राष्ट्र आपके पहचान का प्रथम और एकमेव स्रोत है। इस कथन का अन्तः करण से स्वीकृति ही राष्ट्रवाद है। आपकी यही पहचान और इस पहचान पर आपकी गर्व की अनुभूति कभी-कभी आपका कवच बन जाती है। यही अभिमान और इस अभिमान पर आपकी अटल स्वीकृति आपके अंदर अद्भुत साहस का सृजन करती है। एक ऐसा साहस, जो न सिर्फ आपके अंदर घनघोर रण और प्रलय के बीच टीके रहने का सामर्थ्य भरती है, बल्कि आपको इसके बीच से सुरक्षित निकालती भी है जैसे कि अभी भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से निकाल रही है। यह बात हमें भले ही समझ में न आए, पर शायद विदेशी नागरिकों और विद्यार्थियों को अवश्य ही समझ में आ गई है। इसीलिए युद्धग्रस्त यूक्रेन में फैले भीषण प्रलय से अपनी रक्षा हेतु वहां रहने वाले बाहर के लोग भारतीय कवच के पीछे चुप गए हैं और इसमें मुख्य रूप से तुर्की और पाकिस्तानी विद्यार्थी हैं।
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विदेशियों के लिए सहारा बना तिरंगा
यूक्रेन में रहने वाले अन्य देश के लोगों को यह समझ में आ चुका है कि इस परिस्थिति में अगर कोई चीज़ उनके प्राण बचा सकती है, तो वो है भारत का तिरंगा। और समझ में आए भी क्यों न? पाक और तुर्की के विद्यार्थी देख रहे हैं कि एक ओर जहां वैश्विक महाशक्ति का दंभ भरनेवाले तथाकथित राष्ट्रों ने अपने नागरिकों को उन्हीं के हाल पर छोड़ दिया है, वहीं दूसरी ओर भारत चारो ओर से अपने नागरिकों के लिए अभेद्य कवच बना चुका है। वे चकित हैं कि जिस देश में जल, थल और नभ तीनों आग्नेयास्त्रों से भरे पड़े हैं, वहाँ भारत के निर्भीक पायलट अपने नागरिकों को निकालने के लिए प्लेन उड़ा रहे हैं। एयर इंडिया, स्पाइस जेट और इंडिगो की उड़ानें लगातार यूक्रेन के पड़ोसी देशों से भारत पहुंच रही हैं। इन विदेशी नागरिकों को भी मालूम है कि प्रलय के बीच निहत्थे उतरने के लिए सिर्फ और सिर्फ साहस ही चाहिए होता है और इस साहस का एकमात्र स्रोत हमारी भारतीयता है।
अतः उन्होंने भी अपने अंदर साहस भरने के लिए इस उम्मीद में तिरंगे को मजबूती से जकड़ लिया है, ताकि कोई शूरवीर भारतीय इस प्रलय के मध्य से निकलेगा और उन्हें वहां से दूर सुरक्षित स्थान पर ले जाएगा। उन्हें यह भी ज्ञात है कि नियमों के आवर्तों में बंधकर अगर कोई भारतीय उन्हें वहां से न भी निकाले, तो भी तिरंगे की ताकत इतनी है कि उस पर बम बरसाने की हिमाकत तो कोई देश नहीं करेगा। इसीलिए, तुर्की और पाकिस्तानी भी अब अपनी जान बचाने के लिए ही सही लेकिन कुछ समय के लिए यूक्रेन में भारतीय बन गए हैं।
तिरंगे की ताकत के आगे झुकी दुनिया
दक्षिणी यूक्रेन के Odesa से आए एक मेडिकल स्टूडेंट ने कहा, यूक्रेन में हमें बताया गया था कि भारतीय होने और भारतीय झंडा लिए होने के कारण, हमें कोई समस्या नहीं होगी। स्टूडेंट्स ने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने भारतीय झंडा तैयार करने के लिए बाजार से स्प्रे पेंट खरीदा। एक स्टूडेंट ने कहा, ‘मैं बाजार की तरफ भागा, कुछ कलर स्प्रे खरीदा और एक पर्दा भी लिया। मैंने पर्दे के कई टुकड़े कर लिए और फिर स्प्रे पेंट की मदद से भारत का तिरंगा झंडा तैयार किया।’ एक भारतीय स्टूडेंट ने कहा कि ऐसे वक्त में भारत के तिरंगे झंडे ने पाकिस्तानी और तुर्किश छात्रों की बहुत मदद की। रोमानिया के बुखारेस्ट से लौटे छात्रों ने बताया कि भारतीय झंडा दिखाने के बाद हमें आसानी से क्लियरेंस मिल रहा था।
भारतीय छात्रों ने यह भी बताया कि हमने वहां से पाकिस्तानी और तुर्की छात्रों को भी निकालने में मदद की। उन्होंने कहा, वहां की सेना ने हमें बताया कि आप भारतीय हो और आपके पास भारतीय झंडे हैं, इसलिए आपको परेशान होने या डरने की जरूरत नहीं है। इसके बाद हमने यूक्रेन में भारतीय ध्वज की व्यवस्था की, अपनी बस के शीशे को तिरंगे से भर दिया ताकी हमें बाहर निकलने में मदद मिले और जैसी उम्मीद थी, वैसा ही हुआ भी। किसी भी छात्र को एक खरोच तक नहीं आई। छात्र ने बताया कि हमारे झंडे को देखकर हमें कहीं नहीं रोका गया और आसानी से जाने दिया गया। एक और छात्र ने बताया कि अन्य देशों के छात्रों ने भी भारतीय झंडे अपने हाथों में लिए थे, ताकि वह सुरक्षित निकल सकें और उनमें पाकिस्तान और तुर्की के छात्र शामिल थे।
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विरोधियों के मुंह पर है करारा तमाचा
आपको बता दें कि ऑपरेशन गंगा के तहत भारत सरकार के चार कैबिनेट मंत्री न सिर्फ यूक्रेन सीमा से लगने वाली राष्ट्रों से अपने नागरिकों को निकाल रहे हैं, बल्कि भारतीय दूतावास हर कदम पर अपने नागरिकों के साथ खड़ा है। रूस के सैन्य अधिकारियों ने भी कहा है कि रूसी सैनिक भारतीयों को हाथ तक नहीं लगाएंगे। लेटलतीफी और अफसरशाही का आरोप लगानेवालों के मुंह पर हमारे अधिकारियों और शासन व्यवस्था का ये करारा तमाचा है। यह तुर्की और पाक के सरकार के लिए भी सीख है, जो एक समय मुस्लिम देशों के नेतृत्व का स्वप्न देख रहे थे।
इस कठिन दौर में कूटनीतिक मूर्खता का परिचय देकर रूस पहुंचे इमरान खान के देश के नागरिक और विद्यार्थी अपनी सुरक्षा के लिए तिरंगे पर आश्रित हैं, यह उनके मुंह पर जोरदार तमाचा नहीं तो और क्या है? गजवा-ए- हिन्द और मुस्लिम उम्मत के नेता तुर्की के तैयप भी असहाय हो चुके हैं और उनके नागरिक अपनी जान बचाने के लिए ये सीख रहे हैं कि भारत के अशोक चक्र में कितनी तिलियां होती हैं और इसकी लंबाई चौड़ाई के मानक क्या हैं? तुर्की और पाक के लिए ये हास्य, भारत के लिए गर्व जबकि राष्ट्रवाद पर प्रश्न उठाने वालों के लिए शर्म की बात है। भारत ही आपका पहचान, अस्तित्व, थाती और कवच है इस घटना से यही समझ में आता है।