रूस-यूक्रेन विवाद जहां एक ओर दिन-प्रतिदिन रौद्र स्वरुप लेता जा रहा है, तो वहीं अधिकांश पश्चिमी देश रूस को घेरते हुए उसे दुनियाभर का सबसे बड़ा मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता बना रहे हैं। ऐसे में अब तक संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना रुख तटस्थ रखते आ रहे भारत ने लगातार चौथी बार अपने रुख को स्पष्ट रखा और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में हुई वोटिंग में भाग न लेकर विश्व को अपना संदेश दे दिया है। आज हां, कल न ऐसा करने वाले देशों की वैसे भी कोई संगठन या देश इज़्ज़त नहीं करता है। ऐसे में भारत का तल्ख रुख भी देश के लिए सकारात्मक परिणाम लाएगा ऐसा प्रतीत हो रहा है।
और पढ़ें: यूक्रेन से मौत के मुंह से निकाल लाई मोदी सरकार लेकिन ये छात्र भारत पर ही उठा रहे हैं सवाल!
भारत ने वोटिंग से बनाई दूरी
दरअसल, भारत ने शुक्रवार को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में रूस के विरुद्ध हुई वोटिंग में भाग नहीं लिया। परिषद ने यूक्रेन में रूस की कार्रवाइयों की जांच के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आयोग का गठन करने का फैसला किया है। यह प्रस्ताव रूस द्वारा यूक्रेन पर किए जा रहे आक्रमण और उसके तहत मानवाधिकार के उल्लंघन को देखते हुए लाया गया। भारत संयुक्त राष्ट्र के 47 सदस्यीय परिषद में से कुल 32 देशों ने इस प्रस्ताव को पारित करने में सहमति जताई तो वहीं भारत उन 13 देशों में शामिल था, जिन्होंने इस वोटिंग से दूरी बनाए रखी। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के खिलाफ इस प्रस्ताव को बहुमत से पारित कर दिया गया।
यूं तो भारत ने वोटिंग के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्रमणि पांडे ने बीते गुरुवार को वोट से पहले मानवाधिकार की स्थिति पर परिषद की “तत्काल बहस” को संबोधित किया था। पांडे ने गुरुवार को कहा था कि “हम यूक्रेन में लोगों के मानवाधिकारों के सम्मान और संरक्षण और संघर्ष क्षेत्रों में सुरक्षित मानवीय पहुंच का आह्वान करते हैं।” उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के बारे में गहराई से चिंतित है।
भारत ने स्पष्ट कर दिया है अपना रूख
UNHRC में भारत की स्थिति 24 फरवरी को यूक्रेन में रूसी सैन्य अभियानों की शुरुआत के बाद से संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय समूहों में कई तरह के परहेजों को जोड़ती है, यहां तक कि यूक्रेन में जारी रूसी सैन्य प्रगति के विरूद्ध अधिक से अधिक देशों ने यूएन के प्रस्तावों के समर्थन में वोट दिया है। मोदी सरकार ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तीन वोट, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में दो, जिनेवा में मानवाधिकार परिषद में दो और वियना में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) में एक वोट से दूर रहने का फैसला किया है।
इसके बाद आलोचना में घिरे सभी तटस्थ देशों में एक भारत ही वो देश है, जिसके रूख से वैश्विक देशों का खून खौल रहा है। और तो और आर्मीनिया, बोलिविया, कैमरून, चीन, क्यूबा, गबोन, कजाकिस्तान, नामीबिया, पाकिस्तान, सूडान, उज्बेकिस्तान और वेनेजुएला जैसे देशों पर पश्चिमी देश और विशेषकर अमेरिका गिद्ध दृष्टि न बनाते हुए मात्र भारत का पीछा करते हुए किसी न किसी तरह उसे यह समझाने का प्रयास कर रहा है कि वो किसी भी तरह रूस के विरुद्ध अपना वोट करे। हालांकि, रूस के प्रति भारत का रूख क्या होगा, यह पहले ही स्पष्ट हो चुका है और साथ ही संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के वोटिंग के दौरान अपनी अनुपस्थिति से भी भारत ने सबकुछ पहले ही तय कर दिया है।
और पढ़ें: एक बार फिर हो गया साबित, रूस ही है भारत का सबसे अच्छा मित्र