने का काम करती आई, आतंकी को आतंकी कहने में जिसकी जड़ें हिल जाती थी, वो आज भारतीय लोकतंत्र की सबसे मजबूत स्थिति वाली सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है जिसके मंत्री ग्राउंड ज़ीरो पर अपने लोगों की वापसी में जुट गए हैं। ज्ञानबहादुर कांग्रेस और उसके नेताओं के लिए अन्तोगत्वा एक ही कथन परिभाषित हता है और वो है- खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।