क्या आप PhonePe, Paytm या Google Pay इस्तेमाल करते हैं? अगर नहीं तो आप आज के भारत में कल के नागरिक हैं। हम ऐसा क्यों बोल रहे हैं? क्योंकि गोलगप्पे वाले से लेकर बड़े शोरूम तक, हर जगह इन्हीं एप्लिकेशन के माध्यम से आज पेमेंट हो रहा है।
जितने तेजी से लोग इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट की ओर से अग्रसर हुए हैं, FINTECH यानी डिजिटल पेमेंट बदलते भारत में एक नया मुकाम हासिल कर रहा है। भारतीय फिनटेक बाजार वर्तमान में अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र है। हालांकि, वित्तीय सेवाओं की कम पहुंच के कारण भारत अभी भी एक अप्रयुक्त बाजार बना हुआ है। ये अप्रयुक्त अवसर, एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के साथ, भारत में फिनटेक के लिए बड़ी विकास क्षमता पैदा कर सकता है।
अगले पांच वर्षों में फिनटेक क्षेत्र के 22% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ बढ़ने की उम्मीद है। आंकड़ो के अनुसार, कुल 6,386 फिनटेक में से 28% निवेश तकनीक में, 27% भुगतान में, 16% NBFCs में, 9% बैंकिंग बुनियादी ढांचे में और 20% अन्य क्षेत्रों में हैं।
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शुक्रवार को भारतीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी क्षेत्र में हो रहे विकास और वर्तमान आधार पर भविष्य की संभावनाओं को बताते हुए कल भाषण दिया है। उनके वक्तव्य में जो बातें हैं, वह बताने के लिए काफी है कि भारत किस गति से प्रगति कर रहा है।
FINTECH क्षेत्र भारत में 150 बिलियन डॉलर का हो सकता है-
आईआईटी-बॉम्बे एलुमनी एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक वर्चुअल फिनटेक शिखर सम्मेलन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत के फिनटेक उद्योग का मूल्यांकन 2020 में देखे गए 50-60 बिलियन डॉलर के स्तर से 2025 तक बढ़कर 150 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है। अब तक की कुल फिनटेक फंडिंग 27.6 अरब डॉलर है और इस तरह के वित्त पोषण ने भारतीय फिनटेक उद्योग के बेहतर मूल्यांकन में मदद की है।
उन्होंने बताया कि,“हर चार स्टार्ट-अप यूनिकॉर्न में से एक फिनटेक सेगमेंट से है। फंडिंग की उपलब्धता ने फिनटेक स्टार्ट-अप्स को वास्तव में बढ़ने में मदद की है।”
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देश में लगभग 3 प्रतिशत मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप फिनटेक हैं और भारत में लगभग 6,300 फिनटेक हैं। भारत में सभी फिनटेक स्टार्ट-अप्स में से 20 यूनिकॉर्न की स्थिति में पहुंच गए हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय फिनटेक ने 2021 में 410 इक्विटी फंडिंग राउंड में 9.03 बिलियन डॉलर जुटाए हैं। यह पिछले वर्ष के 303 राउंड से 2.83 बिलियन डॉलर से अधिक है।
उन्होंने कहा, “हम भारतीय फिनटेक द्वारा जुटाए जा रहे फंड में काफी बढ़ोतरी देख रहे हैं।”
Fintech ने आपदा में अवसर बनाया-
सीतारमण ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले दो वर्षों में अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाली महामारी के बावजूद भारतीय फिनटेक ने अपनी वृद्धि को गति दी है। पिछले दो वर्षों में नागरिकों द्वारा फिनटेक अपनाया गया है। “यह अपनाना है जो हमें यह महसूस कराता है कि भारत फिनटेक क्रांति के मामले में नया मुकाम हासिल किया है।”
आज वैश्विक स्तर पर Fintech की स्वीकार्यता 64 प्रतिशत है, वहीं भारत में स्वीकार्यता की दर 87 प्रतिशत है। आप देख सकते हैं कि इस पैमाने पर स्वीकृति की दर महामारी से ही शुरू हो गई है।”
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भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था जल्द ही ट्रिलियन डॉलर इंडस्ट्री हो गई है-
सीतारमण ने यह भी बताया कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था, जो कि कैलेंडर वर्ष 2020 में 85-90 बिलियन डॉलर आंकी गई थी, इंटरनेट की बढ़ती पैठ, बढ़ती आय और युवा आबादी के कारण 2030 तक 800 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
वित्त मंत्री ने मैकिन्से की एक रिपोर्ट पर भी प्रकाश डाला, जिसमें दिखाया गया था कि इंटरनेट की पहुंच में 10 प्रतिशत की वृद्धि से प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
सीतारमण ने यह भी कहा कि आरबीआई वर्तमान में केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा पर विचार कर रहा है और इससे जुड़े जोखिमों का अध्ययन कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को फिनटेक निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है वह सरकार द्वारा शुरू किया जा रहा है।
ऐसे क्रांति में IIT जैसे संस्थाओं के तेज दिमाग की महत्ता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “यह IIT के उज्ज्वल दिमाग हैं जिन्हें इस पूरे ढांचे को जान देना है और जिंदा करना है।”
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