ये भेदभाव क्यूं? दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंदू देवी-देवताओं के अपमान पर दोहरे मापदंड के लिए ट्विटर को फटकार लगाई

ट्विटर को जिस लताड़ की जरूरत थी, वह कोर्ट द्वारा मिल ही गई!

ट्विटर हिन्दू

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संवेदनशील क्या है, क्यों है और कहाँ और किस हद तक है, ट्विटर के इस बात को निर्धारित करने के लिए दोगले मानदंड हैं जिनपे उसका पूरा ढांचा टिका हुआ है। जहाँ उसे एक एजेंडे पर चल रहे समूहों को पनाह देते अमूमन देखा जाता है तो वहीं जब बात भारत या हिन्दू धर्म के दुष्प्रचार की आती है तो यही ट्विटर आँखें मूँद लेता है। ताजा मामला ‘एथीइस्ट रिपब्लिक’ नाम के ट्विटर अकाउंट द्वारा मां काली पर कथित रूप से बेहूदा पोस्ट करने का है, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस संदर्भ में ट्विटर को सोमवार को उसके दोमुंहे चेहरे पर लताड़ लगाते हुए उसके मानदंडों पर स्पष्टीकरण माँगा है। इसके बाद यही सवाल उठ रहा है कि ट्विटर इतना दोगलापन कहाँ लेकर जाएगा, आँख का पानी ही मर गया है या वो वामपंथी जो दिखाए उसे स्वीकार कर लेता है और हिन्दू देवी देवताओं के अनुयायी की भावनाओं को आहत करता है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को ट्विटर से आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने वाले उपयोगकर्ताओं को ब्लॉक करने पर अपनी नीति प्रस्तुत करने के लिए कहा, यह कहते हुए कि मंच “अन्य क्षेत्रों” और जातीयता के लोगों की संवेदनशीलता के बारे में परेशान नहीं है पर एक वर्ग विशेष के एजेंडे के लिए वो किसी को भी कभी भी ब्लॉक कर देता है, उदाहरण के तौर पर कोर्ट ने डोनाल्ड ट्रंप का जिक्र किया। हिन्दू देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री बार-बार पोस्ट करने वाले एक उपयोगकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हाईकोर्ट ने ट्विटर की लेश मात्र भी दिलचस्पी न होने पर विचार किया। जब साइट ने दावा किया कि जब तक कोई अदालत का आदेश नहीं है, तब तक यह व्यक्तिगत खातों को अवरुद्ध अर्थात ब्लॉक नहीं करता है। अब क्या था? कोर्ट ने रसीद के दावों पर तमाचा मार कहा कि, “यदि यह तर्क है, तो आपने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को क्यों ब्लॉक किया है?”

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यह सारा मामला माँ काली से जुडी एक आपत्तिजनक पोस्ट से था जो ट्विटर पर वैचारिक जहर का प्रसार करने वालों में से एक  ‘एथीइस्ट रिपब्लिक’ नामक व्यक्ति ने किया था। इसपर कोर्ट ने ट्विटर को उसकी नीतियों के साथ डबल ढोलकी की भांति चलने पर एक-एक कर सुनाया और ऐसे दोगले चरित्र को न्याय अनुरूप नहीं बताया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, ‘आप (ट्विटर) दुनिया के अन्य क्षेत्रों और नस्लों के लोगों की संवेदनशीलता को लेकर चिंतित नहीं हैं। हम यह कहते हैं कि अगर इस तरह की चीज़ें अन्य धर्म के संबंध में हुई होती तो आप ज्यादा सावधान और संवेदनशील होते।’ आप अन्य लोगों की संवेदनशीलता के बारे में परेशान नहीं हैं परन्तु दुनिया के अन्य क्षेत्रों में, जातियों के बारे में हैं। हम यह कहने की हिम्मत करते हैं कि यदि इस प्रकार की चीजें किसी अन्य धर्म के संबंध में की जाती हैं, तो आप अधिक सावधान, अधिक संवेदनशील होंगे।”

ट्विटर ने जवाब देते हुए कहा कि उसने वर्तमान मामले में आपत्तिजनक सामग्री को हटा दिया है और पोस्ट के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसके वकील ने कहा कि मंच “किसी भी व्यक्ति को अवरुद्ध नहीं कर सकता” और अदालत के आदेश के अभाव में कथित आपत्तिजनक सामग्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता। उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह विचार है कि इस संबंध में ट्विटर का रुख “पूरी तरह से सही नहीं है। ” यह ध्यान रखते हुए कि ट्विटर ने “समय-समय पर कुछ व्यक्तियों के खाते को पहले कई बार ब्लॉक किया है”। हाईकोर्ट ने रेखांकित किया कि ट्विटर को प्रासंगिक आईटी नियमों के तहत ढांचे का पालन करने की भी आवश्यकता है।

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यह दुस्साहस पहली बार नहीं हुआ है

यह तो सत्य है कि ट्विटर द्वारा यह पहली बार नहीं हो रहा जब वो भारत या हिन्दू धर्म से संबंधित दुश्प्रचारकों के विरुद्ध एक कदम भी स्वतः नहीं उठाता है, और तो और जब लोग किसी एक अकॉउंट और पोस्ट को रिपोर्ट भी कर देते हैं तो उसको भी ट्विटर नज़रअंदाज़ कर देता है। इसका एक ही अर्थ निकलता है, कानून और आदेशों की बात करने वाला ट्विटर वो स्वान हो गया है जिसे घी पच नहीं रहा है अर्थात सीधी बात समझ नहीं आ रही है। पहले नए आई टी नियमों को मानने में जहाँ जन्म लगा दिए अब हिन्दू धर्म के विरुद्ध चलाए जा रहे एजेंडों पर कोई कार्यवाही न करना उसकी भारत के प्रति नफरत को साफ़ तौर पर प्रदर्शित कर रहा है।

बता दें, याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उपयोगकर्ता द्वारा हिंदू देवी का अपमानजनक और अपमानजनक तरीके से प्रतिनिधित्व किया गया था और इस तरह की सामग्री नए आईटी नियमों का उल्लंघन है। इस पूरे प्रकरण में यह तो स्पष्ट हो गया है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते, कोर्ट यदि कड़े शब्दों में ट्रंप या अन्य उदाहरण नहीं देता तो ट्विटर अब भी अपनी उसी नीति पर चलता रहता और ये ट्विटर धीरे-धीरे कर देश और विशेषकर जिहादियों का ऑपरेटिंग हब बन जाता जिसके पथचिन्ह यही माँ काली से जुडी आपत्तिजनक पोस्ट थी। ट्विटर के इस भेदभाव और दोगले चरित्र को उजागर करना इसलिए आवश्यक था क्योंकि उसे अन्य सभी वर्ग दिखते हैं पर हिन्दू धर्म और उसके आराध्य उसके लिए अदृश्य हो जाते हैं।

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