राजनीतिक महासमर में जब किसी राजनीतिक दल का हार होता है तो कुछ लोग उटपटांग हरकते करते है या फिर बेबुनियाद सवाल उठाने लगते हैं। ऐसा ही हाल देश के कथाकथित लिबरल्स का भी है। दरअसल जब भी देश में चुनाव होता है उससे पहले ही विपक्षी पार्टी सहित देश के लिबरल्स EVM पर सवाल उठाना शुरू कर देते हैं। आपको बता दें कि देश के पांच राज्यों, जिनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड शामिल है, वहां विधानसभा चुनावों की मतगणना 10 मार्च होनी थी| मतगणना होती उससे पहले ही EVM को लेकर रोना शुरू हो गया था। गौरतलब है कि एग्जिट पोल ने भारतीय जनता पार्टी को यूपी चुनाव में आराम से जीतते हुए दिखाया था, जिससे विपक्षी दलों में हड़कंप मच गया था। हमेशा की तरह विपक्षी दलों के नेताओं ने चुनाव जीतने में अपनी असमर्थता को छिपाने के लिए EVM का बहाना बनाना शुरू कर दिया।
जैसे ही पांच राज्यों की मतगणना में भारतीय जनता पार्टी ने 5 राज्यों में से 4 राज्यों में चुनाव जीता। उसके बाद लिबरल्स खून के आंसू रोने लगे और कहते पाए गए की भाजपा ने EVM की मदद से चुनाव जीता है। लिबरल्स खेमों का यह हास्यास्पद बयान का कोई सिर-पैर नहीं हैं और न हीं उनके पास कोई ऐसे सबूत हैं, जिससे EVM पर सवाल उठाया जा सके। चुनावों में अपनी निश्चित हार को लेकर देश का वामपंथी गुट इतना हताश है कि अब उसने ईवीएम के बारे में जमकर फेक न्यूज़ फैलाना शुरू कर दिया है। यह पूरा गिरोह अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में इस कदर लगा हुआ है कि अब वह भारतीय चुनाव आयोग की छवि को धूमिल करने के लिए झूठी खबरों का सहारा ले रहा है।
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राजनीतिक दलों का रोना सुन लीजिये-
उत्तर प्रदेश चुनाव के समय राज्यसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने ईवीएम में गड़बड़ी की खबरों को गंभीर बताया। खुद को नेवला बताने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी कहा था कि “वाराणसी, सोनभद्र, बरेली और उन्नाव में स्ट्रांग रूम के बाहर ईवीएम मशीनें मिलीं। मैं चुनाव आयोग से कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं। हालांकि उनका यह बहाना उन्हें चुनाव नहीं जीता सका और नेवला स्वामी प्रसाद मौर्य की करारी हार हुई।
हिन्दुओं को छलने वाली पार्टी शिवसेना भी अफवाह फ़ैलाने में पीछे नहीं रही| उनकी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी EVM पर दोष मढ़ते हुए कहा था कि ईवीएम को एक चुनाव संवेदनशील राज्य से दूसरे राज्य में प्रशिक्षण के लिए ले जाया जा रहा है, इसमें विश्वास करना मुश्किल है। ऐसे समय में जब राज्य के परिणाम प्रतीक्षित हैं, चुनाव आयोग मशीनों को उसी राज्य से क्यों ले जाना चाहेगा? जीत हो या हार एक तरफ, यह चिंता का विषय है।
यूपी चुनाव में भाजपा की जीत के बाद ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव को निराश नहीं होना चाहिए और उन्हें उसी ईवीएम मशीनों का फोरेंसिक परीक्षण करना चाहिए।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, अखिलेश यादव ने कहा कि, “उम्मीदवारों को सूचित किए बिना ईवीएम ले जाया जा रहा है। वाराणसी डीएम स्थानीय उम्मीदवारों को कोई जानकारी दिए बिना ईवीएम ले जा रहे हैं। चुनाव आयोग को इसे देखना चाहिए।”
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बिना आधार चिल्लाना विपक्ष की आदत हो गई है-
EVM की विश्वसनीयता को लेकर विपक्ष के आरोपों पर चुनाव आयोग कई बार स्पष्टीकरण दे चुका है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित है। पूर्व में दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रणबीर सिंह ने बताया था कि, ‘मशीनें पूरी तरह से सुरक्षित है और सभी पारदर्शिता तथा प्रशासनिक प्रोटोकॉल्स को पूरा करती है।‘
सिंह ने ये भी कहा था कि ईवीएम पूरी तरह से मजबूत हैं और किसी भी तरीके से मशीन से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी तरीके से मशीन को हैक नहीं किया जा सकता क्योंकि इसका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं है। इसमें इंटरनेट, वाई-फाई या ब्लूटूथ संपर्क नहीं है। इसका मतलब है कि आप मशीन में सेंध नहीं लगा सकते। इसमें एक बार काम में आने वाली प्रोग्रामेबल चिप हैं।’’
लाज पचाने का तरीका है बस!
यूपी में बीजेपी के ‘वोट चुराने की कोशिश’ करने के समाजवादी पार्टी के दावे का मजाक उड़ाते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि वे 10 मार्च का इंतजार भी नहीं कर सके और 8 मार्च को ही आरोप लगाने लगे। मीडिया से बात करते हुए, भाजपा नेता ने दावा किया कि सात चरणों के चुनावों के दौरान सपा सुप्रीमो को यह समझ में आ गया था कि यूपी के लोग पार्टी के बारे में ‘गंभीर’ नहीं हैं।“
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दरअसल लिबरल्स के अनुसार बीजेपी ने पंजाब में ईवीएम को हैक नहीं किया ताकि यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में ईवीएम हैक होने पर किसी को संदेह न हो। आपको बता दें कि मंदबुद्धि वामपंथी यह नहीं समझ पाते की पंजाब जैसे राज्य का चुनाव जब आम आदमी पार्टी जीतता है तो वो उसपर बयानबाजी नहीं करते लेकिन जनता के मत से जीती भाजपा पर लांछन लगाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
इस तरह के खोखले दावे वामपंथियों में नया नहीं है। वो पहले भी अपना हार नहीं पचा पाए है और उत्तर प्रदेश सहित 4 राज्यों में भाजपा की जीत के बाद EVM का शिगूफा छोड़ रहे हैं लेकिन यह पब्लिक है, वो अच्छे से जानती है अपने मत की कीमत और ऐसे एजेंडाधारी चिंटुओ द्वारा उन्हें बरगलाने की कोशिश नाकाम रहे हैं तो अब EVM का रोना रो रहे हैं|
भाजपा की जीत के साथ ही इन वामपंथी गुट को इस बात का यकीन हो चुका है कि लोगों की भावनाएँ उनके साथ नहीं हैं लेकिन फिर भी इतना कुछ होने के बाद भी विपक्ष हार नहीं मान रहा है और फिर से देश कि जनता को गुमराह करने के प्रयास में जुट गया है। विपक्षी पार्टियां फिर से बैलेट पेपर का प्रयोग करवाना चाहती हैं ताकि फिर से उनके लिए बूथ लूटना आसान हो जाए लेकिन अब जनता को चुनाव आयोग पर पूर्ण भरोसा है और यह इस बार के चुनाव में स्पष्ट भी हो गया कि ईवीएम में गड़बड़ी नहीं है बल्कि ईवीएम पर झूठी खबरें फैला कर हो-हल्ला करने वालों में गड़बड़ी है।
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