बाबा जो कहते हैं वो करते हैं, जो नहीं कहते वो तो बिल्कुल करते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी गर्मी थी लेकिन धीरे धीरे बाबा उस गर्मी को ठंडा कर रहे हैं। हालांकि, चुनाव परिणाम को देखकर तो लगता है जैसे बाबा वहां शीतयुग ला देंगे और विरोधियों को जमा देंगे। जी हां, हम बात कर रहें हैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की। फर्जी का विश्लेषण और कुछ बेरोजगार राजनीतिक पंडित कह रहे थे की अजी किसान आंदोलन, जाट-मुस्लिम भाईचारा, anti-incumbency अलाना-फलाना-ढिमकाना के कारण भाजपा का यहां जीतना असंभव है। बाबा बस मजाक कर रहे हैं। लेकिन इन तथाकथित बुद्धिजीवियों के साथ असली मज़ाक तो जनता ने किया और मज़ाक मज़ाक में अखिलेश मियां को रफा-दफा कर दिया।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा शानदार प्रदर्शन कर रही है। जाट-मुसलमान भाईचारा सफल हुआ और दोनों ने मिलकर बीजेपी को वोट दिया। किसान आंदोलन भी सफल हुआ और गन्ना किसानों के लिए योगी के काम के कारण उन्होंने भी बीजेपी को वोट दिया। बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ रहा है। बीजेपी इस बार पश्चिमी यूपी में 38 सीट जीत रही है। दंगाई और सपाइयों को सबक सिखाते हुए मुजफ्फरनगर के 6 के 6 सीट पर भगवा फहर रहा है। बलियांन से लेकर सोम, जाट से लेकर किसान और किसान से लेकर मुसलमान सभी भगवा से जुड़े रहे।
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2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इस क्षेत्र की 70 में से केवल 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। उस साल समाजवादी पार्टी (सपा) को 25, बहुजन समाज पार्टी को 23 सीट मिली थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 70 सीटों पर भाजपा आगे चल रही है। 2017 के चुनाव में पार्टी ने मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद डिवीजन को मिलाकर 70 विधानसभा सीटों में से 51 पर जीत हासिल की थी। इस बार लोगों को लग रहा था की किसान,एमएसपी, जाट, मुसलमान और मुलायम-अजित के दोनों बबुआ मिलकर बाबा को हरा देंगे लेकिन लगता है उन्हें अभी बाबा से राजनीति का ककहरा सीखने की जरूरत है।