इंटरनेशनल ‘जय-वीरू’ हैं पुतिन और मोदी, आप इनकी मित्रता की सौगंध ले सकते हैं!

मित्रता हो तो मोदी और पुतिन जैसी!

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जय-वीरू जैसे हैं। नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन उस अटूट रिश्ते का प्रतिनिधित्व करते हैं जो भारत रूस के साथ साझा करता है। दोनों नेता अपने देशों के बीच मजबूत संबंधों के महत्व को समझते हैं। लेकिन क्या किसी ने वास्तव में यह विश्लेषण करने की कोशिश की है कि व्लादिमीर पुतिन के साथ पीएम मोदी का रिश्ता इतना खास क्यों है?

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जब से यूक्रेन पर आक्रमण हुआ है भारत रूस के पीछे मजबूती से खड़ा है। भारत ने रूस पर पश्चिम की लाइन को मानने से इनकार कर दिया है। मॉस्को द्वारा यूक्रेन में अपना सैन्य अभियान शुरू करने के बाद से अब तक प्रधानमंत्री मोदी और व्लादिमीर पुतिन एक-दूसरे के साथ तीन बार बात कर चुके हैं। दोनों के बीच सबसे आखिरी कॉल सोमवार,7 मार्च को हुई। तो, क्या वास्तव में नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन सबसे अच्छे दोस्त है? इसके तीन मुख्य कारण दिखाई पड़ते हैं।

लंबा और समानांतर राजनीतिक करियर

नरेंद्र मोदी ने 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। व्लादिमीर पुतिन 2000 से रूस के राष्ट्रपति हैं। नरेंद्र मोदी ने 2014 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला और तो और वो लगातार तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री चुने गए। वह तब से दो बार प्रचंड बहुमत के साथ प्रधानमंत्री चुने गए हैं। प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी की तीसरी जीत भी तय है।

व्लादिमीर पुतिन और नरेंद्र मोदी का रिश्ता अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल से है। खासकर 2014 के बाद उनका रिश्ता और पक्का हो गया। व्लादिमीर पुतिन सत्ता और मजबूत राजनीति के प्रशंसक हैं। भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में रूसी राष्ट्रपति को एक मजबूत और पक्का मित्र मिला। इन दोनों नेताओं का लंबा राजनीतिक करियर रहा है और इससे उनका रिश्ता काफी मजबूत हुआ है।

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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की निजी दोस्ती ने रूस और भारत के बीच के कूटनीतिक संबंधों को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। इसकी एक झलक 5वें पूर्वी आर्थिक मंच के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पीएम मोदी के बीच हुई प्रतिनिधिमंडल बैठक के समय दिखी। एक संयुक्त बयान को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने अपने ‘bestfriend’ व्लादिमीर पुतिन की सराहना की और भारत और रूस के बीच संबंधों को “एक अभूतपूर्व साझेदारी” कहा। इसको उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से किए गए एक पोस्ट द्वारा भी प्रदर्शित किया और उन दिनों को याद किया जब भूतपूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में 2001 में 20वें वार्षिक रूस-भारत सम्मेलन में वह शामिल होने  रूस गए थे।

पीएम ने पोस्ट करते हुए लिखा, “पुतिन ने मुझे यह महसूस नहीं कराया कि मैं उस प्रतिनिधिमंडल का कम महत्वपूर्ण व्यक्ति हूं या कि मैं एक छोटे से राज्य का नया सीएम हूं। उन्होंने मेरे साथ एक दोस्त के रूप में मित्रवत व्यवहार किया। इसने दोस्ती के दरवाजे खोल दिए। हमने न केवल अपने राज्यों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की है बल्कि विभिन्न मुद्दों, हमारे शौक, वैश्विक मुद्दों के बारे में भी बात की। हमने भागीदारों के रूप में खुले तौर पर बात की है। वह बात करने के लिए एक बहुत ही दिलचस्प व्यक्ति है।“

दोनों अपराजेय और मजबूत नेता हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी रूप से अजेय साबित हुए हैं। वे एक मजबूत व्यक्ति भी हैं। पीएम मोदी में एक अंतर्राष्ट्रीय नेता जैसा वाइब है और पुतिन ऐसे शख्स हैं जो उस वाइब की सराहना करते हैं। व्लादिमीर पुतिन भी अजेय हैं। उनको सत्ता से हटाया नहीं जा सकता। तो वहीं पीएम मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे अधिक आबादी वाले देश का नेतृत्व कर रहे हैं।

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वे करोड़ों भारतीयों के दिल में बसते हैं और यही उन्हें ताकतवर बनाता है। वह एक ऐसे नेता हैं जिनकी भारत भर में प्रशंसा होती है। पीएम मोदी की ताकत भारतीय आबादी है। पीएम मोदी भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही कारण है कि व्लादिमीर पुतिन उनकी प्रशंसा करते हैं।

भारत और रूस दोनों संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा छले गए

पिछली सदी में भारत और रूस दोनों ने अलग-अलग समय पर संयुक्त राज्य अमेरिका पर भरोसा किया। दोनों को धोखा मिला। पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से लेकर जॉर्ज डब्ल्यू बुश तक के कार्यकाल में वाशिंगटन ने पाकिस्तान की ओर रुख किया। यह भारत को एक निम्न स्तर का देश मानता है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत के विकास को रोकने और उसके राष्ट्रीय और रणनीतिक हितों को चोट पहुंचाने के लिए विभिन्न तरीकों से काम किया।

दूसरी ओर, रूस को नाटो और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा वादा किया गया था कि सोवियत संघ के पतन के बाद पश्चिमी शक्तियां मास्को के प्रभाव के अन्य क्षेत्र में बड़ा नहीं बनेंगी। रूस को अमेरिका पर भरोसा था। उसका मानना ​​था कि नाटो आगे पूर्व की ओर विस्तार नहीं करेगा। फिर भी, नाटो ने अपने वादे के विपरीत काम किया।

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पुतिन के मन में प्रधानमंत्री मोदी के लिए बहुत सम्मान है। उन्हें पता है कि पीएम मोदी पर भरोसा किया जा सकता है। वह पीएम मोदी के आसपास सहज हैं। दोनों एक शानदार समीकरण साझा करते हैं। यह दोनों नेताओं के बीच मजबूत संबंधों की सौजन्य है कि भारत और रूस के संबंध मजबूती से बढ़ रहे हैं। इसीलिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इनके समान दोस्ती और किसी नेता के बीच नहीं है और यह आने वाले समय में भी बने रहेगी।

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