देशभक्ति एक ऐसी भावना है जो आपके अंदर निरंतर प्रवाहित होनी चाहिए, यह एक क्षण या एक समय तक सीमित नहीं हो सकता। नेताओं के खोखले वादे आजकल इतने नहीं खटकते जितनी कुछ लोगों की मौसमी देशभक्ति और इनमें बॉलीवुड सबसे अव्वल है। इसी बीच बॉलीवुड एक बार फिर अपनी मौसमी देशभक्ति के साथ सबके समक्ष उपस्थित हुआ है, जिसके बाद से ही कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल, अभी हाल ही में ऑस्ट्रेलिया से लगभग 29 प्राचीन कलाकृतियां भारत वापस आई हैं। इन्हें वापस भारत लाने में मोदी सरकार की निस्संदेह महत्वपूर्ण भूमिका रही है। परंतु इसमें अचानक से करण जौहर बड़े प्रसन्न प्रतीत हुए और उन्होंने ट्वीट किया, “ये खबर हर भारतीय को गर्व से परिपूर्ण कर देगी। पीएम नरेंद्र मोदी की कृपा से 29 प्राचीन कलाकृतियां भारत वापस आई है!” –
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https://twitter.com/karanjohar/status/1505802888588632064
परंतु वे अकेले नहीं थे। किसी समय गुजरात के दंगों के परिप्रेक्ष्य में अमेरिका का वीजा रद्द किये जाने को ‘राष्ट्रीय गौरव’ का विषय मानने वाले आमिर खान ने 360 डिग्री की पलटी मारते हुए हाल ही में कश्मीरी पंडितों की त्रासदी पर अपना ‘दर्द’ उकेरा और सभी से निवेदन किया था कि वे विवेक अग्निहोत्री की सफलतम फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को देखें। आमिर खान के अनुसार, “जी जरूर देखूँगा मैं। वो हिस्ट्री का ऐसा हिस्सा है, हमारा दिल दुखता है उसमें। जो कश्मीरी पंडितों के साथ हुआ है, वो यकीनन बहुत ही दुख की बात है और ऐसे फिल्म जो बनी है उस टॉपिक पर, वो यकीनन हर हिन्दुस्तानी को देखना चाहिए और हर हिन्दुस्तानी को याद करना चाहिए कि वे भी एक इंसान हैं, जब उन पर अत्याचार हुआ तो क्या बीतती है।” लेकिन जो बॉलीवुड अक्सर ‘I am ashamed as a Hindu’, Toolkit Gang जैसे भारत विरोधी अभियानों एवं तत्वों के साथ खड़ा होने में तनिक भी समय नहीं गंवाता, जिस बॉलीवुड के कंठ से ‘भारत माता की जय’ बोलने में पसीना छूटने लगे, वह अचानक से भारत के पक्ष में इतनी जल्दी कैसे सामने आ गया?
वर्षों से चली आ रही है मौसमी देशभक्ति
परंतु ये मौसमी देशभक्ति आज की नहीं है, ये कई वर्षों से चली आ रही है। जब ‘उरी – द सर्जिकल स्ट्राइक’ का प्रभाव अपने चरम पर था, तब भी बॉलीवुड सितारों का एक जत्था पीएम मोदी से मिलने गया था और सोशल मीडिया पर तो ऐसे देशभक्त बने थे, मानो देशभक्ति इनके रग-रग में हो। लेकिन आज फोटो में उपस्थित एक भी व्यक्ति भारत तो छोड़िए, भारतीय संस्कृति से भी दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रखता। जिन्हें ये तक न पता हो कि ‘लाल बाल पाल’ में ‘लाल’ कौन है, उनसे राष्ट्रीयता की आशा करना बेमानी है, और ‘83’ बनाने वालों के बारे में जितनी कम चर्चा करें उतना ही अच्छा होगा। ऐसे में जब बॉलीवुड की मौसमी देशभक्ति सामने आती है, तो उसे देख क्रोध कम, हंसी अधिक आती है, क्योंकि मूल उद्देश्य सभी को पता है – बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया। लेकिन ‘बच्चन पांडे’ जैसे फिल्मों के प्रदर्शन को देखते हुए लगता है कि बॉलीवुड इस काम में भी इतना अक्षम है कि जल्द ही उसकी नैया डूबने वाली है।
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