गिरगिट और केजरीवाल दोनों ही कुंभ के मेले में बिछड़े हुए दो भाई हैं जिनके रंग मिनटों नहीं सेकेंडों में बदलते हैं! सुरक्षा नहीं लूंगा- ले ली, गाडी नहीं लूंगा- ले ली, सरकारी आवास नहीं लूंगा- वो भी ले लिया पर हम कौन हैं जी “हम हैं आम आदमी।” ऐसी सोच के आम आदमी पार्टी के तानाशाह, दिल्ली के मुख्यमंत्री और पंजाब को रिमोट कंट्रोल से चलाने वाले अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के सीएम भगवंत मान को कठपुतली बना दिया है! क्योंकि न खाता न बही जो मालिक कहे वो ही सही। दिल्ली के कथित मालिक केजरीवाल ने भगवंत मान को पंजाब के तमाम विपक्षी नेताओं की सुरक्षा हटाने का निर्देश दिया और उधर मान ने सरकार बनते ही सुरक्षा हटाने का निर्देश जारी कर दिया है। बड़ी बात यह है कि भगवंत मान ने पंजाब के तमाम विपक्षी नेताओं को खालिस्तानी आतंकियों के रहमोकरम पर छोड़ दिया है, जिसके बाद से ही विपक्षी नेताओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
AAP के फैसले पर खडे़ हुए सवाल
दरअसल, बीते माह सरकार बन जाने के तुरंत बाद आम आदमी पार्टी की मान सरकार ने नई राजनीतिक व्यवस्था के तहत यह सुनिश्चित किया है कि विपक्षी पार्टियों के 122 राजनेताओं को दी गई पुलिस सुरक्षा वापस ली जाएगी। इसके बाद बीते शनिवार को यह खबर सामने आई कि पंजाब सरकार ने पूर्व मंत्रियों, विधायकों और निजी सुरक्षा प्राप्त लोगों सहित 184 लोगों की सुरक्षा वापस ले ली है। इसका मूल कारण राज्य सरकार पर पड़ रहा वित्तीय दबाव बताया गया, जो इन सभी नेताओं को दी जा रही सुरक्षा के कारण बढ़ता ही जा रहा था। अब पाखंडी कहें, बगुलाभगत कहें या ढोंगी, यह जनता तय कर रही है क्योंकि अपने कर्मों और पिछले आंकड़ों की बात करें तो आम आदमी पार्टी सदा से ही सरकार में आते ही अपनी महत्वकांक्षाओं की पूर्ति में लग जाती है, दिल्ली से बड़ा प्रत्यक्ष उदाहरण और कोई हो नहीं सकता है। हालिया उदाहरण है, पंजाब के राज्यसभा सांसद के रूप में आधिकारिक तौर पर शपथ लेने से पूर्व ही दिल्ली के “आप” नेता राघव चड्ढा को पंजाब सरकार भयंकर सुरक्षा से लाद चुकी है।
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What about the VVIP treatment being given to MP Raghav Chadha?
Whether providing car worth of Rs 42 lakhs us a symbol of AAM AADMI? pic.twitter.com/a9EVWgR74C— NAVNEET (@Navneetseth) April 23, 2022
खालिस्तानियों के हवाले हुए पंजाब के विपक्षी नेता!
बता दें, जिन नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई है उनमें पूर्व मंत्री बीबी जागीर कौर, मदन मोहन मित्तल, सुरजीत कुमार रखड़ा, सुच्चा सिंह छोटेपुर, जनमेजा सिंह सेखों, तोता सिंह और गुलजार सिंह रानिके शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के परिवार की सुरक्षा भी वापस ले ली गई है। पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी और अमरिंदर सिंह के बेटे रनिंदर सिंह के परिवार की भी सुरक्षा छीन ली गई है। पूर्व सांसद और आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष राजीव शुक्ला भी प्रमुख नेता हैं जिनकी सुरक्षा हटा ली गई है। पंजाब चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारक रहे माही गिल और पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय के बेटे सिद्धांत को भी सुरक्षा गंवानी पड़ेगी।
यह दूसरी बार है जब आप सरकार ने पूर्व मंत्रियों और विधायकों की सुरक्षा वापस ली है। पार्टी के सत्ता में आने के ठीक एक दिन बाद, पंजाब पुलिस ने 11 मार्च को 122 पूर्व मंत्रियों और विधायकों की सुरक्षा वापस लेने का आदेश दिया था। भारत भूषण आशु, मनप्रीत सिंह बादल, राज कुमार वेरका, ब्रह्म मोहिंद्रा और संगत सिंह गिलजियान,पूर्व स्पीकर के पी सिंह ने अपनी सुरक्षा खो दी। पंजाब पुलिस ने बताया कि बादल की सुरक्षा 19 सुरक्षाकर्मी कर रहे थे, जबकि आशु की सुरक्षा 16 सुरक्षाकर्मी कर रहे थे। कांग्रेस से, जिन नेताओं का नाम सूची में आया, उनमें अमरिंदर सिंह राजा वारिंग, परगट सिंह, राणा गुरजीत सिंह, सुखबिंदर सरकारिया, तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा और बरिंदरमीत सिंह पहरा थे। अमरिंदर सिंह राजा वारिंग, जिन्हें 21 जवानों की सुरक्षा प्राप्त थी, अब कांग्रेस पंजाब प्रमुख हैं। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को भी सुरक्षा कवच गंवाना पड़ा। उन्हें सात सुरक्षाकर्मी मिले थे।
चूंकि पंजाब सीमावर्ती राज्य है और राज्य में खालिस्तानी तत्वों के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता, ऐसे में जिस प्रकार येन केन प्रकारेण आम आदमी पार्टी ने सरकार बनाने में खालिस्तानी समर्थन प्राप्त किया, उससे यह तो तय है कि पंजाब सरकार तका यह फैसला संयोग नहीं एक बड़ा प्रयोग है! राज्य में अपनी राजनीतिक पैठ बनाने के लिए अब स्तरहीन हो चुकी भगवंत मान सरकार ने सभी विपक्षी नेताओं की जान दांव पर लगा दी है, जैसे-जैसे सुरक्षा सुस्त होगी, वैसे ही खालिस्तानी आतंकियों की निगाह दुरुस्त होगी और अन्तोत्गत्वा भगवंत मान ने पंजाब के तमाम विपक्षी नेताओं को खालिस्तानी आतंकियों के रहमोकरम पर छोड़ दिया है।
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