देश की राजनीति की राजधानी अगर किसी राज्य को कहा जाए तो वह उत्तर प्रदेश है। उत्तर प्रदेश वो सूबा है जहां से केंद्र की सत्ता तक पहुंचा जा सकता है। उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजे को लेकर पिछले कुछ समय से बहुत ही गहमा-गहमी चल रही थी। 10 मार्च को जनता ने भाजपा की जीत पर मुहर लगा दी। उत्तर प्रदेश और भाजपा के लिए 10 मार्च एक एतिहासिक दिन रहा जहां कई रिकॉर्ड्स तोड़े गए और नए रिकॉर्ड्स बनाए गए।
चुनावी राजनीति की दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक आबादी वाला और सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में यहां के चुनाव में हुई पूर्ण बहुमत की जीत ने यह बता दिया की बाबा ‘मठ’ के साथ साथ उत्तर प्रदेश जैसे बड़े सूबे को एक बार फिर से चलाने के लिए तैयार हैं।
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योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक या दो अलग-अलग रिकॉर्ड नहीं बनाए हैं बल्कि उन्होंने संख्यात्मक रूप से कम से कम पांच अलग-अलग रिकॉर्ड बनाए हैं और पुराने रिकॉर्ड्स और भ्रम को तोड़ डाला है। चलिए जानते हैं क्या हैं ये रिकॉर्ड्स।
पहला रिकॉर्ड
उत्तर प्रदेश में पिछले 37 साल के इतिहास को देखें तो योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने वाले पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं। किसी भी मौजूदा मुख्यमंत्री ने ऐसा कारनामा नहीं किया है। राज्य और उसके लोगों को आम तौर पर मौजूदा सरकारों, विशेषकर मुख्यमंत्रियों के प्रति बहुत सहानुभूति नहीं रही है। हालांकि योगी आदित्यनाथ कोई साधारण मुख्यमंत्री नहीं हैं। उन्होंने राजनीति में अपनी योग्यता को साबित किया है।
दूसरा रिकॉर्ड
अब तक यूपी में लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने वाले पांचवें सीएम अगर कोई है तो वो योगी हैं। यह योगी को केवल चार अन्य लोगों की एक प्रतिष्ठित सूची में रखता है – 1975 में संपूर्णानंद, 1962 में चंद्रभानु गुप्ता, 1974 में हेमवती नंदन बहुगुणा और 1985 में नारायण दत्त तिवारी।
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तीसरा रिकॉर्ड
उत्तर प्रदेश में अब तक 21 मुख्यमंत्री हो चुके हैं। अंदाजा लगाइए कि उनमें से कितने लोगों ने वास्तव में पांच साल का कार्यकाल पूरा किया होगा? सिर्फ तीन। इनमें योगी आदित्यनाथ, मायावती और अखिलेश यादव शामिल हैं।
चौथा रिकॉर्ड
योगी आदित्यनाथ ने एक और नया रिकॉर्ड बनाया है। वह सत्ता में वापसी करने वाले भाजपा के पहले मुख्यमंत्री हैं। योगी से पहले यूपी में भाजपा के तीन मुख्यमंत्री आए थे- राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह। उनमें से कोई भी दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में नहीं लौटा।
पांचवां रिकॉर्ड
नोएडा को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खूब भ्रम और अंधविश्वास फैलाया था। राजनेताओं के लिए नोएडा नो-गो जोन रहा है। ऐसा कई बार राजनेताओं द्वारा कहा गया कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा जाता है वो अगला चुनाव हार जाता है। हालांकि योगी आदित्यनाथ कभी भी इस अंधविश्वास के शिकार नहीं हुए। 25 दिसंबर 2018 को योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन का उद्घाटन करने के लिए नोएडा का दौरा किया और अभी-अभी उत्तर प्रदेश चुनाव जीत कर योगी आदित्यनाथ ने ‘नोएडा जिंक्स’ को खत्म कर दिया गया है।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के फिर से चुने जाने का एक और दिलचस्प पहलू है। योगी 15 साल में शपथ लेने वाले पहले विधायक सीएम होंगे। 2007 में मायावती ने एमएलसी के रूप में शपथ ली और उनके बाद अखिलेश यादव ने 2012 में सीएम के रूप में शपथ ली, वह भी एमएलसी थे। 2017 में, योगी ने सांसद रहते हुए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। कई मायनों में ’10 मार्च 2022′ को एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में दर्ज किया गया है।
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बीजेपी के लिए 2024 तक का रास्ता काफी आसान हो गया है जबकि योगी आदित्यनाथ के लिए 7 लोक कल्याण मार्ग का रास्ता दिन-ब-दिन साफ होता जा रहा है। भाजपा हमेशा से राज्य में जीत के लिए सुनिश्चित रही थी और समाजवादी पार्टी को हरा कर योगी आदित्यनाथ ने सपा की साइकिल पंक्चर कर दी है। योगी आदित्यनाथ ने चुनाव जीतकर यह साबित कर दिया है की देश की राजनीति में अगर नरेंद्र मोदी के बाद कोई कद्दावर नेता है तो वह हिन्दू पुरोधा योगी आदित्यनाथ है।