इन दिनों डॉक्टर एस जयशंकर का जलवा सातवें आसमान पर है। जिस प्रकार से उन्होंने भारतीय कूटनीति की परिभाषा को बदला है, उससे कोई भी भारतीय अनभिज्ञ नहीं है, और वर्तमान में अमेरिकी दौरा इसी बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। रूस-यूक्रेन मामले पर भारत के तटस्थ रूख से विचलित हुआ अमेरिका आये दिन हमें गीदड़भभकी देते रहता है। अमेरिका की मौजूदा अवस्था को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि सुसुप्त अवस्था में पहुंची बाइडन प्रशासन के पास दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के अलावा और कोई काम ही नहीं है! भारत की ओर से उसे लगातार प्रतिकूल जवाब भी मिल रहा है। हाल ही में अमेरिका ने भारत को धमकी देते हुए CAATSA लगाने का संकेत दिया था, लेकिन अब एस जयशंकर ने अमेरिका को एक बार फिर से धूल चाटने पर विवश कर दिया है।
डॉक्टर जयशंकर की वाकपटुता से वैसे भी अनेकों देश के राजनीतिज्ञ निरुत्तर हो जाते हैं, जिसका प्रमाण हाल ही में अमेरिका में देखने को मिला है। लेकिन जब अमेरिका के प्रिय CAATSA के विषय पर उनके विचारों पर पूछा गया, तो उनके प्रत्युत्तर के बारे में उतनी चर्चा नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए थी।
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भारत के विदेश मंत्री ने कहा, “देखिए, ये उनका अधिनियम है, और जो करना है उन्हे ही करना है”। उनका विचार स्पष्ट था – जो भी भारत की सुरक्षा हेतु आवश्यक होगा, वो बिना किसी हिचक के लागू किया जाएगा, चाहे किसी को अच्छा लगे या नहीं। उन्होंने इस बात से ये भी सिद्ध किया कि भारत अपने रक्षा संबंधी आवश्यकताओं हेतु किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है और अमेरिका जितना जल्दी समझे, उतना ही अच्छा। यदि आपको स्मरण हो, तो कई महीनों से अमेरिका CAATSA के बल पर भारत को डराने धमकाने पर तुला हुआ था।
बाइडन प्रशासन की धमकियां
अमेरिका का रुख स्पष्ट था कि यदि भारत ने बाइडन प्रशासन की बात नहीं मानी तो एक के बाद एक आर्थिक प्रतिबंध लगाकर अमेरिका भारत के लिए आगे की राह बहुत मुश्किल खड़ी कर देगा। परंतु यहीं पर अमेरिका ने बहुत बड़ी भूल कर दी। उसे लगा कि, इन सब गीदड़ भभकियों से भारत भयभीत होकर उसके कदमों में गिर जाएगा और उसकी कही हर एक बात को सराखों पर लेगा, परंतु वह एक बात भूल गया की– अब भारत पहले वाला भारत नहीं रहा, और इसकी पुष्टि करने में सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
कुछ ही दिन पूर्व शीर्ष अमेरिकी और भारतीय मंत्रियों के 2+2 संवाद के बाद एक संयुक्त समाचार सम्मेलन में, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका भारत में हाल के कुछ “संबंधित घटनाक्रमों” की निगरानी कर रहा है, जिसमें उन्होंने “मानव अधिकार हनन में वृद्धि” को कहा है। कुछ सरकार, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा अधिकारों का हनन हो रहा है ऐसी बात वार्ता में उल्लेखित की गई जिस पर जयशंकर ने सौम्यता से धोबी पछाड़ दिया और अमेरिका के मुंह में दही जम गया कि अब कहें तो भला क्या कहें।
एस जयशंकर ने प्रेस वार्ता में कहा, “मानवाधिकार का मुद्दा मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान चर्चा का विषय नहीं था, देखिए, लोगों को हमारे बारे में विचार रखने का अधिकार है। लेकिन हम भी समान रूप से उनके विचारों और हितों के बारे में विचार रखने के हकदार हैं। इसलिए, जब भी कोई चर्चा होती है, तो मैं कर सकता हूं। आपको बता दें कि हम बोलने से पीछे नहीं हटेंगे, मानवाधिकार का मुद्दा मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान चर्चा का विषय नहीं था।”
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CAATSA धमकी नहीं गीदड़ भभकी है
लेकिन बात यहीं पर नहीं रुकती। द प्रिन्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत को अत्याधुनिक एस 400 एयर डिफेंस सिस्टम के प्रथम स्क्वाड्रन हेतु सिमुलेटर एवं ट्रेनिंग संसाधन उपलब्ध कराया गया है। ये ऐसे समय पर किया गया है जब अमेरिका और रूस के बीच कूटनीतिक संबंध अपने निम्नतम स्तर पर है, लेकिन अमेरिका अभी चाहकर भी भारत के विरुद्ध उग्र नहीं हो पा रहा।
डॉक्टर जयशंकर कूटनीति से भली भांति परिचित हैं, और ऐसे में वे जानते हैं कि CAATSA की धमकी में वास्तव में कितना दम है। ऐसे में अमेरिका के एक और कूटनीतिक अस्त्र की हवा निकालकर सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने सिद्ध किया कि जब ‘ड्रैगन’ की खोखली धमकियाँ उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाई, तो बाइडन प्रशासन की क्या हस्ती?
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